तालीकोटा का युद्ध: Difference between revisions

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Revision as of 10:38, 14 April 2014

  • तालीकोटा का युद्ध 25 जनवरी, 1565 ई. को लड़ा गया था।
  • इस युद्ध को 'राक्षसी तंगड़ी का युद्ध' और 'बन्नीहट्टी का युद्ध' के नाम से भी जाना जाता है।
  • विजयनगर साम्राज्य के विरोधी महासंघ में अहमदनगर, बीजापुर, गोलकुण्डा और बीदर शामिल थे।
  • गोलकुण्डा और बरार के मध्य पारस्परिक शत्रुता के कारण बरार इसमें शामिल नहीं था।
  • इस महासंघ के नेता 'अली आदिलशाह' ने रामराय से रायचूर एवं 'मुद्गल' के क़िलो को वापस माँगा।
  • रामराय द्वारा माँग ठुकराये जाने पर दक्षिण के सुल्तानों की संयुक्त सेना 'राक्षसी-तंगड़ी' की ओर बड़ी, जहाँ पर 25 जनवरी, 1565 को रामराय एवं संयुक्त मोर्चे की सेना में भंयकर युद्ध प्रारम्भ हुआ।
  • इस युद्ध के प्रारम्भिक क्षणो में संयुक्त मोर्चा विफल होता हुआ नज़र आया, परन्तु अन्तिम समय में तोपों के प्रयोग द्वारा मुस्लिम संयुक्त सेना ने विजयनगर सेना पर कहर ढा दिया, जिसके परिणामस्वरूप युद्ध क्षेत्र में ही सत्तर वर्षीय रामराय को घेर कर मार दिया गया।
  • इस युद्ध में रामराय की हत्या हुसैन शाह ने की थी।
  • राजा रामराय की पराजय व उसकी मौत के बाद विजयनगर शहर को निर्मतापूर्वक लूटा गया।
  • इस युद्ध की गणना भारतीय इतिहास के विनाशकारी युद्धो में की जाती है।
  • इस युद्ध को 'बन्नीहट्टी के युद्ध' के नाम से भी जाना जाता है।
  • फ़रिश्ता के अनुसार यह युद्ध ‘तालीकोटा’ में लड़ा गया, पर युद्ध का वास्तविक क्षेत्र 'राक्षसी' एवं 'तंगड़ी' गांवो के बीच का क्षेत्र था।
  • युद्ध के परिणामों के प्रतिकूल रहने पर भी विजयनगर साम्राज्य लगभग सौ वर्ष तक जीवित रहा।
  • तिरुमल के सहयोग से सदाशिव ने पेनुकोंडा को राजधानी बनाकर शासन करना प्रारम्भ किया।
  • यहीं पर विजयनगर में चौथे अरविडु वंश की स्थापना की गई।
  1. REDIRECTसाँचा:इन्हें भी देखें


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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