नरराष्ट्र: Difference between revisions
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<blockquote>'नरराष्ट्रं च निर्जित्य कुंतिभोजमुपाद्रवत्, प्रीतिपूर्व च तरयासो प्रतिजग्राह शासनम्', <ref>[[महाभारत]], [[सभापर्व महाभारत|सभापर्व]] 31, 6</ref></blockquote> | <blockquote>'नरराष्ट्रं च निर्जित्य कुंतिभोजमुपाद्रवत्, प्रीतिपूर्व च तरयासो प्रतिजग्राह शासनम्', <ref>[[महाभारत]], [[सभापर्व महाभारत|सभापर्व]] 31, 6</ref></blockquote> | ||
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Latest revision as of 13:58, 3 July 2012
नरराष्ट्र का उल्लेख महाभारत, सभापर्व में हुआ है, जहाँ इसे पाण्डव सहदेव के द्वारा अपनी दिग्विजय यात्रा में विजित किए जाने का पता चलता है। एक मत के अनुसार ग्वालियर के दुर्ग से प्राय: 10 मील (लगभग 16 कि.मी.) उत्तर-पूर्व के अंतर्गत बसे हुए नरेसर नामक स्थान से नरराष्ट्र का अभिज्ञान किया जा सकता है।[1]
'नरराष्ट्रं च निर्जित्य कुंतिभोजमुपाद्रवत्, प्रीतिपूर्व च तरयासो प्रतिजग्राह शासनम्', [2]
अर्थात् "सहदेव ने अपनी दिग्विजय यात्रा के प्रसंग में नरराष्ट्र को जीतकर कुंतिभोज पर चढ़ाई की।"
- उपर्युक्त प्रसंग से नरराष्ट्र की स्थिति 'कुंतिभोज' (कोतवार, ग्वालियर, मध्य प्रदेश) के निकट प्रमाणित होती है।
- नरेसर को नलेश्वर का अपभ्रंश कहा जाता है, किन्तु इसका संबंध तो नरराष्ट्र से जान पड़ता है।
- नरराष्ट्र और नरेसर नामों में ध्वनिसाम्य तो है ही, इसके अतिरिक्त नरेसर बहुत प्राचीन भी है, क्योंकि यहाँ से अनेक पूर्व मध्यकालीन मंदिरों तथा मूर्तियों के ध्वंसावशेष भी मिले हैं। यहाँ के खंडहर विस्तीर्ण भूभाग में फैले हुए हैं, और संभव है कि यहाँ से उत्खनन में और अधिक प्राचीन अवशेष प्राप्त हों।
- महाभारत की कई प्रतियों में नरराष्ट्र को नवराष्ट्र लिखा गया है, जो अशुद्ध जान पड़ता है।
- नरराष्ट्र, नलराष्ट्र का भी रूपान्तरण हो सकता है और उस दशा में इसका संबंध राजा नल से जोड़ना संभव होगा, क्योंकि राजा नल की कथा की घटना स्थली नरवर (प्राचीन नलपुर) निकट ही स्थित है।
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