मिज़ोरम की कृषि: Difference between revisions
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*वर्तमान में 4127.6 हेक्टेरयर भूमि पर ही विभिन्न फ़सलों की बागवानी की जा रही है, जो कि अनुमानित संभावित क्षेत्र का 6.55 प्रतिशत मात्र है। | *वर्तमान में 4127.6 हेक्टेरयर भूमि पर ही विभिन्न फ़सलों की बागवानी की जा रही है, जो कि अनुमानित संभावित क्षेत्र का 6.55 प्रतिशत मात्र है। | ||
*मिज़ोरम में बागवानी फ़सलों के विकास की विस्तृत संभावनाएं हैं। बागवानी की मुख्य फ़सलें [[भारत के फल|फल]] हैं। इनमें मैडिरियन [[संतरा]], [[केला]], सादे फल, [[अंगूर]], हटकोडा, अनन्नास और [[पपीता]] अादि शामिल हैं। इसके अलावा यहाँ एंथुरियम, बर्ड आफ पेराडाइज, आर्किड, चिरासेथिंमम, [[गुलाब]] तथा अन्य कई मौसमी फूलों की खेती भी होती हैं। | *मिज़ोरम में बागवानी फ़सलों के विकास की विस्तृत संभावनाएं हैं। बागवानी की मुख्य फ़सलें [[भारत के फल|फल]] हैं। इनमें मैडिरियन [[संतरा]], [[केला]], सादे फल, [[अंगूर]], हटकोडा, अनन्नास और [[पपीता]] अादि शामिल हैं। इसके अलावा यहाँ एंथुरियम, बर्ड आफ पेराडाइज, आर्किड, चिरासेथिंमम, [[गुलाब]] तथा अन्य कई मौसमी फूलों की खेती भी होती हैं। | ||
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- मिज़ोरम प्रदेश के लगभग 80 प्रतिशत लोग कृषि कार्यों में लगे हुए हैं। कृषि की मुख्य प्रणाली झूम या स्थानांतरित कृषि है। अनुमानत: 21 लाख हेक्टेयर भूमि में से 6.30 लाख हेक्टेयर भूमि बागवानी के लिए उपलब्ध है।
- वर्तमान में 4127.6 हेक्टेरयर भूमि पर ही विभिन्न फ़सलों की बागवानी की जा रही है, जो कि अनुमानित संभावित क्षेत्र का 6.55 प्रतिशत मात्र है।
- मिज़ोरम में बागवानी फ़सलों के विकास की विस्तृत संभावनाएं हैं। बागवानी की मुख्य फ़सलें फल हैं। इनमें मैडिरियन संतरा, केला, सादे फल, अंगूर, हटकोडा, अनन्नास और पपीता अादि शामिल हैं। इसके अलावा यहाँ एंथुरियम, बर्ड आफ पेराडाइज, आर्किड, चिरासेथिंमम, गुलाब तथा अन्य कई मौसमी फूलों की खेती भी होती हैं।
- मसालों में अदरक, हल्दी, काली मिर्च, मिर्च (चिडिया की आंख वाली मिर्च) भी उगाई जाती हैं। आज कल यहाँ के लोग पाम आयल, जड़ी-बूटियों तथा सुगंधित पौधों की खेती भी बडे पैमाने पर करने लगे हैं।
सिंचाई
मिज़ोरम में संभावित भूतल सिंचाई क्षेत्र लगभग 70,000 हेक्टेयर है। इसमें से 45,000 हेक्टेयर बहाव क्षेत्र में है और 25,000 हेक्टेयर 70 पक्की लघु सिंचाई परियोजनाओं और छह लिफ्ट सिंचाई परियोजनाओं के पूरा होने से प्राप्त किया जा सकता है, जिनमें वर्ष में दो या तीन फ़सलें ली जा सकती हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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