अन्ध कूप

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 11:19, 23 November 2017 by रविन्द्र प्रसाद (talk | contribs) (''''अन्ध कूप ''' हिन्दू धार्मिक मान्यताओं और ग्रंथानु...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search

अन्ध कूप हिन्दू धार्मिक मान्यताओं और ग्रंथानुसार एक नरक का नाम है।

  • मनुष्य को दूसरों के कष्ट का ज्ञान होने पर भी वह जीव हिंसा करता है; विधि निषेध की स्वाभाविक वृत्ति होने पर भी यह हिंसा-वृत्ति से अभिभूत हो अन्धा हो जाता है अपना विवेक खो बैठता है; यहीं “अन्ध कूप नरक” कहलाता है। उसकी निद्रा व शान्ति भंग हो जाती है और वह अज्ञानान्धकार में हिंसा रोग से ग्रस्त हुआ भटकता रहता है।
  • नरक लोक में सूर्य के पुत्र “यम” रहते हैं और मृत प्राणियों को उनके दुष्कर्मों का दण्ड देते हैं। नरकों की संख्या 28 कही गई है, जो इस प्रकार है[1]-
नरक के नाम
क्रम संख्या नाम क्रम संख्या नाम
1. तामिस्र 2. अन्धतामिस्र
3. रौरव 4. महारौरव
5. कुम्भी पाक 6. कालसूत्र
7. असिपत्रवन 8. सूकर मुख
9. अन्ध कूप 10. कृमि भोजन
11. सन्दंश 12. तप्तसूर्मि
13. वज्रकंटक शाल्मली 14. वैतरणी
15. पूयोद 16. प्राण रोध
17. विशसन 18. लालाभक्ष
19. सारमेयादन 20. अवीचि
21. अयःपान 22. क्षारकर्दम
23. रक्षोगणभोजन 24. शूलप्रोत
25. द्वन्दशूक 26. अवटनिरोधन
27. पर्यावर्तन 28. सूची मुख



पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. गीता अमृत -जोशी गुलाबनारायण, अध्याय 16, पृ.सं.-342, श्लोक 21 - त्रिविधं नरकस्येदं द्वारं

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः