आर्द्रा नक्षत्र

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 08:43, 2 November 2022 by रविन्द्र प्रसाद (talk | contribs)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search

thumb|आर्द्रा नक्षत्र
Ardra Nakshatra
आर्द्रा नक्षत्र (अंग्रेज़ी: Ardra Nakshatra) आकाशमंडल में छठा नक्षत्र है। यह मुख्यत: राहु ग्रह का नक्षत्र है, जो मिथुन राशि में आता है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार भगवान शिव शंकर के रुद्र रूप ही आर्द्रा नक्षत्र के अधिपति हैं, जो प्रजापालक हैं, परन्तु जब उग्र होते हैं तो कुछ न कुछ विनाशकारी अथवा प्रलयंकारी घटनाएं अवश्य होती हैं। आर्द्रा नक्षत्र के प्रबल प्रभाव में आने वाले जातक जिज्ञासु प्रवृत्ति के होते हैं। इसके चारों चरणों पर मिथुन का स्पष्ट प्रभाव रहता है। सूर्य जब आर्द्रा नक्षत्र पर होता है, तब पृथ्वी रजस्वला होती है और इसी पुनीत काल में कामाख्या तीर्थ में अंबुवाची पर्व का आयोजन किया जाता है। यह नक्षत्र उत्तर दिशा का स्वामी है।

लोकप्रिय नक्षत्र

आर्द्रा के प्रथम चरण व चौथे चरण का स्वामी गुरु, तो द्वितीय व तृतीय चरण का स्वामी शनि है। भारत में आमतौर पर जून माह के तृतीय सप्ताह में आर्द्रा नक्षत्र का उदय होता है। सामान्य तौर पर 21 जून को सूर्य आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश करते हैं। आर्द्रा को कृषक कार्य करने वाले लोगों का सहयोगी माना जाता है। आर्द्रा का सामान्य अर्थ नमी होता है, जो धरती पर जीवन के लिए जरूरी है। यह आकाश में मणि के समान दिखाई देता है। वामनपुराण के अनुसार, नक्षत्र पुरुष भगवान विष्णु के केशों में आर्द्रा नक्षत्र का निवास है। महाभारत के शांतिपर्व के अनुसार, जगत् को तपाने वाले सूर्य और अग्नि व चंद्रमा की जो किरणें प्रकाशित होती हैं, सब जगतनियंता के ‘केश’ हैं। यही कारण है कि आर्द्रा नक्षत्र को जीवनदायी कहा जाता है। इसी नक्षत्र के पुण्य योग में सम्पूर्ण उत्तर भारत के राज्यों में खीर और आम खाने की परम्परा है। कृषि कार्य की शुरुआत इसी नक्षत्र में होने के कारण यह नक्षत्र सर्वाधिक लोकप्रिय नक्षत्र है।[1]

पाकड के वृक्ष को आर्द्रा नक्षत्र का प्रतीक माना जाता है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्ति पाकड वृक्ष की पूजा करते है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्ति अपने घर में पाकड वृक्ष को लगाते हैं।

