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*जसो से प्राप्त मूर्तियों का समय 12वीं शती से 16वीं शती तक है।
*जसो से प्राप्त मूर्तियों का समय 12वीं शती से 16वीं शती तक है।
*यहाँ की रियासत [[बुन्देला]] महाराज [[छत्रसाल]] के वंशजों ने बनाई थी।
*यहाँ की रियासत [[बुन्देला]] महाराज [[छत्रसाल]] के वंशजों ने बनाई थी।
*महाराज छत्रसाल के पुत्र जगतराज को उत्तराधिकार में जैतपुर का राज्य मिला था। जगतराज के वृहत राज्य का एक भाग खुमानसिंह को मिला, इसमें जसो भी सम्मिलित था।
*महाराज छत्रसाल के पुत्र जगतराज को उत्तराधिकार में [[जेतपुर]] का राज्य मिला था। जगतराज के वृहत राज्य का एक भाग खुमानसिंह को मिला, इसमें जसो भी सम्मिलित था।
*बाद के समय में खुमानसिंह ने जसो की जागीर अपने पुत्र हरिसिंह को दे दी, जो कालांतर में एक स्वतंत्र रियासत बन गई।
*बाद के समय में खुमानसिंह ने जसो की जागीर अपने पुत्र हरिसिंह को दे दी, जो कालांतर में एक स्वतंत्र रियासत बन गई।
*ऐतिहासिक स्थान नचना और [[खोह]], जहाँ [[गुप्त]] कालीन अनेक [[अवशेष]] तथा [[अभिलेख]] प्राप्त हुए हैं, जसो के निकट ही है।
*ऐतिहासिक स्थान नचना और [[खोह]], जहाँ [[गुप्त]] कालीन अनेक [[अवशेष]] तथा [[अभिलेख]] प्राप्त हुए हैं, जसो के निकट ही है।

Revision as of 13:08, 12 September 2012

जसो बुंदेलखंड, उत्तर प्रदेश का ऐतिहासिक स्थान था। कनिंघम ने इस भू-भाग का नाम 'दरेदा' लिखा है, जो सभंवत: 'दुरेहा' (जसो के निकट) का ही रूपांतर है। प्राचीन काल में जसो जैन संस्कृति का महत्वपूर्ण केंद्र हुआ करता था, क्योंकि आज भी सैंकड़ों जैन मूर्तियाँ यहाँ से प्राप्त होती हैं।[1]

  • जसो से प्राप्त मूर्तियों का समय 12वीं शती से 16वीं शती तक है।
  • यहाँ की रियासत बुन्देला महाराज छत्रसाल के वंशजों ने बनाई थी।
  • महाराज छत्रसाल के पुत्र जगतराज को उत्तराधिकार में जेतपुर का राज्य मिला था। जगतराज के वृहत राज्य का एक भाग खुमानसिंह को मिला, इसमें जसो भी सम्मिलित था।
  • बाद के समय में खुमानसिंह ने जसो की जागीर अपने पुत्र हरिसिंह को दे दी, जो कालांतर में एक स्वतंत्र रियासत बन गई।
  • ऐतिहासिक स्थान नचना और खोह, जहाँ गुप्त कालीन अनेक अवशेष तथा अभिलेख प्राप्त हुए हैं, जसो के निकट ही है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 360 |

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