अन्वयव्यतिरेक: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
 
(One intermediate revision by the same user not shown)
Line 1: Line 1:
'''अन्वयव्यतिरेक''' अनुमान में हेतु (धुआँ) और साध्य (भाग) के संबंध का ज्ञान (व्याप्ति) आवश्यक है। जब तक धुएँ और आग के साहचर्य का ज्ञान नहीं है तब तक धुएँ से आग का अनुमान नहीं हो सकता। अनेक उदाहरणों में दोनों के एक साथ रहने से तथा दूसरे उदाहरणों में दोनों का एक साथ अभाव होने से ही हेतुसाध्य का संबंध स्थिर होता है। हेतु और साध्य का एक साथ किसी उदाहरण (रसोईघर) में मिलना अन्वय तथा दोनों का एक साथ अभाव (तालाब) व्यतिरेक कहलाता है१ जिन दो वस्तुओं को एक साथ नहीं देखा गया है उनमें से एक को देखकर दूसरे का अनुमान नहीं किया जा सकता, अत: अन्वय ज्ञान की आवश्यकता है। किंतु धुएँ और आग के अन्वय ज्ञान के बाद यदि आग को देखकर धुएँ का अनुमान किया जाए तो वह गलत होगा क्योंकि आग बिना धुएँ के भी हो सकती है। इस दोष को दूर करने के लिए यह भी आवश्यक है कि हेतुसाध्य के एक साथ अभाव का ज्ञान हो। धुआँ जहाँ नहीं रहता वहाँ भी आग रह सकती है, अत: आग से धुएँ का ज्ञान करना गलत होगा। किंतु जहाँ आग नहीं होती वहाँ धुआँ भी नहीं होता। चूँकि धुआँ आग के साथ रहता है (अन्वय), और जहाँ आग नहीं रहती वहाँ धुआँ भी नहीं रहता (व्यतिरेक), इसलिए धुएँ को देखकर आग का निर्दोष अनुमान किया जा सकता है।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 1|लेखक= |अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक= नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी|संकलन= भारत डिस्कवरी पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=131 |url=}}</ref>
'''अन्वयव्यतिरेक''' [[न्याय दर्शन|न्याय]] के अन्तर्गत सत्य को जानने का एक साधन है।


*अनुमान में हेतु (धुआँ) और साध्य (भाग) के संबंध का ज्ञान (व्याप्ति) आवश्यक है। जब तक धुएँ और [[अग्नि|आग]] के साहचर्य का ज्ञान नहीं है, तब तक धुएँ से आग का अनुमान नहीं हो सकता।
*अनेक उदाहरणों में दोनों के एक साथ रहने से तथा दूसरे उदाहरणों में दोनों का एक साथ अभाव होने से ही हेतुसाध्य का संबंध स्थिर होता है।
*हेतु और साध्य का एक साथ किसी उदाहरण (रसोईघर) में मिलना अन्वय तथा दोनों का एक साथ अभाव (तालाब) व्यतिरेक कहलाता है।
*जिन दो वस्तुओं को एक साथ नहीं देखा गया है, उनमें से एक को देखकर दूसरे का अनुमान नहीं किया जा सकता। अत: अन्वय ज्ञान की आवश्यकता है। किंतु धुएँ और आग के अन्वय ज्ञान के बाद यदि आग को देखकर धुएँ का अनुमान किया जाए तो वह गलत होगा, क्योंकि आग बिना धुएँ के भी हो सकती है। इस दोष को दूर करने के लिए यह भी आवश्यक है कि हेतुसाध्य के एक साथ अभाव का ज्ञान हो।
*धुआँ जहाँ नहीं रहता, वहाँ भी आग रह सकती है। अत: [[अग्नि|आग]] से धुएँ का ज्ञान करना गलत होगा। किंतु जहाँ आग नहीं होती, वहाँ धुआँ भी नहीं होता। चूँकि धुआँ आग के साथ रहता है (अन्वय), और जहाँ आग नहीं रहती, वहाँ धुआँ भी नहीं रहता (व्यतिरेक)। इसलिए धुएँ को देखकर आग का निर्दोष अनुमान किया जा सकता है।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 1|लेखक= |अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक= नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी|संकलन= भारत डिस्कवरी पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=131 |url=}}</ref>


{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
{{लेख प्रगति|आधार= |प्रारम्भिक=प्रारम्भिक2 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
<references/>
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
[[Category:दर्शन]][[Category:हिन्दू दर्शन]]
{{दर्शन शास्त्र}}
[[Category:हिन्दी विश्वकोश]]
[[Category:दर्शन]][[Category:हिन्दू दर्शन]][[Category:न्याय दर्शन]][[Category:दार्शनिक सिद्धान्त]][[Category:धर्म कोश]][[Category:हिन्दू धर्म कोश]][[Category:हिन्दी विश्वकोश]][[Category:दर्शन कोश]]
 
 
 
 
__INDEX__
__INDEX__
__NOTOC__

Latest revision as of 07:32, 4 November 2022

अन्वयव्यतिरेक न्याय के अन्तर्गत सत्य को जानने का एक साधन है।

  • अनुमान में हेतु (धुआँ) और साध्य (भाग) के संबंध का ज्ञान (व्याप्ति) आवश्यक है। जब तक धुएँ और आग के साहचर्य का ज्ञान नहीं है, तब तक धुएँ से आग का अनुमान नहीं हो सकता।
  • अनेक उदाहरणों में दोनों के एक साथ रहने से तथा दूसरे उदाहरणों में दोनों का एक साथ अभाव होने से ही हेतुसाध्य का संबंध स्थिर होता है।
  • हेतु और साध्य का एक साथ किसी उदाहरण (रसोईघर) में मिलना अन्वय तथा दोनों का एक साथ अभाव (तालाब) व्यतिरेक कहलाता है।
  • जिन दो वस्तुओं को एक साथ नहीं देखा गया है, उनमें से एक को देखकर दूसरे का अनुमान नहीं किया जा सकता। अत: अन्वय ज्ञान की आवश्यकता है। किंतु धुएँ और आग के अन्वय ज्ञान के बाद यदि आग को देखकर धुएँ का अनुमान किया जाए तो वह गलत होगा, क्योंकि आग बिना धुएँ के भी हो सकती है। इस दोष को दूर करने के लिए यह भी आवश्यक है कि हेतुसाध्य के एक साथ अभाव का ज्ञान हो।
  • धुआँ जहाँ नहीं रहता, वहाँ भी आग रह सकती है। अत: आग से धुएँ का ज्ञान करना गलत होगा। किंतु जहाँ आग नहीं होती, वहाँ धुआँ भी नहीं होता। चूँकि धुआँ आग के साथ रहता है (अन्वय), और जहाँ आग नहीं रहती, वहाँ धुआँ भी नहीं रहता (व्यतिरेक)। इसलिए धुएँ को देखकर आग का निर्दोष अनुमान किया जा सकता है।[1]


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 1 |प्रकाशक: नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 131 |

संबंधित लेख