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उदाहरण- शोभा दशरथ भवन कइ, को कवि बरनै पार। - [[रामचरितमानस]]<ref>[[रामचरितमानस]], 1।297, सम्पादक शंभूनारायण चौबे, [[नागरी प्रचारिणी सभा]], [[काशी]], प्रथम संस्करण</ref>
 
शोभा दशरथ भवन कइ, को कवि बरनै पार। - [[रामचरितमानस]]<ref>[[रामचरितमानस]], 1।297, सम्पादक शंभूनारायण चौबे, [[नागरी प्रचारिणी सभा]], [[काशी]], प्रथम संस्करण</ref>


2. को। के लिये।
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'''कई''' - [[विशेषण]] ([[संस्कृत]] कति, प्राकृत कइ
'''कई''' - [[विशेषण]] ([[संस्कृत]] कति, प्राकृत कइ)


1. कितनी।  
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उदाहरण- जनम लाभ कइ अवधि अधाई। - मानस
उदाहरण- जनम लाभ कइ अवधि अधाई। - [[रामचरितमानस]]<ref>[[रामचरितमानस]], सम्पादक शंभूनारायण चौबे, [[नागरी प्रचारिणी सभा]], [[काशी]], प्रथम संस्करण</ref>


'''कई''' - (काव्य प्रयोग, पुरानी [[हिन्दी]]) क्रिया विशेषण ([[संस्कृत]] कदा, प्राकृत कया, काव्य प्रयोग, पुरानी हिन्दी, प्रान्तीय प्रयोग 'कब')
'''कई''' - (काव्य प्रयोग, पुरानी [[हिन्दी]]) क्रिया विशेषण ([[संस्कृत]] कदा, प्राकृत कया, काव्य प्रयोग, पुरानी हिन्दी, प्रान्तीय प्रयोग 'कब')


कब।
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उदाहरण- कई परणै रुषमणी किसान।<ref>वेलि., पृष्ठ 198</ref>
उदाहरण- कई परणै रुषमणी किसान।<ref>वेलि., पृष्ठ 198</ref>



Latest revision as of 10:38, 26 October 2021

कइ - (काव्य प्रयोग, पुरानी हिन्दी) प्रत्यय (हिन्दी की)[1]

1. की।

उदाहरण- शोभा दशरथ भवन कइ, को कवि बरनै पार। - रामचरितमानस[2]

2. को। के लिये।

उदाहरण- तोहि सम हित न मोर संसारा। बहे जात कइ भइसि अधारा। - रामचरितमानस[3]


कई - विशेषण (संस्कृत कति, प्राकृत कइ)

1. कितनी।

उदाहरण- जनम लाभ कइ अवधि अधाई। - रामचरितमानस[4]

कई - (काव्य प्रयोग, पुरानी हिन्दी) क्रिया विशेषण (संस्कृत कदा, प्राकृत कया, काव्य प्रयोग, पुरानी हिन्दी, प्रान्तीय प्रयोग 'कब')

कब।

उदाहरण- कई परणै रुषमणी किसान।[5]

कई - अव्यय (फ़ारसी कि)

या। अथवा।

उदाहरण- जइ तूँ ढोला नावियउ कइ फागुण कइ चेत्रि। - ढोला मारू र दूहा[6]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिंदी शब्दसागर, द्वितीय भाग |लेखक: श्यामसुंदरदास बी. ए. |प्रकाशक: नागरी मुद्रण, वाराणसी |पृष्ठ संख्या: 732 |
  2. रामचरितमानस, 1।297, सम्पादक शंभूनारायण चौबे, नागरी प्रचारिणी सभा, काशी, प्रथम संस्करण
  3. रामचरितमानस, 2।23, सम्पादक शंभूनारायण चौबे, नागरी प्रचारिणी सभा, काशी, प्रथम संस्करण
  4. रामचरितमानस, सम्पादक शंभूनारायण चौबे, नागरी प्रचारिणी सभा, काशी, प्रथम संस्करण
  5. वेलि., पृष्ठ 198
  6. ढोला मारू र दूहा, 146, सम्पादक रामसिंह, नागरी प्रचारिणी सभा, काशी, द्वितीय संस्करण

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