विदर्भ: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
गोविन्द राम (talk | contribs) No edit summary |
No edit summary |
||
Line 15: | Line 15: | ||
*[[मुग़ल]] सम्राट [[अकबर]] के समकालीन [[अबुल फज़ल]] ने [[आइना-ए-अकबरी]] में विदर्भ का नाम वरदातट लिखा है। संभवतः वरदा नदी(वर्धा) के निकट स्थित होने के कारण ही मुग़लकाल में विदर्भ का यह नाम प्रचलित हो गया था। | *[[मुग़ल]] सम्राट [[अकबर]] के समकालीन [[अबुल फज़ल]] ने [[आइना-ए-अकबरी]] में विदर्भ का नाम वरदातट लिखा है। संभवतः वरदा नदी(वर्धा) के निकट स्थित होने के कारण ही मुग़लकाल में विदर्भ का यह नाम प्रचलित हो गया था। | ||
*'बरार' तथा 'बीदर' नामों की व्युत्पत्ति भी विदर्भ से ही मानी जाती है। | *'बरार' तथा 'बीदर' नामों की व्युत्पत्ति भी विदर्भ से ही मानी जाती है। | ||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
<references/> | <references/> | ||
==संबंधित लेख== | |||
{{महाराष्ट्र के पर्यटन स्थल}} | |||
[[Category:महाराष्ट्र]] | [[Category:महाराष्ट्र]] | ||
[[Category:महाराष्ट्र के ऐतिहासिक स्थान]] | [[Category:महाराष्ट्र के ऐतिहासिक स्थान]] |
Revision as of 11:23, 19 January 2011
- विंध्याचल के दक्षिण में अवस्थित प्रदेश जिसकी स्थिति वर्तमान बरार के परिवर्ती क्षेत्र में मानी गई है। विदर्भ अतिप्राचीन समय से दक्षिण के जनपदों में प्रसिद्ध रहा है। वृहदारण्यकोपनिषत में विदर्भी-कौडिन्य नामक ॠषि का उल्लेख है जो विदर्भ के निवासी रहे होंगे।
- पौराणिक अनुश्रुति में कहा गया है कि किसी ॠषि के श्राप से इस देश में घास या दर्भ उगनी बंद हो गई थी जिसके कारण यह विदर्भ कहलाया।
- महाभारत में विदर्भ देश के राजा भीम का उल्लेख है जिसकी राजधानी कुण्डिनपुर में थी। इसकी पुत्री दमयंती निषध नरेश की महारानी थी [1]
- विदर्भ नरेश भोज की कन्या रुक्मिणी के हरण तथा कृष्ण के साथ उसके विवाह का वर्णन भी श्रीमद्भावगत में है। श्री[कृष्ण रुक्मिणी की प्रणय याचाना के फलस्वरूप आनर्त देश से विदर्भ पहुँचे थे ([2]
- महाभारत में भीष्मक को, जो रुक्मिणी का पिता था, विदर्भ देश का राजा कहा गया है। भोजकट में उसकी राजधानी थी।
- हरिवंश पुराण [3] में भी विदर्भ की राजधानी भोजकट में बतायी गयी है।
- कालिदास के समय में विदर्भ का विस्तार नर्मदा के दक्षिण से लेकर [4] कृष्णा के उत्तरी तट तक था।
- रघुवंश 5,41 में अज का इंदुमती स्वयंवर के लिए विदर्भदेश की राजधानी जाने का उल्लेख है।[5]
- विदर्भ उत्तरी और दक्षिणी भागों में विभक्त था। उत्तरी विदर्भ की राजधानी अमरावती और दक्षिणी विदर्भ की प्रतिष्ठानपुर थी।
- मालविकाग्निमित्र, अकं 5 के निम्न वर्णन से सूचित होता है कि शुंग काल में विदर्भ-विषय नामक एक स्वतन्त्र राज्य था। [6]
- मालविकाग्निमित्र में विदर्भराज और विदिशा के शासक अग्निमित्र (पुष्पमित्र शुंग का पुत्र)का परस्पर वैमनस्य और युद्ध का वर्णन है।
- विष्णु पुराण 4,4, में विदर्भ तनया केशिनी का उल्लेख है जो सगर की पत्नी थीं।
- मुग़ल सम्राट अकबर के समकालीन अबुल फज़ल ने आइना-ए-अकबरी में विदर्भ का नाम वरदातट लिखा है। संभवतः वरदा नदी(वर्धा) के निकट स्थित होने के कारण ही मुग़लकाल में विदर्भ का यह नाम प्रचलित हो गया था।
- 'बरार' तथा 'बीदर' नामों की व्युत्पत्ति भी विदर्भ से ही मानी जाती है।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ (ततो विदर्भान् संप्राप्तं सायाह्ने सत्यविक्रमम्, ॠतुपर्णं जना राज्ञेभीमाय प्रत्यवेदयन् --वनपर्व 73,1 )
- ↑ आनर्तादेकरात्रेण विदर्भानगमध्दयै - श्रीमद्भागवत 10,53,6)
- ↑ हरिवंश पुराण, विष्णुपर्व 60,32
- ↑ (रघुवंश सर्ग 5 के वर्णन के अनुसार अज ने जिसकी राजधानी अयोध्या में थी विदर्भराज भोज की कन्या इंदुमती के स्वयंवर में जाते समय नर्मदा को पार किया था)
- ↑ प्रस्थापयामास ससैन्यमेनमृध्दां विदर्भाधिपराजधानीम्।
- ↑ विदर्भविषयाद् भ्रात्रा वीरसेनेन प्रेषितं लेखं लेखकरैः वाच्यमानं श्रृणोति'।