पदार्थ तत्त्व निरूपणम

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 12:48, 30 March 2010 by Govind (talk | contribs)
Jump to navigation Jump to search

रघुनाथ शिरोमणि रचित पदार्थ तत्त्व निरूपणम (पदार्थखण्डनम्)

  • रघुनाथ शिरोमणि का जन्म सिलहर (आसाम) में हुआ था।
  • विद्याभूषण के अनुसार इनका समय 1477-1557 ई. है।
  • इनके पूर्वज मिथिला से आसाम में गये थे।
  • इनके पिता का नाम गोविन्द चक्रवर्ती और माता का नाम सीता देवी था।
  • गोविन्द चक्रवर्ती की अल्पायु में ही मृत्यु हो जाने के कारण इनकी माता ने बड़े कष्ट के साथ इनका पालन किया।
  • यात्रियों के एक दल के साथ वह गंगास्नान करने के लिए नवद्वीप पहुँची।
  • संयोगवश उसने वासुदेव सार्वभौम के घर पर आश्रय प्राप्त किया।
  • वासुदेव से ही रघुनाथ को विद्या प्राप्त हुई।
  • बाद में रघुनाथ ने मिथिला पहुँच कर पक्षधर मिश्र से न्याय का अध्ययन किया।
  • रघुनाथ ने अनेक ग्रन्थों की रचना की—
  1. उदयन के आत्मतत्त्वविवेक और न्यायकुसुमांजलि पर टीका
  2. श्रीहर्ष के खण्डनखण्डखाद्य पर - दीधिति
  3. वल्लभ की न्यायलीलावती पर - दीधिति
  4. गंगेश की तत्त्वचिन्तामणि पर - दीधिति
  5. वर्धमान के किरणावलीप्रकाश पर - दीधिति
  • रघुनाथ सभी विद्यास्थानों में दक्ष थे।
  • उन्होंने अपनी शास्त्रार्थधौरेयता के संबन्ध में जो कथन किये, वे आज भी विद्ववर्ग में चर्चा के विषय बने रहते हैं।
  • रघुनाथ द्वारा वैशेषिक दर्शन पर रचित पदार्थ तत्त्व निरूपण नामक ग्रन्थ पदार्थखण्डनम तथा पदार्थविवेचनम के अपर नामों से भी ख्याति है।
  • रघुनाथ ने वैशेषिक के सात पदार्थों की समीक्षा की और विशेष के पदार्थत्व का खण्डन किया।
  • इसी प्रकार उन्होंने नौ द्रव्यों के स्थान पर छ: द्रव्य माने। आकाश, काल और दिशा रघुनाथ की दृष्टि में तीन अलग-अलग द्रव्य नहीं, अपितु एक ही द्रव्य के तीन रूप हैं।
  • उन्होंने परमाणु और द्वयणुक की संकल्पना का खण्डन किया और पृथक्त्व, परत्व, अपरत्व और संख्या को गुण नहीं माना।

अन्य लिंक

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः