अंजलिकाश्रम: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
नवनीत कुमार (talk | contribs) (''''अंजलिकाश्रम''' नामक स्थान का विवरण पौराणिक महाकाव...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
No edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
'''अंजलिकाश्रम''' नामक स्थान का विवरण पौराणिक [[महाकाव्य]] [[महाभारत]] के [[अनुशासन पर्व महाभारत|अनुशासन पर्व]]<ref>महाभारत अनुशासन पर्व अध्याय 25 श्लोक 50-71 </ref> में मिलता है। जो मनुष्य कोकामुख तीर्थ में स्नान करके अंजलिकाश्रम तीर्थ में जाकर साग का भोजन करता हुआ, चीरवस्त्र धारण करके कुछ काल तक निवास करता है, उसे दस बार [[कन्याकुमारी|कन्याकुमारी तीर्थ]] के सेवन का फल प्राप्त होता है तथा उसे कभी [[यमराज]] के घर नहीं जाना पड़ता। | '''अंजलिकाश्रम''' नामक स्थान का विवरण पौराणिक [[महाकाव्य]] [[महाभारत]] के [[अनुशासन पर्व महाभारत|अनुशासन पर्व]]<ref>महाभारत अनुशासन पर्व अध्याय 25 श्लोक 50-71 </ref> में मिलता है। जो मनुष्य [[कोकामुख तीर्थ]] में स्नान करके अंजलिकाश्रम तीर्थ में जाकर साग का भोजन करता हुआ, चीरवस्त्र धारण करके कुछ काल तक निवास करता है, उसे दस बार [[कन्याकुमारी|कन्याकुमारी तीर्थ]] के सेवन का फल प्राप्त होता है तथा उसे कभी [[यमराज]] के घर नहीं जाना पड़ता। | ||
{{लेख प्रगति|आधार= |प्रारम्भिक=प्रारम्भिक3 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | {{लेख प्रगति|आधार= |प्रारम्भिक=प्रारम्भिक3 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} |
Latest revision as of 07:10, 24 April 2018
अंजलिकाश्रम नामक स्थान का विवरण पौराणिक महाकाव्य महाभारत के अनुशासन पर्व[1] में मिलता है। जो मनुष्य कोकामुख तीर्थ में स्नान करके अंजलिकाश्रम तीर्थ में जाकर साग का भोजन करता हुआ, चीरवस्त्र धारण करके कुछ काल तक निवास करता है, उसे दस बार कन्याकुमारी तीर्थ के सेवन का फल प्राप्त होता है तथा उसे कभी यमराज के घर नहीं जाना पड़ता।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
महाभारत शब्दकोश |लेखक: एस. पी. परमहंस |प्रकाशक: दिल्ली पुस्तक सदन, दिल्ली |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 11 |
- ↑ महाभारत अनुशासन पर्व अध्याय 25 श्लोक 50-71
संबंधित लेख