मगही बोली: Difference between revisions
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*मगही बोली [[पटना]], [[हज़ारीबाग़]], [[मुँगेर]], पालामऊ, [[भागलपुर]] और [[राँची]] आदि ज़िलों के कुछ भागों में बोली जाती है। | *मगही बोली [[पटना]], [[हज़ारीबाग़]], [[मुँगेर]], पालामऊ, [[भागलपुर]] और [[राँची]] आदि ज़िलों के कुछ भागों में बोली जाती है। | ||
*'मगही' शब्द 'मागधी' का विकसित रूप है।*कुछ पढ़े- लिखे लोग इसे 'मागधी' भी कहते हैं। 'मगही' या 'मागधी' का अर्थ है - '[[मगध]] की भाषा', पर आधुनिक 'मगही' प्राचीन मगध वर्तमान पटना ज़िला तथा गया का आधा भाग<ref>वर्तमान पटना ज़िला तथा गया का आधा भाग</ref> तक ही सीमित नहीं है। | |||
*'मगही' शब्द 'मागधी' का विकसित रूप है।*कुछ पढ़े- लिखे लोग इसे 'मागधी' भी कहते हैं। 'मगही' या 'मागधी' का अर्थ है - '[[मगध]] की भाषा', पर आधुनिक 'मगही' प्राचीन मगध वर्तमान पटना ज़िला तथा गया का आधा भाग<ref>वर्तमान पटना ज़िला तथा गया का आधा भाग</ref> तक ही सीमित नहीं है। | *'मगही' बोलने वालों की संख्या [[ग्रियर्सन]] के [[भाषा]] - सर्वेक्षण के अनुसार लगभग 6,504,817 थी। अब यह संख्या एक करोड़ के लगभग होगी। | ||
*'मगही' का परिनिष्ठित रूप [[गया]] ज़िले में बोला जाता है।*अन्य स्थानों पर समीपवर्ती भाषाओं का प्रभाव पड़ा है। [[पटना]] की 'मगही' पर [[मैथिली भाषा|मैथिली]], [[भोजपुरी]]तथा पटना के [[उर्दू]] भाषी [[मुसलमान|मुसलमानों]] का प्रभाव है, अत: उधर के स्थानीय रूप '[[उड़िया भाषा|उड़िया]]' से, और इसी प्रकार पूर्वी स्थानीय रूप से [[बांग्ला भाषा|बंगाली]] से प्रभावित हैं। | |||
*'मगही' बोलने वालों की संख्या [[ग्रियर्सन]] के [[भाषा]] - सर्वेक्षण के अनुसार लगभग 6,504,817 थी। अब यह संख्या एक करोड़ के लगभग होगी। | *पश्चिमी सीमा की 'मगही' [[भोजपुरी भाषा|भोजपुरी]] से प्रभावित है। इन विभिन्न रूपों को मिश्रित मगही या यदि अलग- अलग कहना चाहें तो मैथिली- प्रभावित मगही, भोजपुरी- प्रभावित मगही आदि नाम दे सकते हैं। *'मगही' का एक प्रधान रूप है पूर्वी मगही। इसके अंतर्गत कई उपबोलियाँ हैं, जिनका आगे उल्लेख किया गया है। | ||
*'मगही' का परिनिष्ठित रूप [[गया]] ज़िले में बोला जाता है।*अन्य स्थानों पर समीपवर्ती भाषाओं का प्रभाव पड़ा है। [[पटना]] की 'मगही' पर [[मैथिली भाषा|मैथिली]], [[भोजपुरी]]तथा पटना के [[उर्दू]] भाषी [[मुसलमान|मुसलमानों]] का प्रभाव है, अत: उधर के स्थानीय रूप '[[उड़िया भाषा|उड़िया]]' से, और इसी प्रकार पूर्वी स्थानीय रूप से [[बांग्ला भाषा|बंगाली]] से प्रभावित हैं। | |||
*पश्चिमी सीमा की 'मगही' [[भोजपुरी भाषा|भोजपुरी]] से प्रभावित है। इन विभिन्न रूपों को मिश्रित मगही या यदि अलग- अलग कहना चाहें तो मैथिली- प्रभावित मगही, भोजपुरी- प्रभावित मगही आदि नाम दे सकते हैं। *'मगही' का एक प्रधान रूप है पूर्वी मगही। इसके अंतर्गत कई उपबोलियाँ हैं, जिनका आगे उल्लेख किया गया है। | |||
*मगही में लिखित साहित्य नहीं है। लोक- साहित्य पर्याप्त है जिसमें 'गोपीचन्द' और 'लोरिक' प्रसिद्ध हैं। *इसकी लिपि प्रमुखत: कैथी तथा [[देवनागरी लिपि|नागरी]] है। | *मगही में लिखित साहित्य नहीं है। लोक- साहित्य पर्याप्त है जिसमें 'गोपीचन्द' और 'लोरिक' प्रसिद्ध हैं। *इसकी लिपि प्रमुखत: कैथी तथा [[देवनागरी लिपि|नागरी]] है। | ||
*'पूर्वी मगही' को कुछ लोग बंगाली तथा उड़िया में भी लिखते हैं। अब नागरी का प्रचार बढ़ रहा है। | *'पूर्वी मगही' को कुछ लोग बंगाली तथा उड़िया में भी लिखते हैं। अब नागरी का प्रचार बढ़ रहा है। |
Latest revision as of 12:56, 28 December 2011
- मगही बोली पटना, हज़ारीबाग़, मुँगेर, पालामऊ, भागलपुर और राँची आदि ज़िलों के कुछ भागों में बोली जाती है।
- 'मगही' शब्द 'मागधी' का विकसित रूप है।*कुछ पढ़े- लिखे लोग इसे 'मागधी' भी कहते हैं। 'मगही' या 'मागधी' का अर्थ है - 'मगध की भाषा', पर आधुनिक 'मगही' प्राचीन मगध वर्तमान पटना ज़िला तथा गया का आधा भाग[1] तक ही सीमित नहीं है।
- 'मगही' बोलने वालों की संख्या ग्रियर्सन के भाषा - सर्वेक्षण के अनुसार लगभग 6,504,817 थी। अब यह संख्या एक करोड़ के लगभग होगी।
- 'मगही' का परिनिष्ठित रूप गया ज़िले में बोला जाता है।*अन्य स्थानों पर समीपवर्ती भाषाओं का प्रभाव पड़ा है। पटना की 'मगही' पर मैथिली, भोजपुरीतथा पटना के उर्दू भाषी मुसलमानों का प्रभाव है, अत: उधर के स्थानीय रूप 'उड़िया' से, और इसी प्रकार पूर्वी स्थानीय रूप से बंगाली से प्रभावित हैं।
- पश्चिमी सीमा की 'मगही' भोजपुरी से प्रभावित है। इन विभिन्न रूपों को मिश्रित मगही या यदि अलग- अलग कहना चाहें तो मैथिली- प्रभावित मगही, भोजपुरी- प्रभावित मगही आदि नाम दे सकते हैं। *'मगही' का एक प्रधान रूप है पूर्वी मगही। इसके अंतर्गत कई उपबोलियाँ हैं, जिनका आगे उल्लेख किया गया है।
- मगही में लिखित साहित्य नहीं है। लोक- साहित्य पर्याप्त है जिसमें 'गोपीचन्द' और 'लोरिक' प्रसिद्ध हैं। *इसकी लिपि प्रमुखत: कैथी तथा नागरी है।
- 'पूर्वी मगही' को कुछ लोग बंगाली तथा उड़िया में भी लिखते हैं। अब नागरी का प्रचार बढ़ रहा है।
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टीका टिप्पणी
- ↑ वर्तमान पटना ज़िला तथा गया का आधा भाग