कृत्तिका नक्षत्र: Difference between revisions

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Latest revision as of 10:23, 1 November 2022

thumb|250px|कृत्तिका नक्षत्र कृत्तिका नक्षत्र (अंग्रेज़ी: Krittika Nakshatra) को कृतिका नक्षत्र भी कहते हैं। इस नक्षत्र के स्वामी सूर्य और राशि के स्वामी शुक्र हैं। यह नक्षत्र आकाश मंडल में अग्निशिखा की तरह दिखाई देता है। खुली आंखों से देखा जाए तो यह छ: तारों का समूह है, जो वृषभ राशि के समीप दिखाई पड़ता है। हालांकि इसमें सैकड़ों तारे दिखाई देते हैं। कृत्तिका नक्षत्र का नाम भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय से जुड़ा हुआ है और कार्तिकेय देवताओं के सेनापति हैं। इसलिए इस नक्षत्र में जिन लोगों का जन्म होता है, वे काफी तेजस्वी और तीक्ष्ण बुद्धि के स्वामी होते हैं। कृत्तिका को पौराणिक अनुश्रुतियों में दक्ष की पुत्री, चंद्रमा की पत्नी और कार्तिकेय की धातृ कहा गया है। कृत्तिका नाम पर ही कार्तिकेय नाम पड़ा है। गूलर के वृक्ष को कृत्तिका नक्षत्र का प्रतीक माना जाता है।

आकार

नग्न आँख से प्रथम दृष्टि डालने पर इस पुंज के तारे अस्पष्ट और एक-दूसरे से मिले हुए तथा किचपिच दिखाई पड़ते हैं, जिसके कारण बोलचाल की भाषा में इसे 'किचपिचिया' कहते हैं।[1] ध्यान से देखने पर इस तारापुंज में छह तारे पृथक-पृथक् दिखाई पड़ते हैं। दूरदर्शक से देखने पर इसमें सैकड़ों तारे दिखाई देते हैं, जिनके बीच में नीहारिका[2] की हलकी धुंध भी दिखाई पड़ती है। इस तारापुंज में 300 से 500 तक तारे होंगे, जो 50 प्रकाशवर्ष के गोले में बिखरे हुए हैं। कृत्तिका तारापुंज के केंद्र में तारों का घनत्व अधिक होता है। चमकीले तारे भी केंद्र के ही पास स्थित होते हैं। इस नक्षत्र के देवता रवि को माना जाता है तथा स्वामी सूर्य व राशि शुक्र है।

शिक्षा में रूचि

वैदिक ज्योतिष के अनुसार, कृत्तिका नक्षत्र का कुछ अंश मेष राशि और शेष वृषभ राशि में आता है। अर्थात इस नक्षत्र के पहले चरण में जन्मे लोगों की राशि मेष होती है, जिसके स्वामी मंगल हैं और शेष तीन चरणों में जन्म लेने वालों की राशि वृषभ होती है, जिसके स्वामी शुक्र हैं। कृत्तिका नक्षत्र का वर्ण वैश्य, महावैर योनि वानर, वश्य चतुष्पद, गण राक्षस, योनि मेढ़ा है। इस तरह जातक पर मंगल, सूर्य और शुक्र का जीवन भर प्रभाव रहता है। इस नक्षत्र के स्वामी सूर्य हैं, जिसकी वजह से बचपन से ही पढ़ने-लिखने में अधिक रुचि होती है और उच्च शिक्षा के लिए सभी अड़चनों को दूर कर कई विषयों के ज्ञाता कहलाते हैं।[3]

परिश्रमि

कृत्तिका नक्षत्र के लोगों में आत्मसम्मान का ज्यादा भाव होता है और इनको जल्दी किसी पर भरोसा नहीं होता। साथ ही इनको खाने-पीने का काफी शौक होता है और इनका रूझान रचनात्मक कार्यों जैसे गायन, नृत्य कला, सिनेमा आदि के प्रति अधिक रहता है। इनके अंदर धन कमाने की अद्भुत योग्यता होती है और कड़ी मेहनत से अपने मुकाम को हांसिल करते हैं। जीवन में प्रगति के लिए यह जीरो से शुरू करते हैं और शिखर तक पहुंचते हैं। काम के प्रति हमेशा बफादार होते हैं और समय पर काम करने की आदत के चलते कार्य क्षेत्र में हर कोई इनका सम्मान करता है। लक्ष्य के लिए कड़ा परिश्रम करना इनकी आदत होती है।

उदार स्वभाव

कृत्तिका नक्षत्र के लोग जल्दी किसी रिश्ते में बंधते नहीं, लेकिन जब इनको कोई पसंद आ जाए तो जिंदगी भर उसका साथ देते हैं। उदार स्वभाव होने के कारण अपने पार्टनर के प्रति पूरी तरह ईमानदार होते हैं और हर समस्या में उनका साथ देते हैं। यह विवाह अपनी मर्जी से करना पसंद करते हैं, किसी के दवाब में आकर इनसे विवाह नहीं कराया जा सकता। इनके अंदर हर किसी से रिश्ता बनाने का हुनर है। परिवार के प्रति पूरी जिम्मेदार होते हैं और हर सदस्य की जरूरतों का पूरा ध्यान रखते हैं। यह बहुत छोटी उम्र से ही बड़ी जिम्मेदारियों वाला काम करते हैं और कुंटुब में इनकी अलग पहचान होती है। बड़ी से बड़ी समस्याओं में भी निडर होकर खड़े रहते हैं और धैर्य से उनको खत्म करते हैं। नकारात्मक विचारों से दूर रहना इनको पसंद है।

इस नक्षत्र के लोग अपने कार्य को हमेशा प्रसारित करते रहते हैं और अपने काम का क्षेत्र भी बढ़ाते रहते हैं, जिससे इनका सामाजिक क्षेत्र काफी बड़ा होता है और इसके चलते बड़े लोगों से इनकी जान-पहचान होती रहती है। हालांकि इन लोगों का पुरानी मान्यताओं के प्रति इनका लगाव रहता है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाली महिलाएं माता-पिता की अकेली संतान होती हैं या फिर भाई-बहन होते हुए भी उनके प्यार से वंचीत रहती हैं। इस नक्षत्र के जातक का भाग्योदय जन्म स्थान से दूर होता है। इसलिए इनको यात्रा करना बहुत पसंद है। ये ज्यादातर मित्रों के साथ और प्रियजनों के साथ बाहन घूमने की योजना बनाते रहते हैं।[3]

सावधानियाँ

ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, कृत्तिका नक्षत्र के लोगों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि जब भी वह किसी अजनबी से बात करें तो बहुत सभ्य दिखें। काम के प्रति दवाब के चलते इनके व्यवहार में रुखापन देखने को मिलता है, जिससे इनको कई बार नुकसान उठाना पड़ सकता है। साथ ही अपने स्वास्थ्य को लेकर काफी सचेत रहना चाहिए और छोटी से छोटी बीमारियों को भी डॉक्टर को दिखाते रहना चाहिए। इनको नाक संबंधित रोग होने की अधिक आशंका बनी रहती है। भोजन के प्रति असावधानी रोग का कारण बनती है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. कृत्तिका नक्षत्र (हिन्दी) भारतखोज। अभिगमन तिथि: 28 जुलाई, 2015।
  2. Nebula
  3. 3.0 3.1 आकाश मंडल में यह है कृतिका नक्षत्र की स्थिति (हिंदी) navbharattimes.indiatimes.com। अभिगमन तिथि: 01 नवंबर, 2022।

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