व्यक्तित्व

आर्द्रा नक्षत्र में जन्मे जातक मोटे और पतले दोनों तरह की काया के हो सकते हैं। नेत्र आकर्षक व ऊंची नाक होती है, आर्द्रा नक्षत्र के जातक का स्वभाव चंचल होता है। वह हँसमुख, अभिमानी तथा विनोदी स्वभाव का होता है। ये कर्तव्यनिष्ठ, कठोर परिश्रमी और सौंपे गए काम को पूरी ज़िम्मेदारी से निभाने वाले हैं। ये जन्मजात तेज होते हैं, क्योंकि राहु इस नक्षत्र का स्वामी एक शोधकारक ग्रह है। इनमें विविध विषयों का ज्ञान पाने की एक भूख-सी होती है। ये हँसी-मज़ाक़ करने वाले हैं और सबसे बड़ी शालीनता से पेश आते हैं। क्योंकि हर विषय की कुछ-न-कुछ जानकारी ये रखते ही हैं, इसलिए किसी शोधकार्य से लेकर व्यवसाय तक सभी कामों में सफल हो सकते हैं। सामने वाले व्यक्ति के मन में क्या चल रहा है यह ये आसानी से भाँप लेते हैं, इसलिए इनका स्वभाव अन्तर्ज्ञान संपन्न है और ये एक अच्छे मनोविश्लेषक भी हैं। इनमें दुनियादारी को समझने की विशेषता है और ये अपने निरीक्षण या परीक्षण से प्राप्त अनुभवों को भी बांटने में संकोच नहीं करते हैं। हर चीज़ की गहराई से जाँच-पड़ताल करना इनकी आदत में शुमार है। बाहर से भले ही ये शांत और गंभीर जान पड़ें परंतु इनका मन और मस्तिष्क निरंतर सक्रिय रहने से भीतर एक बवंडर-सा चलता रहता है। क्रोध पर नियंत्रण रखना ही इनके लिए श्रेयकर है।

आर्द्रा नक्षत्र के जातक क्रय-विक्रय में निपुण होते हैं। परिस्थितियाँ निरंतर इनकी परीक्षा लेती रहती हैं और ये हमेशा बड़े धैर्य व विवेक से स्वयं को बिखरने व टूटने से बचाते रहते हैं। शायद इन्हीं सब कारणों से ये जीवन में इतने अनुभवी और परिपक्व हैं। जीवन में आने वाली समस्याओं का किसी से ज़िक्र नहीं करना भी इनकी एक ख़ूबी है। इनका व्यवहार कभी-कभी अबोध बालक सरीखा हो जाता है जो भविष्य की चिंता करना नहीं जानता। ये रहस्यवादी हैं जो समझदारी और विवेक का आश्रय लेकर समस्याओं को सुलझाते हैं। हर समस्या पर गंभीरता से चिंतन, मनन और विश्लेषण करके ये आख़िर में सफल हो ही जाते हैं। ये पराक्रमी व पुष्ट शरीर वाले हैं। इनमें एक ही समय में कई कार्यों को करने की क्षमता है। आध्यात्मिक जीवन जीने में भी इनकी रुचि है। ये क्यों और कैसे के नियमों पर काम करते हैं और कई अनसुलझे रहस्य सुलझाने में लगे रहते हैं। लेकिन कई बार ये बुरे विचारों वाले तथा व्यसनी भी हो जाते हैं। अपने रोज़गार को लेकर ये घर से दूर रहेंगे। दूसरे शब्दों में ये नौकरी या व्यवसाय को लेकर विदेश जा सकते हैं। 32 वर्ष से लेकर 42 वर्ष का समय इनके लिए शुभ रहेगा।

जन्मे जातक

27 नक्षत्रों की श्रृंखला में आर्द्रा नक्षत्र का स्थान छठा है। ज्योतिष के अनुसार आर्द्रा नक्षत्र का स्वामी ग्रह राहु है। यह आँसू की तरह दिखायी देता है। इस नक्षत्र के देवता रुद्र (शिव का एक रूप) और लिंग स्री है। आर्द्रा नक्षत्र कई तारों का समूह न होकर केवल एक तारा है। यह आकाश में मणि के समान दिखता है। इसका आकार हीरे अथवा वज्र के रूप में भी समझा जा सकता है। कई विद्वान इसे चमकता हीरा तो कई इसे आंसू या पसीने की बूंद समझते हैं। इस नक्षत्र का रंग लाल होता है। प्राचीन मान्यताओं के अनुसार इस लाल रंग के तारे में संहारकर्त्ता शिव का वास माना जाता है।[1]

