बिन्दुसर सरोवर: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
(''''बिन्दुसर सरोवर''' को महाभारत, [[सभापर्व महाभारत|सभा...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
No edit summary |
||
Line 6: | Line 6: | ||
</blockquote> | </blockquote> | ||
*इसी वर्णन में मय दानव के बिन्दुसर तथा मैनाक पर्वत जाते समय कहा गया है कि वह [[इंद्रप्रस्थ]] से पूर्वोत्तर दिशा में और [[कैलास पर्वत|कैलास]] के उत्तर की ओर गया था- | *इसी वर्णन में मय दानव के बिन्दुसर तथा [[मैनाक|मैनाक पर्वत]] जाते समय कहा गया है कि वह [[इंद्रप्रस्थ]] से पूर्वोत्तर दिशा में और [[कैलास पर्वत|कैलास]] के उत्तर की ओर गया था- | ||
<blockquote>'इत्युक्त्वा सोऽसुर: पार्थ प्रागदीचीं दिशं गत:, अथोत्तरेण कैलासान् मैनाकपर्वतं प्रति।<ref>'महाभारत, सभापर्व 3, 9.</ref> | <blockquote>'इत्युक्त्वा सोऽसुर: पार्थ प्रागदीचीं दिशं गत:, अथोत्तरेण कैलासान् मैनाकपर्वतं प्रति।<ref>'महाभारत, सभापर्व 3, 9.</ref> | ||
Line 16: | Line 16: | ||
इससे भी उपर्युक्त विवेचन की पुष्टि होती है। | इससे भी उपर्युक्त विवेचन की पुष्टि होती है। | ||
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | {{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | ||
Line 25: | Line 24: | ||
{{पौराणिक स्थान}} | {{पौराणिक स्थान}} | ||
[[Category:पौराणिक स्थान]][[Category:पौराणिक कोश]][[Category:महाभारत]][[Category:रामायण]] | [[Category:पौराणिक स्थान]][[Category:पौराणिक कोश]][[Category:महाभारत]][[Category:रामायण]] | ||
__INDEX__ | __INDEX__ |
Revision as of 10:53, 24 October 2013
बिन्दुसर सरोवर को महाभारत, सभापर्व[1] में मैनाक पर्वत[2] के निकट बताया गया है। यहीं पर असुरराज वृषपर्वा ने एक महायज्ञ किया था।
- प्रसंग के अनुसार बिन्दुसर के समीप मय दानव ने एक विचित्र मणिमय भांड तैयार करके रखा था। यहीं वरुण की एक गदा भी थी। इन दोनों वस्तुओं को मय दानव युधिष्ठिर की राजसभा का निर्माण करने के पूर्व बिन्दुसर से ले आया था-
'चित्रं मणिमयं भांडं रम्यं बिन्दुसरं प्रति, सभायां सत्यसंधस्य यदासीद् वृषपर्वण:। मन: प्रह्लादिनीं चित्रां सर्वरत्नविभूषिताम्, अस्ति बिन्दुसरस्युग्रागदा च कुरुनंदन।'[3]
- इसी वर्णन में मय दानव के बिन्दुसर तथा मैनाक पर्वत जाते समय कहा गया है कि वह इंद्रप्रस्थ से पूर्वोत्तर दिशा में और कैलास के उत्तर की ओर गया था-
'इत्युक्त्वा सोऽसुर: पार्थ प्रागदीचीं दिशं गत:, अथोत्तरेण कैलासान् मैनाकपर्वतं प्रति।[4]
- उपर्युकत निर्देश से यह स्पष्ट है कि बिन्दुसर तथा मैनाक, दोनों कैलास के उत्तर में और इंद्रप्रस्थ की पूर्वोत्तर दिशा में स्थित थे।
- संभवत: बिन्दुसर मानसरोवर या उसके निकटवर्ती किसी अन्य सरोवर का नाम रहा होगा।
- वाल्मीकि रामायण, बालकांड[5] में गंगा का शिव द्वारा बिन्दुसर की ओर छोड़े जाने का उल्लेख है-
'विसर्सज ततो गंगां हरो बिन्दुसरंप्रति।'
इससे भी उपर्युक्त विवेचन की पुष्टि होती है।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 624 |