बिहू नृत्य: Difference between revisions
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
m (Text replace - "Category:लोक नृत्य" to "==सम्बंधित लिंक== {{नृत्य कला}} Category:लोक नृत्य") |
आदित्य चौधरी (talk | contribs) m (Text replacement - "तेजी " to "तेज़ी") |
||
(14 intermediate revisions by 7 users not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
बिहू [[असम]] का प्राचीनतम व अत्यधिक महत्वपूर्ण उत्सव है। असम में तीन बिहू मनाए जाते हैं- | [[चित्र:Bihu-Dance-Assam.jpg|बिहू नृत्य, [[असम]]<br />Bihu Dance, Assam|thumb|250px]] | ||
*बोहाग (बैसाख-अप्रैल के मध्य में) | [[बिहू]] [[असम]] का प्राचीनतम व अत्यधिक महत्वपूर्ण उत्सव है। असम में तीन बिहू मनाए जाते हैं- | ||
*माघ (जनवरी के मध्य में), और | *[[बोहाग बिहू|बोहाग]] ([[बैसाख]]-[[अप्रैल]] के मध्य में) | ||
* | *[[माघ बिहू|माघ]] ([[जनवरी]] के मध्य में), और | ||
प्रत्येक बिहू कृषि | *[[काती बिहू|काती ]] ([[कार्तिक]], [[अक्टूबर]] के मध्य में)। | ||
प्रत्येक बिहू [[कृषि]] कलैन्डर के विशिष्ट अवसर पर पड़ता है। तीनों बिहू उत्सवों में सबसे आकर्षक, [[वसंत ऋतु]] का उत्सव 'बोहाग बिहू' अथवा 'रंगाली बिहू' होता है जो मध्य अप्रैल में मनाया जाता है, जिससे कृषि ऋतु का प्रारम्भ होता है। बिहू असम के सबसे ज्यादा प्रचलित [[लोक नृत्य]] को दिया गया नाम है, जिसका सभी जवान व बूढ़े, अमीर व ग़रीब आनन्द लेते हैं। [[नृत्य]] बिहू उत्सव का अंग हैं, जो मध्य अप्रैल में पड़ता है। जब फ़सल कटाई होती है और जो लगभग एक [[महीने]] तक चलती है। इससे असम के कलैन्डर की भी शुरुआत होती है। | |||
बिहू नृत्य युवा लड़के व लड़कियों द्वारा खुले मैदान में किया जाता है, तथापि वे आपस में नहीं मिलते हैं। पूरा गांव नृत्य में हिस्सा लेता है, चूंकि नर्तक घर-घर में जाते हैं। इस नृत्य की पहचान | बिहू नृत्य युवा लड़के व लड़कियों द्वारा खुले मैदान में किया जाता है, तथापि वे आपस में नहीं मिलते हैं। पूरा गांव नृत्य में हिस्सा लेता है, चूंकि नर्तक घर-घर में जाते हैं। इस नृत्य की पहचान तेज़ीसे क़दम उठाना, हाथों को उछालना व चुटकी बजाना तथा कूल्हे मटकाना है जो कि युवाओं के मनोभाव का द्योतक है। कलाकार कभी-कभी गीत गाते हैं। नृत्य धीमी गति से आरंभ होता है, और जैसे-जैसे नृत्य आगे बढ़ता है इसकी गति तेज़ होती जाती है। '[[ढोल]]' की सम्मोहक थाप और 'पेपा' (भैंसे के सींग से बनी [[तुरही]]) इस नृत्य का अंग हैं। बिहू नृत्य करते समय पारंपरिक वेशभूषा जैसे [[धोती]], गमछा और चादर व मेखला पहनना अनिवार्य होता है। बिहू नृत्य, इसके विभिन्न रूपों में, फ़सल कटाई के विभिन्न स्तरों पर व नए [[मौसम]] के आगमन पर भी किया जाता है। इसकी सबसे सामान्य रचना गोलाकार अथवा समानान्तर पंक्तियों में होती है। बिहू के नृत्य व [[संगीत]] द्वारा असमवासियों की जीवन शक्ति के सर्वश्रेष्ठ रूप का दिग्दर्शन होता है। | ||
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक2 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | |||
== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
<references/> | |||
==संबंधित लेख== | |||
{{नृत्य कला}} | {{नृत्य कला}} | ||
[[Category:लोक नृत्य]] | [[Category:लोक नृत्य]][[Category:असम]][[Category:असम की संस्कृति]][[Category:कला कोश]][[Category:संस्कृति कोश]][[Category:नृत्य कला]] | ||
__INDEX__ |
Latest revision as of 08:19, 10 February 2021
[[चित्र:Bihu-Dance-Assam.jpg|बिहू नृत्य, असम
Bihu Dance, Assam|thumb|250px]]
बिहू असम का प्राचीनतम व अत्यधिक महत्वपूर्ण उत्सव है। असम में तीन बिहू मनाए जाते हैं-
- बोहाग (बैसाख-अप्रैल के मध्य में)
- माघ (जनवरी के मध्य में), और
- काती (कार्तिक, अक्टूबर के मध्य में)।
प्रत्येक बिहू कृषि कलैन्डर के विशिष्ट अवसर पर पड़ता है। तीनों बिहू उत्सवों में सबसे आकर्षक, वसंत ऋतु का उत्सव 'बोहाग बिहू' अथवा 'रंगाली बिहू' होता है जो मध्य अप्रैल में मनाया जाता है, जिससे कृषि ऋतु का प्रारम्भ होता है। बिहू असम के सबसे ज्यादा प्रचलित लोक नृत्य को दिया गया नाम है, जिसका सभी जवान व बूढ़े, अमीर व ग़रीब आनन्द लेते हैं। नृत्य बिहू उत्सव का अंग हैं, जो मध्य अप्रैल में पड़ता है। जब फ़सल कटाई होती है और जो लगभग एक महीने तक चलती है। इससे असम के कलैन्डर की भी शुरुआत होती है।
बिहू नृत्य युवा लड़के व लड़कियों द्वारा खुले मैदान में किया जाता है, तथापि वे आपस में नहीं मिलते हैं। पूरा गांव नृत्य में हिस्सा लेता है, चूंकि नर्तक घर-घर में जाते हैं। इस नृत्य की पहचान तेज़ीसे क़दम उठाना, हाथों को उछालना व चुटकी बजाना तथा कूल्हे मटकाना है जो कि युवाओं के मनोभाव का द्योतक है। कलाकार कभी-कभी गीत गाते हैं। नृत्य धीमी गति से आरंभ होता है, और जैसे-जैसे नृत्य आगे बढ़ता है इसकी गति तेज़ होती जाती है। 'ढोल' की सम्मोहक थाप और 'पेपा' (भैंसे के सींग से बनी तुरही) इस नृत्य का अंग हैं। बिहू नृत्य करते समय पारंपरिक वेशभूषा जैसे धोती, गमछा और चादर व मेखला पहनना अनिवार्य होता है। बिहू नृत्य, इसके विभिन्न रूपों में, फ़सल कटाई के विभिन्न स्तरों पर व नए मौसम के आगमन पर भी किया जाता है। इसकी सबसे सामान्य रचना गोलाकार अथवा समानान्तर पंक्तियों में होती है। बिहू के नृत्य व संगीत द्वारा असमवासियों की जीवन शक्ति के सर्वश्रेष्ठ रूप का दिग्दर्शन होता है।
|
|
|
|
|