गढ़वा: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
m (Text replace - "फसल" to "फ़सल")
Line 3: Line 3:
*इनमें एक चन्द्रगुप्त द्धितीय के और दो कुमारगुप्त प्रथम काल के है। चौथा सम्भवतः [[स्कन्दगुप्त]] के काल का है।  
*इनमें एक चन्द्रगुप्त द्धितीय के और दो कुमारगुप्त प्रथम काल के है। चौथा सम्भवतः [[स्कन्दगुप्त]] के काल का है।  
*इन अभिलेखों मे प्रथम तीन में सत्र-संचालन की व्यवस्था के लिए दिये गये दानों का उल्लेख है। अंतिम अर्थात् स्कन्दगुप्तकालीन अभिलेख में ‘अनंतस्वामिन’ की मूर्ति की स्थापना की चर्चा है।
*इन अभिलेखों मे प्रथम तीन में सत्र-संचालन की व्यवस्था के लिए दिये गये दानों का उल्लेख है। अंतिम अर्थात् स्कन्दगुप्तकालीन अभिलेख में ‘अनंतस्वामिन’ की मूर्ति की स्थापना की चर्चा है।
*इन सब लेखों से यह भी अनुमानित होता है कि गुप्तकाल में वहाँ कोई वैष्णव संस्थान था और इस प्रकार यह भी अनुमान लगाया जा सकता है। कि जो उच्चित्र फसल यहाँ से प्राप्त हुये हैं। वे इसी संस्थान के भवनों, मन्दिरों आदि के रहे होगें।  
*इन सब लेखों से यह भी अनुमानित होता है कि गुप्तकाल में वहाँ कोई वैष्णव संस्थान था और इस प्रकार यह भी अनुमान लगाया जा सकता है। कि जो उच्चित्र फ़सल यहाँ से प्राप्त हुये हैं। वे इसी संस्थान के भवनों, मन्दिरों आदि के रहे होगें।  
*गढ़वा की कला में गुप्तकालीन कला की सुकुमारता के साथ भरहुत कला का भारीपन भी देखा जा सकता है।  
*गढ़वा की कला में गुप्तकालीन कला की सुकुमारता के साथ भरहुत कला का भारीपन भी देखा जा सकता है।  



Revision as of 13:46, 26 January 2011

  • उत्तर प्रदेश के ज़िला इलाहाबाद के अंतर्गत करछना तहसील के गढ़वा ग्राम से गुप्तकालीन महत्त्वपूर्ण अभिलेख प्राप्त हुये हैं।
  • यहाँ से चार स्वतंत्र लेख प्राप्त हुये है। ये सभी गुप्तकालीन लेख है।
  • इनमें एक चन्द्रगुप्त द्धितीय के और दो कुमारगुप्त प्रथम काल के है। चौथा सम्भवतः स्कन्दगुप्त के काल का है।
  • इन अभिलेखों मे प्रथम तीन में सत्र-संचालन की व्यवस्था के लिए दिये गये दानों का उल्लेख है। अंतिम अर्थात् स्कन्दगुप्तकालीन अभिलेख में ‘अनंतस्वामिन’ की मूर्ति की स्थापना की चर्चा है।
  • इन सब लेखों से यह भी अनुमानित होता है कि गुप्तकाल में वहाँ कोई वैष्णव संस्थान था और इस प्रकार यह भी अनुमान लगाया जा सकता है। कि जो उच्चित्र फ़सल यहाँ से प्राप्त हुये हैं। वे इसी संस्थान के भवनों, मन्दिरों आदि के रहे होगें।
  • गढ़वा की कला में गुप्तकालीन कला की सुकुमारता के साथ भरहुत कला का भारीपन भी देखा जा सकता है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

संबंधित लेख