User:रविन्द्र प्रसाद/1: Difference between revisions
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-[[वत्सनाभ]] | -[[वत्सनाभ]] | ||
-नीलकंठ | -नीलकंठ | ||
||[[चित्र:Shiv-drinking-Poison.jpg|right|80px|विष का पान करते भगवान शिव]]'हलाहल विष' [[देवता|देवताओं]] और [[असुर|असुरों]] द्वारा मिलकर किये गए [[समुद्र मंथन]] के समय निकला था। मंथन के फलस्वरूप जो चौदह मूल्यवान वस्तुएँ प्राप्त हुई थीं, उनमें से [[हलाहल विष]] सबसे पहले निकला था। हलाहल विष की ज्वाला से सभी देवता तथा असुर जलने लगे और उनकी कान्ति फीकी पड़ने लगी। इस पर सभी ने मिलकर भगवान शंकर की प्रार्थना की। देवताओं तथा असुरों की प्रार्थना पर [[शिव|महादेव शिव]] उस विष को हथेली पर रख कर उसे पी गये, किन्तु उसे कण्ठ से नीचे नहीं उतरने दिया। उस कालकूट विष के प्रभाव से [[शिव]] का कण्ठ नीला पड़ गया। इसीलिये महादेव को 'नीलकण्ठ' कहा जाने लगा।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[]] | ||[[चित्र:Shiv-drinking-Poison.jpg|right|80px|विष का पान करते भगवान शिव]]'हलाहल विष' [[देवता|देवताओं]] और [[असुर|असुरों]] द्वारा मिलकर किये गए [[समुद्र मंथन]] के समय निकला था। मंथन के फलस्वरूप जो चौदह मूल्यवान वस्तुएँ प्राप्त हुई थीं, उनमें से [[हलाहल विष]] सबसे पहले निकला था। हलाहल विष की ज्वाला से सभी देवता तथा असुर जलने लगे और उनकी कान्ति फीकी पड़ने लगी। इस पर सभी ने मिलकर भगवान शंकर की प्रार्थना की। देवताओं तथा असुरों की प्रार्थना पर [[शिव|महादेव शिव]] उस विष को हथेली पर रख कर उसे पी गये, किन्तु उसे कण्ठ से नीचे नहीं उतरने दिया। उस कालकूट विष के प्रभाव से [[शिव]] का कण्ठ नीला पड़ गया। इसीलिये महादेव को 'नीलकण्ठ' कहा जाने लगा।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[हलाहल विष]], [[शिव]] | ||
{[[समुद्र मंथन]] हेतु जिस [[पर्वत]] को मथानी बनाया गया, वह कौन-सा था?(पृ.सं.-18 | {[[समुद्र मंथन]] हेतु जिस [[पर्वत]] को मथानी बनाया गया, वह कौन-सा था?(पृ.सं.-18 | ||
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-[[हिमालय]] | -[[हिमालय]] | ||
-मैनाक | -मैनाक | ||
+मंदराचल | +[[मंदराचल पर्वत|मंदराचल]] | ||
-[[गिरनार पर्वत|गिरनार]] | -[[गिरनार पर्वत|गिरनार]] | ||
||'मंदराचल' या 'मंदार' पर्वत का उल्लेख पौराणिक धर्म ग्रंथों और [[हिन्दू]] मान्यताओं में हुआ है। [[समुद्र मंथन]] की जिस घटना का उल्लेख हिन्दू धार्मिक ग्रंथों में हुआ है, उनके अनुसार [[मंदार पर्वत]] को मंथन के समय मथानी की तरह प्रयोग किया गया था। सदियों से खड़ा मंदार पर्वत आज भी लोगों की आस्था का केन्द्र बना हुआ है। यह प्रसिद्ध पर्वत [[बिहार|बिहार राज्य]] के [[बाँका ज़िला|बाँका ज़िले]] के बौंसी गाँव में स्थित है। इस [[पर्वत]] की ऊँचाई लगभग 700 से 750 फुट है। यह [[भागलपुर]] से 30-35 मील की दूरी पर स्थित है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[मंदराचल पर्वत]] | |||
{'[[रामायण]]' के सबसे बड़े कांड का क्या नाम है?(पृ.सं.-18 | {'[[रामायण]]' के सबसे बड़े कांड का क्या नाम है?(पृ.सं.-18 |
Revision as of 12:49, 17 May 2013
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