कँगही
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 10:18, 24 October 2021 by रविन्द्र प्रसाद (talk | contribs) (''''कँगही''' - (काव्य प्रयोग, पुरानी हिन्दी; प्रान्तीय...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
कँगही - (काव्य प्रयोग, पुरानी हिन्दी; प्रान्तीय प्रयोग) संज्ञा स्त्रीलिंग (संस्कृत कङ्कती, प्राकृत कंकइ)[1]
कंघी
उदाहरण-
कँगही के देत प्यारी कसकत मसकत, पुलकि ललकि तन स्वेद बरसत है। - ब्रजनिधि ग्रंथावली[2]
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हिंदी शब्दसागर, द्वितीय भाग |लेखक: श्यामसुंदरदास बी. ए. |प्रकाशक: नागरी मुद्रण, वाराणसी |पृष्ठ संख्या: 730 |
- ↑ ब्रजनिधि ग्रंथावली, पृष्ठ 148, सम्पादक पुरोहित हरिनारायण शर्मा, नागरी प्रचारिणी सभा, काशी, प्रथम संस्करण
संबंधित लेख
|
वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज
Retrieved from "https://en.bharatdiscovery.org/w/index.php?title=कँगही&oldid=669401"