अफ़ज़ल ख़ाँ: Difference between revisions
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'''अफ़ज़ल ख़ाँ''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Afzal Khan'') [[बीजापुर]] के सुल्तान का सेनापति था, जिसे लगभग 15,000 सैनिकों के साथ [[शिवाजी]] का दमन करने के लिए भेजा गया था, जो उस समय विद्रोही शक्ति के रूप में उभर रहे थे। | '''अफ़ज़ल ख़ाँ''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Afzal Khan'') [[बीजापुर]] के [[सुल्तान]] का सेनापति था, जिसे लगभग 15,000 सैनिकों के साथ [[शिवाजी]] का दमन करने के लिए भेजा गया था, जो उस समय विद्रोही शक्ति के रूप में उभर रहे थे। यह मोहम्मदशाह के एक शाही बावर्चिन के कुक्ष से उत्पन्न अवैध पुत्र कहा जाता है। इसकी गणना [[बीजापुर]] राज्य के श्रेष्ठतम सामंतों और सेनानायकों में थी। 1649 में इसे वाई का [[राज्यपाल]] बनाया गया था और 1654 में कनकगिरि का। | ||
*मुगलों के विरुद्ध तथा [[कर्नाटक]] युद्ध में इसने बड़ी वीरता का प्रदर्शन किया था, किंतु शीरा के कस्तूरीरंग को सुरक्षा का आश्वासन देकर भी उसका वध कर देने से इसके विश्वासघात की कुख्याति फैल गई थी। पतनोन्मुख [[बीजापुर]] एक ओर मुगलों से आतंकित था, तो दूसरी ओर [[शिवाजी]] के उत्थान ने परिस्थिति गंभीर बना दी थी। अफ़ज़ल खाँ स्वयं शाहजी तथा उनके पुत्रों से तीव्र वैमनस्य रखता था। अघा खाँ के विद्रोह से शाहजी को जानबूझकर समयोचित सहायता न देने से, उसके पुत्र [[शंभुजी]] की युद्धक्षेत्र में मृत्यु हो गई। शिवाजी को दबाने के लिए राजाज्ञा से अफ़ज़ल ने शहजी को बंदी बनाया।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 1|लेखक= |अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक= नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी|संकलन= भारत डिस्कवरी पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=154 |url=}}</ref> | |||
*प्रारम्भ में अफ़ज़ल ख़ाँ सफलता प्राप्त करता हुआ 15 दिनों के भीतर [[सतारा]] से 20 मील दूर 'वाई' नामक स्थान तक पहुँच गया, लेकिन शिवाजी [[प्रतापगढ़ महाराष्ट्र|प्रतापगढ़ क़िले]] में सुरक्षित थे। जब अफ़ज़ल ख़ाँ शिवाजी को उस क़िले से बाहर निकालने में सफल नहीं हुआ तो उसने सुलह की बात चलायी और दोनों के एक खेमे में मिलने की बात तय हुई। | *प्रारम्भ में अफ़ज़ल ख़ाँ सफलता प्राप्त करता हुआ 15 दिनों के भीतर [[सतारा]] से 20 मील दूर 'वाई' नामक स्थान तक पहुँच गया, लेकिन शिवाजी [[प्रतापगढ़ महाराष्ट्र|प्रतापगढ़ क़िले]] में सुरक्षित थे। जब अफ़ज़ल ख़ाँ शिवाजी को उस क़िले से बाहर निकालने में सफल नहीं हुआ तो उसने सुलह की बात चलायी और दोनों के एक खेमे में मिलने की बात तय हुई। | ||
*शिवाजी को अफ़ज़ल ख़ाँ की ओर से धोखेबाज़ी का संदेह था, इसलिए उन्होंने कपड़ों के नीचे बख़्तर पहन लिया और अपने हाथ में बघनखा लगा लिया ताकि अफ़ज़ल ख़ाँ की ओर से घात होने पर उसका प्रतिकार कर सकें। | *शिवाजी को अफ़ज़ल ख़ाँ की ओर से धोखेबाज़ी का संदेह था, इसलिए उन्होंने कपड़ों के नीचे बख़्तर पहन लिया और अपने हाथ में बघनखा लगा लिया ताकि अफ़ज़ल ख़ाँ की ओर से घात होने पर उसका प्रतिकार कर सकें। | ||
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Revision as of 07:23, 27 May 2018
अफ़ज़ल ख़ाँ (अंग्रेज़ी: Afzal Khan) बीजापुर के सुल्तान का सेनापति था, जिसे लगभग 15,000 सैनिकों के साथ शिवाजी का दमन करने के लिए भेजा गया था, जो उस समय विद्रोही शक्ति के रूप में उभर रहे थे। यह मोहम्मदशाह के एक शाही बावर्चिन के कुक्ष से उत्पन्न अवैध पुत्र कहा जाता है। इसकी गणना बीजापुर राज्य के श्रेष्ठतम सामंतों और सेनानायकों में थी। 1649 में इसे वाई का राज्यपाल बनाया गया था और 1654 में कनकगिरि का।
- मुगलों के विरुद्ध तथा कर्नाटक युद्ध में इसने बड़ी वीरता का प्रदर्शन किया था, किंतु शीरा के कस्तूरीरंग को सुरक्षा का आश्वासन देकर भी उसका वध कर देने से इसके विश्वासघात की कुख्याति फैल गई थी। पतनोन्मुख बीजापुर एक ओर मुगलों से आतंकित था, तो दूसरी ओर शिवाजी के उत्थान ने परिस्थिति गंभीर बना दी थी। अफ़ज़ल खाँ स्वयं शाहजी तथा उनके पुत्रों से तीव्र वैमनस्य रखता था। अघा खाँ के विद्रोह से शाहजी को जानबूझकर समयोचित सहायता न देने से, उसके पुत्र शंभुजी की युद्धक्षेत्र में मृत्यु हो गई। शिवाजी को दबाने के लिए राजाज्ञा से अफ़ज़ल ने शहजी को बंदी बनाया।[1]
- प्रारम्भ में अफ़ज़ल ख़ाँ सफलता प्राप्त करता हुआ 15 दिनों के भीतर सतारा से 20 मील दूर 'वाई' नामक स्थान तक पहुँच गया, लेकिन शिवाजी प्रतापगढ़ क़िले में सुरक्षित थे। जब अफ़ज़ल ख़ाँ शिवाजी को उस क़िले से बाहर निकालने में सफल नहीं हुआ तो उसने सुलह की बात चलायी और दोनों के एक खेमे में मिलने की बात तय हुई।
- शिवाजी को अफ़ज़ल ख़ाँ की ओर से धोखेबाज़ी का संदेह था, इसलिए उन्होंने कपड़ों के नीचे बख़्तर पहन लिया और अपने हाथ में बघनखा लगा लिया ताकि अफ़ज़ल ख़ाँ की ओर से घात होने पर उसका प्रतिकार कर सकें।
- जब शिवाजी अफ़ज़ल ख़ाँ से मिले तो उसने शिवाजी को अपनी बाहों में भर लिया और इतना कसकर दबाया कि जिससे शिवाजी का दम घुट जाये। शिवाजी ने अपने पंजे में लगे बघनखा से अफ़ज़ल ख़ाँ का पेट फाड़ दिया और उसे मार डाला। उसके बाद मराठों ने खुले युद्ध में बीजापुर की फ़ौज को पराजित कर दिया।
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संबंधित लेख
- ↑ हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 1 |प्रकाशक: नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 154 |