आर्द्रा नक्षत्र के चारों चरण मिथुन राशि में स्थित होते हैं जिसके कारण इस नक्षत्र पर मिथुन राशि तथा इस राशि के स्वामी ग्रह बुध का प्रभाव भी रहता है। आर्द्रा नक्षत्र मिथुन राशि में 6 अंश 40 कला से 20 अंश तक रहता है। आर्द्रा का अर्थ होता है नमी, भीषण गर्मी के बाद नमी के कारण बादल बरसने का समय, सूर्य का इस नक्षत्र पर गोचर ग्रीष्म ऋतु की समाप्ति तथा वर्षा ऋतु का आगमन को दर्शाता है। कुछ विद्वानों ने आर्द्रा नक्षत्र का संबंध पसीने और आँसू की बूंद से जोडा़ है। वास्तव में सभी प्रकार की नमी, ठण्डक तथा गीलापन आर्द्रता कहलाता है। जो बीत गया, उसे भूल जाओ, नए का स्वागत करो, यही संदेश आर्द्रा नक्षत्र में छिपा है। दृढ़ता, धैर्य, सहिष्णुता तथा सतत प्रयास का महत्व आर्द्रा नक्षत्र ही सिखाता है। कुछ ग्रंथों में आर्द्रा नक्षत्र को "मनुष्य का सिर" भी कहा गया है।

पारिवारिक जीवन

आर्द्रा नक्षत्र में जन्मे जातकों का पारिवारिक जीवन मिश्रित परिणाम देने वाला रहता है। इनका विवाह ज़रा देर से होता है, और स्वभाव थोड़ा कठोर होता है। सुखी विवाहित जीवन हेतु किसी भी प्रकार के वाद-विवाद से इन्हें हमेशा बचना चाहिए अन्यथा वैवाहिक जीवन में दिक़्क़तें आ सकती हैं। नौकरी या व्यवसाय को लेकर यह परिवार से दूर रह सकते हैं। इनका जीवनसाथी इनका पूरा ध्यान रखेगा; वह घर के काम-काज में दक्ष होगा। परिवार से संपत्ति को लेकर विवाद भी हो सकता है। परिवार से अलग रहने की संभावना भी बनती दिखाई देती है। भाग्य जातक का कम साथ देता है, जीवनभर भाग्य से संबंधित समस्याओं से उलझना पड़ता है और जातक अपनी समस्याओं को दूसरों को कम ही बताता है।

स्वास्थ्य

आर्द्रा नक्षत्र के अधिकार में गला, बाजुएँ और कंधे आते हैं। इस नक्षत्र के पीड़ित होने पर इन अंगों से संबंधित बीमारी होने की संभावना बनती है। इस नक्षत्र के कुछ जातकों को असाध्य रोग भी प्रभावित कर सकते हैं। लकवा होना, हृदय अथवा दांत के रोग, रक्त संबंधी बीमारी हो सकती है। स्त्रियों को मुख्य रूप से मासिक धर्म से संबंधी दिक्कतें परेशान कर सकती हैं। दोनों नेत्र व मस्तक का आगे और पीछे का भाग आर्द्रा के अवयव में आते हैं। इस नक्षत्र का संबंध वायु दोष विकार से भी होता है। पित्त दोष एवं कफ से संबंधी रोग प्रभावित करते हैं।

सकारात्मक पक्ष

हंसमुख, चतुर, चालाक, जिम्मेदार, समझदार, अनुसंधान में रुचि रखने वाले। 32 से 42 के बीच का वर्ष सबसे उत्तम।[1]

नकारात्मक पक्ष

यदि बुध और रा‍हु की स्थिति खराब है तो जातक चंचल स्वभाव, अभिमानी, दुख पाने वाले, बुरे विचारों वाले व्यसनी भी होते हैं। राहु की स्थितिनुसार फल भी मिलता है। अस्थमा, सूखी खांसी जैसे रोग से इस नक्षत्र के जातक कभी-कभी परेशान करते हैं।

वेद मंत्र

ॐ नमस्ते रूद्र मन्यवSउतोत इषवे नम: बाहुभ्यां मुतते नम: । ॐ रुद्राय नम: ।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 1.2 आर्द्रा नक्षत्र में जन्मे जातक (हिंदी) futurepointindia.com। अभिगमन तिथि: 02 नवंबर, 2022।

संबंधित लेख


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः