भारत रत्न: Difference between revisions
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‘'''भारत रत्न'''’ ([[अंग्रेज़ी]]:''Bharat Ratna'') देश का सर्वोच्च सम्मान है। इस अलंकरण से उन व्यक्तियों को सम्मानित किया जाता है जिन्होंने देश के किसी भी क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण कार्य किए हों, अपने-अपने क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य कर हमारे देश का गौरव बढ़ाया और हमारे देश को अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त हुई। भारत रत्न उच्चतम नागरिक सम्मान है, जो [[कला]], साहित्य, [[विज्ञान]], राजनीतिज्ञ, विचारक, वैज्ञानिक, उद्योगपति, लेखक और समाजसेवी को असाधारण सेवा के लिए तथा उच्च लोक सेवा को मान्यता देने के लिए [[भारत सरकार]] की ओर से दिया जाता है। ‘भारत-रत्न’ उन महान् व्यक्तियों की जीवन गाथा तो है ही, साथ में उन महापुरुषों के जीवन काल का इतिहास भी है। [[मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया| | ‘'''भारत रत्न'''’ ([[अंग्रेज़ी]]:''Bharat Ratna'') देश का सर्वोच्च सम्मान है। इस अलंकरण से उन व्यक्तियों को सम्मानित किया जाता है जिन्होंने देश के किसी भी क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण कार्य किए हों, अपने-अपने क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य कर हमारे देश का गौरव बढ़ाया और हमारे देश को अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त हुई। भारत रत्न उच्चतम नागरिक सम्मान है, जो [[कला]], साहित्य, [[विज्ञान]], राजनीतिज्ञ, विचारक, वैज्ञानिक, उद्योगपति, लेखक और समाजसेवी को असाधारण सेवा के लिए तथा उच्च लोक सेवा को मान्यता देने के लिए [[भारत सरकार]] की ओर से दिया जाता है। ‘भारत-रत्न’ उन महान् व्यक्तियों की जीवन गाथा तो है ही, साथ में उन महापुरुषों के जीवन काल का इतिहास भी है। [[मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया|डॉ. विश्वेश्वरैया]] ने जल की आपूर्ति, बांध आदि की जो योजनाएं बनाईं और उन्हें साकार किया, उनकी उस समय कल्पना कठिन थी। महान् उद्योगपति [[जे. आर. डी. टाटा]] ने विमान-सेवा उस समय आरंभ की जब ठीक ढंग से हवाई अड्डे भी नहीं थे। ‘भारत-रत्न’ ऐसी विभूतियों का चरित्र-चित्रण है जिनके बिना देश का इतिहास अधूरा है। | ||
==‘भारत-रत्न’ सर्वोच्च सम्मान== | ==‘भारत-रत्न’ सर्वोच्च सम्मान== | ||
यह प्रतिवर्ष दिया जाने वाला अलंकरण नहीं। यह किसी व्यक्ति के संपूर्ण व्यक्तित्व और देश के प्रति उसकी अत्यन्त समर्पण भावना के लिए यदा-कदा दिया जाने वाला अलंकरण है। अन्य पुरस्कारों '[[पद्म श्री|पद्मश्री]]', '[[पद्म भूषण]]' और '[[पद्म विभूषण]]' आदि से ‘भारत-रत्न’ श्रेष्ठ पुरस्कार है। यह उन आदर्श महान् पुरुषों को ही दिया जाता है जिनकी जीवन गाथा पुण्य-भागीरथी के समान है, जिसे जानकर एक साधारण मनुष्य अपने आप को पाप मुक्त और निर्मल पाता है। ‘भारत-रत्न’ में ऐसी विभूतियों के दिव्य चरित्र हैं जिन्होंने जीवन को इतनी ऊँचाइयों तक पहुँचाया जहाँ की कोई कल्पना नहीं कर सकता। संभवत: इक़बाल ने ऐसे ही महान् पुरुषों के लिए कहा था- | यह प्रतिवर्ष दिया जाने वाला अलंकरण नहीं। यह किसी व्यक्ति के संपूर्ण व्यक्तित्व और देश के प्रति उसकी अत्यन्त समर्पण भावना के लिए यदा-कदा दिया जाने वाला अलंकरण है। अन्य पुरस्कारों '[[पद्म श्री|पद्मश्री]]', '[[पद्म भूषण]]' और '[[पद्म विभूषण]]' आदि से ‘भारत-रत्न’ श्रेष्ठ पुरस्कार है। यह उन आदर्श महान् पुरुषों को ही दिया जाता है जिनकी जीवन गाथा पुण्य-भागीरथी के समान है, जिसे जानकर एक साधारण मनुष्य अपने आप को पाप मुक्त और निर्मल पाता है। ‘भारत-रत्न’ में ऐसी विभूतियों के दिव्य चरित्र हैं जिन्होंने जीवन को इतनी ऊँचाइयों तक पहुँचाया जहाँ की कोई कल्पना नहीं कर सकता। संभवत: इक़बाल ने ऐसे ही महान् पुरुषों के लिए कहा था- | ||
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यह पुरस्कार [[2 जनवरी]] [[1954]] को प्रारम्भ किया गया था। यह पुरस्कार भारत के प्रथम राष्ट्रपति श्री [[राजेन्द्र प्रसाद]] द्वारा घोषित किया गया था। दूसरे अलंकरणों के भाँति इस सम्मान को भी, नाम के साथ पदवी के रूप में प्रयोग नहीं किया जा सकता है। शुरू में इस सम्मान को 'मरणोपरांत' नहीं दिया जाता था, किंतु [[1955]] के बाद यह निर्णय लिया गया और यह मरणोपरांत भी दिया जाने लगा। [[13 जुलाई]], [[1977]] से [[26 जनवरी]], [[1980]] तक इस पुरस्कार को स्थगित कर दिया गया था। | यह पुरस्कार [[2 जनवरी]] [[1954]] को प्रारम्भ किया गया था। यह पुरस्कार भारत के प्रथम राष्ट्रपति श्री [[राजेन्द्र प्रसाद]] द्वारा घोषित किया गया था। दूसरे अलंकरणों के भाँति इस सम्मान को भी, नाम के साथ पदवी के रूप में प्रयोग नहीं किया जा सकता है। शुरू में इस सम्मान को 'मरणोपरांत' नहीं दिया जाता था, किंतु [[1955]] के बाद यह निर्णय लिया गया और यह मरणोपरांत भी दिया जाने लगा। [[13 जुलाई]], [[1977]] से [[26 जनवरी]], [[1980]] तक इस पुरस्कार को स्थगित कर दिया गया था। | ||
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*स्वतंत्रता सेनानी [[सुभाष चन्द्र बोस|नेताजी सुभाषचन्द्र बोस]] को [[1992]] में 'भारत रत्न' से मरणोपरान्त सम्मानित किया गया था। किंतु उनकी मृत्यु विवादित होने के कारण अनेक प्रश्नों को उठाया गया था। अत: [[भारत सरकार]] ने यह पुरस्कार वापस ले लिया था। यह पुरस्कार वापस लेने का यह एकमात्र उदाहरण है। | *स्वतंत्रता सेनानी [[सुभाष चन्द्र बोस|नेताजी सुभाषचन्द्र बोस]] को [[1992]] में 'भारत रत्न' से मरणोपरान्त सम्मानित किया गया था। किंतु उनकी मृत्यु विवादित होने के कारण अनेक प्रश्नों को उठाया गया था। अत: [[भारत सरकार]] ने यह पुरस्कार वापस ले लिया था। यह पुरस्कार वापस लेने का यह एकमात्र उदाहरण है। | ||
*स्वतंत्र भारत के प्रथम शिक्षा मंत्री [[अबुलकलाम आज़ाद|मौलाना अबुल कलाम आज़ाद]] को जब 'भारत रत्न' दिया गया तो उन्होंने इसका विरोध किया। उनका विचार था कि इसकी चयन समिति में रहे व्यक्ति को यह सम्मान नहीं दिया जाना चाहिये। [[1992]] में उन्हें मरणोपरांत 'भारत रत्न' दिया गया। | *स्वतंत्र भारत के प्रथम शिक्षा मंत्री [[अबुलकलाम आज़ाद|मौलाना अबुल कलाम आज़ाद]] को जब 'भारत रत्न' दिया गया तो उन्होंने इसका विरोध किया। उनका विचार था कि इसकी चयन समिति में रहे व्यक्ति को यह सम्मान नहीं दिया जाना चाहिये। [[1992]] में उन्हें मरणोपरांत 'भारत रत्न' दिया गया। | ||
