कंदला: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
(''''कंदला''' - संज्ञा पुल्लिंग (संस्कृत कन्दल=सोना)<r...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
No edit summary
 
Line 10: Line 10:


यौगिक- कंदलाकश। कंदलाकचहरी।
यौगिक- कंदलाकश। कंदलाकचहरी।
'''कंदला''' - [[संज्ञा]] [[पुल्लिंग]] ([[संस्कृत]] कन्दल)
एक प्रकार का कचनार।
'''कंदला''' - (काव्य प्रयोग, पुरानी [[हिन्दी]]) [[संज्ञा]] [[पुल्लिंग]] ([[संस्कृत]] कन्दरा)
कंदरा। गुफा।
उदाहरण- दिक्यौ सुवीर कंहला रोह। - [[पृथ्वीराज रासो]]<ref>पृथ्वीराज रासो, खंड 5, सम्पादक मोहनलाल विष्णुलाल पंड्या, [[श्यामसुंदरदास]], [[नागरी प्रचारिणी सभा]], [[काशी]], प्रथम संस्करण</ref>


{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}

Latest revision as of 09:09, 21 October 2021

कंदला - संज्ञा पुल्लिंग (संस्कृत कन्दल=सोना)[1]

1. चांदी की वह गुल्ली या लंबा छड़ जिससे तारकश तार बनाते हैं। पासा। रैनी। गुल्ली।

विशेष- तार बनाने के लिये चाँदी को गलाकर पहले उसका एक लंबा छड़ बनाया जाता है। इस छड़ के दोनों छोर नुकीले होते हैं। अगर सुनहला तार बनाना होता है, तो उसके बीच में सोने का पत्तर चढ़ा देते हैं, फिर इसको यंत्री में खींचते हैं। इस छड़ को सुनार गुल्ली और तारकश कंदला, पासा और रैनी कहते हैं।

मुहावरा-

'कंदला गलाना' = (1) चाँदी और सोना मिलाकर एक साथ गलाना। (2) सोने या चाँदी का पतला तार।

यौगिक- कंदलाकश। कंदलाकचहरी।

कंदला - संज्ञा पुल्लिंग (संस्कृत कन्दल)

एक प्रकार का कचनार।

कंदला - (काव्य प्रयोग, पुरानी हिन्दी) संज्ञा पुल्लिंग (संस्कृत कन्दरा)

कंदरा। गुफा।

उदाहरण- दिक्यौ सुवीर कंहला रोह। - पृथ्वीराज रासो[2]


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिंदी शब्दसागर, द्वितीय भाग |लेखक: श्यामसुंदरदास बी. ए. |प्रकाशक: नागरी मुद्रण, वाराणसी |पृष्ठ संख्या: 725 |
  2. पृथ्वीराज रासो, खंड 5, सम्पादक मोहनलाल विष्णुलाल पंड्या, श्यामसुंदरदास, नागरी प्रचारिणी सभा, काशी, प्रथम संस्करण

संबंधित लेख