कुछ तो कह जाते -आदित्य चौधरी: Difference between revisions
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"हम नेता बनना चाहते हैं।" छोटे पहलवान ने अपनी पहचान वाले एक नेता जी | "हम नेता बनना चाहते हैं।" छोटे पहलवान ने अपनी पहचान वाले एक नेता जी से सकुचाने का हास्यास्पद उपक्रम करते हुए कहा। | ||
नेताजी अपने 55 साला चेहरे पर इस तरह के भाव लाए जैसे किसी इंटर कॉलेज के टीचर से कोई प्राइमरी का सवाल पूछ लिया हो। वो बहुत ज़्यादा अपनापन ओढ़ कर बोले- | नेताजी अपने 55 साला चेहरे पर इस तरह के भाव लाए जैसे किसी इंटर कॉलेज के टीचर से कोई प्राइमरी का सवाल पूछ लिया हो। वो बहुत ज़्यादा अपनापन ओढ़ कर बोले- | ||
"वाह ! तुम नेता बनना चाहते हो... इतनी सी बात... तो इस मामले में तो थोड़ी लम्बी बातचीत होगी... पास ही के कॉफ़ी हाउस में चलते हैं।" | "वाह ! तुम नेता बनना चाहते हो... इतनी सी बात... तो इस मामले में तो थोड़ी लम्बी बातचीत होगी... पास ही के कॉफ़ी हाउस में चलते हैं।" | ||
कॉफ़ी हाउस पहुँच कर उन्होंने तीन कॉफ़ी और एक ठंडा पेय मंगाया। एक कॉफ़ी छोटे पहलवान को | कॉफ़ी हाउस पहुँच कर उन्होंने तीन कॉफ़ी और एक ठंडा पेय मंगाया। एक कॉफ़ी छोटे पहलवान को दे दी और एक ख़ुद पीने लगे बाक़ी जो एक कॉफ़ी और एक सॉफ़्ट ड्रिंक थी वो ऐसे ही मेज़ पर रखी रही। | ||
"नेता तो तुम बन ही सकते हो लेकिन... हमारे देश में नेता बनने के लिए कुछ न कुछ गुण अवश्य होने चाहिए।" | "नेता तो तुम बन ही सकते हो लेकिन... हमारे देश में नेता बनने के लिए कुछ न कुछ गुण अवश्य होने चाहिए।" | ||
छोटे पहलवान ने पूछा-'जैसे ?' | छोटे पहलवान ने पूछा-'जैसे ?' | ||
उन्होंने कहा- "जैसे कि आप अच्छे वक्ता हों, आवाज़ बुलन्द हो। जिससे कि आपका लच्छेदार भाषण सुनने भीड़ इकट्ठी हो जाए, अगर भाषण देना नहीं आता हो तो बहुत ज़ोरदार नारे लगाना ही आता हो... नारों की आवाज़ बड़े-बड़े नेताओं को भावुक कर देती है।" | उन्होंने कहा- "जैसे कि आप अच्छे वक्ता हों, आवाज़ बुलन्द हो। जिससे कि आपका लच्छेदार भाषण सुनने भीड़ इकट्ठी हो जाए, अगर भाषण देना नहीं आता हो तो बहुत ज़ोरदार नारे लगाना ही आता हो... नारों की आवाज़ बड़े-बड़े नेताओं को भावुक कर देती है।" | ||
उन्होंने धारा प्रवाह कहना शुरू किया- | उन्होंने धारा प्रवाह कहना शुरू किया- | ||
या फिर | |||
आप संगठन की क्षमता रखते हों। आप एक संगठन खड़ा कर सकते हैं। हज़ारों लोग आपके साथ हो जायेंगे। संगठन नहीं कर सकते तो लड़वा दें। लड़वाने की कला राजनीति में कमाल के फ़ायदे दिलवाती है। औरों को लड़वाकर खुद फ़ायदा उठा लें। | आप संगठन की क्षमता रखते हों। आप एक संगठन खड़ा कर सकते हैं। हज़ारों लोग आपके साथ हो जायेंगे। संगठन नहीं कर सकते तो लड़वा दें। लड़वाने की कला राजनीति में कमाल के फ़ायदे दिलवाती है। औरों को लड़वाकर खुद फ़ायदा उठा लें। | ||
या फिर | या फिर |
Revision as of 15:11, 26 May 2012
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टीका टिप्पणी और संदर्भ