==किसे मिलता है भारत रत्न== | |||
देश का सर्वोच्च सम्मान 'भारत रत्न' किसे मिलेगा, इसके लिए नाम की सिफारिश [[प्रधानमंत्री]] करते हैं। जिसके बाद [[राष्ट्रपति]] उस शख्स को सम्मानित करते हैं। सम्मान के लिए ऐसे शख्स के नाम की सिफारिश की जाती है जिसकी उपलब्धियां अतुलनीय हों। जिससे लोग वाकिफ हों। जो देश के लिए अहम हो।<ref name="pp">{{cite web |url=https://www.tv9hindi.com/knowledge/bharat-ratna-interesting-facts-how-a-personality-get-bharat-ratna-awardees-get-these-facilities-and-become-vvip-2380901.html |title=भारत रत्न मिलते ही कितना बढ़ता है रुतबा|accessmonthday=30 जनवरी|accessyear=2024 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=tv9hindi.com |language=हिंदी}}</ref> | |||
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सन [[1954]] में जब इसकी शुरुआत हुई तो इसे केवल जीवित लोगों को दिया गया, लेकिन अगले ही साल यानी [[1955]] में इसे मरणोपरांत देने की शुरुआत हुई। एक साल में 3 से ज्यादा भारत रत्न नहीं दिया जाता। आमतौर से यह सम्मान [[26 जनवरी]] को दिया जाता है, इससे पहले केंद्र सरकार सम्मानित होने वाले शख्स के नाम की घोषणा करती है। इसके लिए बकायदा राजपत्र के जरिए नोटिफिकेशन जारी किया जाता है। [[2024]] में [[कर्पूरी ठाकुर]] से पहले यह सम्मान [[2019]] में प्रसिद्ध गायक और संगीतकार [[भूपेन हजारिका]] को दिया गया था। | |||
==सुविधायें== | |||
भारत रत्न सम्मान पाने वाले शख्स को कई सुविधाएं मिलती हैं। ये वे सुविधाएं होती हैं, जो उन्हें वीवीआईपी की कैटेगरी में लाकर खड़ा कर देती हैं। इन्हें सरकार की तरफ से कई सुविधाएं मिलती हैं। जैसे- रेलवे की तरफ से मुफ्त यात्रा की सुविधा मिलती है। केंद्र सरकार इन्हें वॉरंट ऑफ प्रेसिडेंस में जगह देती है। यह वो प्रोटोकॉल है जो [[राष्ट्रपति]], [[उपराष्ट्रपति]], [[प्रधानमंत्री]], [[राज्यपाल]], पूर्व राष्ट्रपति, उपप्रधानमंत्री, [[भारत के मुख्य न्यायाधीश|मुख्य न्यायाधीश]], [[लोकसभा अध्यक्ष]], कैबिनेट मंत्री, [[मुख्यमंत्री]], पूर्व पीएम और [[संसद]] के विपक्ष के नेता को मिलता है।<ref name="pp"/> | |||
वॉरंट ऑफ प्रेसिडेंस प्रोटोकॉल के जरिए ही यह तय किया जाता है कि सरकारी कार्यक्रमों में कौन आगे बैठेगा और कौन पीछे। इसके अलावा इन्हें डिप्लोमेट पासपोर्ट मिलता है। किसी राज्य के सरकारी गेस्ट हाउस में रुकने की सुविधा मिलती है। इन्हें राज्य में परिवहन, भोजन और आवास की सुविधा प्रदान की जाती है। सम्मान पाने वाले शख्स को भारतीय राजनयिकों और शीर्ष रैंकिंग वाले सरकारी अधिकारियों को मैरून कवर वाला डिप्लोमैटिक पासपोर्ट मिलता है। इसके साथ ही ताउम्र फ्री हवाई यात्रा करने की सुविधा मिलती है। | |||
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Latest revision as of 10:06, 30 January 2024
भारत रत्न
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विवरण | 'भारत रत्न' उच्चतम नागरिक सम्मान है, जो कला, साहित्य, विज्ञान, राजनीतिज्ञ, विचारक, वैज्ञानिक, उद्योगपति, लेखक और समाजसेवी को असाधारण सेवा के लिए तथा उच्च लोक सेवा को मान्यता देने के लिए भारत सरकार की ओर से दिया जाता है। |
शुरुआत | 2 जनवरी, 1954 |
स्वरूप | तांबे के बने पीपल के पत्ते पर प्लेटिनम का चमकता सूर्य का चिह्न होता है जिसके नीचे चाँदी में लिखा रहता है "भारत रत्न" और यह सफ़ेद फीते के साथ गले में पहना जाता है। |
सर्वप्रथम सम्मानित | सर्वपल्ली राधाकृष्णन, चंद्रशेखर वेंकट रामन और सी. राजगोपालाचारी |
अंतिम सम्मानित | प्रणब मुखर्जी, नानाजी देशमुख और भूपेन हज़ारिका |
कुल सम्मानित | 48[1] |
विशेष | कोई लिखित प्रावधान नहीं है कि 'भारत रत्न' केवल भारतीय नागरिकों को ही दिया जाएगा। |
संबंधित लेख | 'पद्मश्री', 'पद्म भूषण' और 'पद्म विभूषण' |
अन्य जानकारी | नेताजी सुभाषचन्द्र बोस को 1992 में 'भारत रत्न' से मरणोपरान्त सम्मानित किया गया था। किंतु उनकी मृत्यु विवादित होने के कारण अनेक प्रश्नों को उठाया गया। अत: भारत सरकार ने यह पुरस्कार वापस ले लिया था। यह पुरस्कार वापस लेने का यह एकमात्र उदाहरण है। |
अद्यतन | 15:36, 30 जनवरी 2024 (IST)
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‘भारत रत्न’ (अंग्रेज़ी:Bharat Ratna) देश का सर्वोच्च सम्मान है। इस अलंकरण से उन व्यक्तियों को सम्मानित किया जाता है जिन्होंने देश के किसी भी क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण कार्य किए हों, अपने-अपने क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य कर हमारे देश का गौरव बढ़ाया और हमारे देश को अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त हुई। भारत रत्न उच्चतम नागरिक सम्मान है, जो कला, साहित्य, विज्ञान, राजनीतिज्ञ, विचारक, वैज्ञानिक, उद्योगपति, लेखक और समाजसेवी को असाधारण सेवा के लिए तथा उच्च लोक सेवा को मान्यता देने के लिए भारत सरकार की ओर से दिया जाता है। ‘भारत-रत्न’ उन महान् व्यक्तियों की जीवन गाथा तो है ही, साथ में उन महापुरुषों के जीवन काल का इतिहास भी है। डॉ. विश्वेश्वरैया ने जल की आपूर्ति, बांध आदि की जो योजनाएं बनाईं और उन्हें साकार किया, उनकी उस समय कल्पना कठिन थी। महान् उद्योगपति जे. आर. डी. टाटा ने विमान-सेवा उस समय आरंभ की जब ठीक ढंग से हवाई अड्डे भी नहीं थे। ‘भारत-रत्न’ ऐसी विभूतियों का चरित्र-चित्रण है जिनके बिना देश का इतिहास अधूरा है।
‘भारत-रत्न’ सर्वोच्च सम्मान
यह प्रतिवर्ष दिया जाने वाला अलंकरण नहीं। यह किसी व्यक्ति के संपूर्ण व्यक्तित्व और देश के प्रति उसकी अत्यन्त समर्पण भावना के लिए यदा-कदा दिया जाने वाला अलंकरण है। अन्य पुरस्कारों 'पद्मश्री', 'पद्म भूषण' और 'पद्म विभूषण' आदि से ‘भारत-रत्न’ श्रेष्ठ पुरस्कार है। यह उन आदर्श महान् पुरुषों को ही दिया जाता है जिनकी जीवन गाथा पुण्य-भागीरथी के समान है, जिसे जानकर एक साधारण मनुष्य अपने आप को पाप मुक्त और निर्मल पाता है। ‘भारत-रत्न’ में ऐसी विभूतियों के दिव्य चरित्र हैं जिन्होंने जीवन को इतनी ऊँचाइयों तक पहुँचाया जहाँ की कोई कल्पना नहीं कर सकता। संभवत: इक़बाल ने ऐसे ही महान् पुरुषों के लिए कहा था-
खुदी को कर बुलंद इतना कि हर तकदीर से पहले ख़ुदा बन्दे से खुद पूछे बता तेरी रज़ा क्या है ?
‘भारत-रत्न’ अनेक महान् व्यक्तियों की जीवन-गाथा के साथ यह भारत के उस काल का इतिहास भी है, जिस काल से इन आदर्श पुरुषों का संबंध रहा। ‘भारत-रत्न’ केवल राजनेताओं का ही नहीं वरन् इसमें वे लोग भी सम्मिलित हैं जिन्होंने देश को नई उपलब्धि दी और देश को प्रगति के मार्ग पर अग्रसर करने का यत्न किया।
स्वरूप
इस पुरस्कार के रूप में दिए जाने वाले सम्मान की मूल रूप-रेखा 35 मिलिमीटर व्यास वाला गोलाकार स्वर्ण पदक है जिस पर सूर्य और ऊपर हिन्दी भाषा में भारत रत्न और नीचे एक फूलों का गुलदस्ता बना होता है पीछे की ओर शासकीय संकेत और आदर्श-वाक्य लिखा होता है। इसे सफ़ेद फीते में डालकर गले में पहनाया जाता है। एक वर्ष बाद इस डिजाइन को बदल दिया गया था। तांबे के बने पीपल के पत्ते पर प्लेटिनम का चमकता सूर्य बना दिया गया। जिसके नीचे चाँदी में लिखा रहता है "भारत रत्न" और यह सफ़ेद फीते के साथ गले में पहना जाता है।
इतिहास
यह पुरस्कार 2 जनवरी 1954 को प्रारम्भ किया गया था। यह पुरस्कार भारत के प्रथम राष्ट्रपति श्री राजेन्द्र प्रसाद द्वारा घोषित किया गया था। दूसरे अलंकरणों के भाँति इस सम्मान को भी, नाम के साथ पदवी के रूप में प्रयोग नहीं किया जा सकता है। शुरू में इस सम्मान को 'मरणोपरांत' नहीं दिया जाता था, किंतु 1955 के बाद यह निर्णय लिया गया और यह मरणोपरांत भी दिया जाने लगा। 13 जुलाई, 1977 से 26 जनवरी, 1980 तक इस पुरस्कार को स्थगित कर दिया गया था।
परम्परा
भारत रत्न पुरस्कार की परम्परा 1954 में शुरू हुई थी।
- भारत रत्न 26 जनवरी को भारत के राष्ट्रपति द्वारा दिया जाता है।
- सबसे पहला पुरस्कार प्रसिद्ध वैज्ञानिक चंद्रशेखर वेंकटरमन को दिया गया था। तब से अनेक विशिष्ट जनों को अपने-अपने क्षेत्र में उत्कृष्टता पाने के लिए यह पुरस्कार प्रस्तुत किया गया है।
- जनता पार्टी द्वारा इस पुरस्कार को 1977 में बंद कर दिया गया था किंतु 1980 में कांग्रेस सरकर ने इसे फिर से दोबारा शुरू किया।
- 1980 में दोबारा शुरू होने पर इसे सर्वप्रथम मदर टेरेसा ने प्राप्त किया था।
- हमारे भूतपूर्व राष्ट्रपति, वैज्ञानिक डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम को भी 1997 में यह प्रतिष्ठित पुरस्कार दिया गया।
- इसका कोई लिखित प्रावधान नहीं है कि 'भारत रत्न' केवल भारतीय नागरिकों को ही दिया जाएगा।
- यह पुरस्कार स्वाभाविक रूप से भारतीय नागरिक बन चुकी 'एग्नेस गोंखा बोजाखियू', जिन्हें हम मदर टेरेसा के नाम से जानते हैं, को दिया गया।
- दो अन्य अभारतीय - ख़ान अब्दुलगफ़्फ़ार ख़ान को 1987 में और नेल्सन मंडेला को 1990 में यह पुरस्कार दिया गया।
- यह भी अनिवार्य नहीं है कि भारत रत्न सम्मान प्रतिवर्ष दिया जाएगा।
- मरणोपरांत सर्वप्रथम लालबहादुर शास्त्री को भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।
- श्री सत्यपाल आनन्द ने राजीव गाँधी को मरणोपरांत भारत रत्न देने की प्रक्रिया को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी।
विरोधाभास
- स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाषचन्द्र बोस को 1992 में 'भारत रत्न' से मरणोपरान्त सम्मानित किया गया था। किंतु उनकी मृत्यु विवादित होने के कारण अनेक प्रश्नों को उठाया गया था। अत: भारत सरकार ने यह पुरस्कार वापस ले लिया था। यह पुरस्कार वापस लेने का यह एकमात्र उदाहरण है।
- स्वतंत्र भारत के प्रथम शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आज़ाद को जब 'भारत रत्न' दिया गया तो उन्होंने इसका विरोध किया। उनका विचार था कि इसकी चयन समिति में रहे व्यक्ति को यह सम्मान नहीं दिया जाना चाहिये। 1992 में उन्हें मरणोपरांत 'भारत रत्न' दिया गया।
