कचरई अमौवा: Difference between revisions

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एक प्रकार का अमौवा रंग जो [[आम]] की कचरी के रंग का सा अर्थात हरापन लिये हुए बादामी होता है।
*एक प्रकार का अमौवा रंग जो [[आम]] की कचरी के रंग का सा अर्थात हरापन लिये हुए बादामी होता है।


विशेष- इसकी चाह लोग [[रंग]] के लिये उतनी नहीं करते जितनी सुगंध के लिये करते हैं। बड़े-बड़े आदमियों के लिहाफ और रजाई के अस्तर इस रंग में प्राय: रंगे जाते हैं। पहले कपड़े को [[हल्दी]] के रंग में रंगकर हर्रे के जोशादे में डुबाते हैं। इसके पीछे उसे कसीस में डुवोकर फिटकरी मिले हुए [[अनार]] के जोशादे में रंगते हैं। इस [[रंग]] के तीन भेद होते हैं-  
'''विशेष''' - इसकी चाह लोग [[रंग]] के लिये उतनी नहीं करते जितनी सुगंध के लिये करते हैं। बड़े-बड़े आदमियों के लिहाफ़ और रजाई के अस्तर इस रंग में प्राय: रंगे जाते हैं। पहले कपड़े को [[हल्दी]] के रंग में रंगकर हर्रे के जोशांदे में डुबाते हैं। इसके पीछे उसे कसीस में डुबोकर फिटकरी मिले हुए [[अनार]] के जोशांदे में रंगते हैं। इस [[रंग]] के तीन भेद होते हैं-  
#संदली
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Latest revision as of 09:25, 8 November 2021

कचरई अमौवा - संज्ञा पुल्लिंग (हिन्दी कचरी+अमौवा)[1]

  • एक प्रकार का अमौवा रंग जो आम की कचरी के रंग का सा अर्थात हरापन लिये हुए बादामी होता है।

विशेष - इसकी चाह लोग रंग के लिये उतनी नहीं करते जितनी सुगंध के लिये करते हैं। बड़े-बड़े आदमियों के लिहाफ़ और रजाई के अस्तर इस रंग में प्राय: रंगे जाते हैं। पहले कपड़े को हल्दी के रंग में रंगकर हर्रे के जोशांदे में डुबाते हैं। इसके पीछे उसे कसीस में डुबोकर फिटकरी मिले हुए अनार के जोशांदे में रंगते हैं। इस रंग के तीन भेद होते हैं-

  1. संदली
  2. सूफीयानी
  3. मलयगिरि


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिंदी शब्दसागर, द्वितीय भाग |लेखक: श्यामसुंदरदास बी. ए. |प्रकाशक: नागरी मुद्रण, वाराणसी |पृष्ठ संख्या: 737 |

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