किसे मिलता है भारत रत्न
देश का सर्वोच्च सम्मान 'भारत रत्न' किसे मिलेगा, इसके लिए नाम की सिफारिश प्रधानमंत्री करते हैं। जिसके बाद राष्ट्रपति उस शख्स को सम्मानित करते हैं। सम्मान के लिए ऐसे शख्स के नाम की सिफारिश की जाती है जिसकी उपलब्धियां अतुलनीय हों। जिससे लोग वाकिफ हों। जो देश के लिए अहम हो।[2]
क्या-क्या मिलता है
चयनित व्यक्ति को भारत के राष्ट्रपति प्रमाणपत्र और पदक देकर सम्मानित करते हैं, जिस पर उनके हस्ताक्षर होते हैं। प्रमाणपत्र को सनद कहते हैं। वहीं पीपल के पत्ते के आकार वाले पदक के एक तरफ प्लेटिनम का चमकता सूर्य और पीछे की तरफ अशोक स्तंभ होता है। सरकार की तरफ से जारी जानकारी के मुताबिक, एक भारत रत्न पदक और उसके बॉक्स सहित मिनिएचर की कुल लागत 2,57,732 रुपए है। इस सम्मान के साथ किसी भी तरह की कोई धनराशि नहीं दी जाती। हालांकि यह जरूरी नहीं है कि हर साल भारत रत्न की घोषणा की जाए।
सन 1954 में जब इसकी शुरुआत हुई तो इसे केवल जीवित लोगों को दिया गया, लेकिन अगले ही साल यानी 1955 में इसे मरणोपरांत देने की शुरुआत हुई। एक साल में 3 से ज्यादा भारत रत्न नहीं दिया जाता। आमतौर से यह सम्मान 26 जनवरी को दिया जाता है, इससे पहले केंद्र सरकार सम्मानित होने वाले शख्स के नाम की घोषणा करती है। इसके लिए बकायदा राजपत्र के जरिए नोटिफिकेशन जारी किया जाता है। 2024 में कर्पूरी ठाकुर से पहले यह सम्मान 2019 में प्रसिद्ध गायक और संगीतकार भूपेन हजारिका को दिया गया था।
सुविधायें
भारत रत्न सम्मान पाने वाले शख्स को कई सुविधाएं मिलती हैं। ये वे सुविधाएं होती हैं, जो उन्हें वीवीआईपी की कैटेगरी में लाकर खड़ा कर देती हैं। इन्हें सरकार की तरफ से कई सुविधाएं मिलती हैं। जैसे- रेलवे की तरफ से मुफ्त यात्रा की सुविधा मिलती है। केंद्र सरकार इन्हें वॉरंट ऑफ प्रेसिडेंस में जगह देती है। यह वो प्रोटोकॉल है जो राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल, पूर्व राष्ट्रपति, उपप्रधानमंत्री, मुख्य न्यायाधीश, लोकसभा अध्यक्ष, कैबिनेट मंत्री, मुख्यमंत्री, पूर्व पीएम और संसद के विपक्ष के नेता को मिलता है।[2]
वॉरंट ऑफ प्रेसिडेंस प्रोटोकॉल के जरिए ही यह तय किया जाता है कि सरकारी कार्यक्रमों में कौन आगे बैठेगा और कौन पीछे। इसके अलावा इन्हें डिप्लोमेट पासपोर्ट मिलता है। किसी राज्य के सरकारी गेस्ट हाउस में रुकने की सुविधा मिलती है। इन्हें राज्य में परिवहन, भोजन और आवास की सुविधा प्रदान की जाती है। सम्मान पाने वाले शख्स को भारतीय राजनयिकों और शीर्ष रैंकिंग वाले सरकारी अधिकारियों को मैरून कवर वाला डिप्लोमैटिक पासपोर्ट मिलता है। इसके साथ ही ताउम्र फ्री हवाई यात्रा करने की सुविधा मिलती है।
भारत रत्न सम्मानित व्यक्तित्व सूची
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टीका-टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ अब तक कुल 48 लोगों को भारत रत्न से सम्मानित किया गया है जिसमें दो विदेशी नागरिक (ख़ान अब्दुलगफ़्फ़ार ख़ान और नेल्सन मंडेला) भी शामिल हैं।
- ↑ 2.0 2.1 भारत रत्न मिलते ही कितना बढ़ता है रुतबा (हिंदी) tv9hindi.com। अभिगमन तिथि: 30 जनवरी, 2024।
बाहरी कड़ियाँ
- भारत रत्न सम्मानित व्यक्तित्व सूची, भारत सरकार
- भारत रत्न, भारत सरकार
- Those who said no to top awards, Times Of India
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