Difference between revisions of "बलराज साहनी"

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बलराज साहनी (जन्म: [[1 मई]], [[1913]]; मृत्यु: [[13 अप्रैल]], [[1973]]) [[हिन्दी]] फ़िल्मों के अभिनेता थे। बलराज साहनी का रावलपिंडी ([[पाकिस्तान]]) में हुआ था। बलराज साहनी ख्यातिप्राप्त लेखक [[भीष्म साहनी]] के बड़े भाई व चरित्र अभिनेता परीक्षत साहनी के [[पिता]] हैं। बलराज साहनी [[रंगमंच]] और सिनेमा की अप्रतिम प्रतिभा थे। बलराज साहनी ऐसे अभिनेता थे जिन्हे रंगमंच और फ़िल्म दोनों माध्यमों में समान दिलचस्पी थी।  
*बलराज साहनी (जन्म: [[1 मई]], [[1913]]; मृत्यु: [[13 अप्रैल]], [[1973]]) [[हिन्दी]] फ़िल्मों के अभिनेता थे।  
 
*बलराज साहनी का जन्म 1 मई 1913 को रावलपिंडी में हुआ था।
 
*बलराज साहनी ख्यात लेखक [[भीष्म साहनी]] के बड़े भाई व चरित्र अभिनेता परीक्षत साहनी के पिता हैं।
 
*बलराज साहनी रंगमंच और सिनेमा की अप्रतिम प्रतिभा थे।  
 
*बलराज साहनी ऐसे अभिनेता थे जिन्हे रंगमंच और फ़िल्म दोनों माध्यमों में समान दिलचस्पी थी।  
 
  
 
==अभिनय==
 
==अभिनय==
साम्यवादी विचारधारा के मुखर समर्थक साहनी जनमानस के अभिनेता थे जो अपने सशक्त अभिनय से दर्शकों को पर्दे के पात्र से भावनात्मक रूप से जोड़ देते।
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साम्यवादी विचारधारा के मुखर समर्थक साहनी जनमानस के अभिनेता थे, जो अपने सशक्त अभिनय से दर्शकों को पर्दे के पात्र से भावनात्मक रूप से जोड़ देते थे। जब पर्दे पर वह अपनी [[दो बीघा ज़मीन]] फ़िल्म में ज़मीन गंवा चुके मज़दूर, रिक्शाचालक की भूमिका में नज़र आए तो कहीं से नहीं महसूस हुआ कि [[कोलकाता]] की सड़कों पर रिक्शा खींच रहा रिक्शाचालक शंभु नहीं बल्कि कोई स्थापित अभिनेता है। दरअसल पात्रों में पूरी तरह डूब जाना उनकी खूबी थी। यह काबुली वाला, लाजवंती, हकीकत, दो बीघा ज़मीन, धरती के लाल, गरम हवा, वक्त, दो रास्ते सहित उनकी किसी भी फ़िल्म में महसूस किया जा सकता है।
 
 
जब पर्दे पर वह अपनी [[दो बीघा ज़मीन]] फ़िल्म में ज़मीन गंवा चुके मज़दूर, रिक्शाचालक की भूमिका में नज़र आए तो कहीं से नहीं महसूस हुआ कि [[कोलकाता]] की सड़कों पर रिक्शा खींच रहा रिक्शाचालक शंभु नहीं बल्कि कोई स्थापित अभिनेता है। दरअसल पात्रों में पूरी तरह डूब जाना उनकी खूबी थी। यह काबुली वाला, लाजवंती, हकीकत, दो बीघा ज़मीन, धरती के लाल, गरम हवा, वक्त, दो रास्ते सहित उनकी किसी भी फ़िल्म में महसूस किया जा सकता है।
 
 
==साहित्यकार के रुप में==
 
==साहित्यकार के रुप में==
बलराज साहनी बेहतरीन साहित्यकार भी थे जिन्होंने [[पाकिस्तान]] का सफ़र और रूसी सफरनामा जैसे चर्चित यात्रा वृतांतों की रचना की जिनमें उन देशों की राजनीतिक, भौगोलिक, आर्थिक और सामाजिक परिस्थतियों का शानदार चित्रण किया गया है।  
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बलराज साहनी बेहतरीन साहित्यकार भी थे, जिन्होंने 'पाकिस्तान का सफ़र' और 'रूसी सफरनामा' जैसे चर्चित यात्रा वृतांतों की रचना की, जिनमें उन देशों की राजनीतिक, भौगोलिक, आर्थिक और सामाजिक परिस्थतियों का शानदार चित्रण किया गया है।  
====स्वाभिमान को ठेस====
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====स्वाभिमानी व्यक्तित्व====
 
बलराज साहनी का फ़िल्मों में आना संयोग ही रहा। उन्होंने हंस पत्रिका को एक कहानी लिखी थी जो अस्वीकृत होकर लौट आई। उन्होंने खुद ही लिखा है कि वह उन भाग्यशाली लेखकों में थे जिनकी भेजी हुई कोई रचना अस्वीकृत नहीं हुई थी। लेकिन बीच में चार साल तक उन्होंने कोई कहानी नहीं लिखी। जब छूटे अभ्यास को बहाल करने का प्रयास करते हुए उन्होंने एक कहानी लिखी और उसे हंस पत्रिका को भेज दिया लेकिन वह अस्वीकृत होकर वापस आ गई। इससे उनके स्वाभिमान को ठेस लगी और उसके बाद उन्होंने कोई कहानी नहीं लिखी। उन्होंने अपने एक आलेख में लिखा था कि फ़िल्मों का मार्ग अपनाने का कारण वह अस्वीकृत कहानी भी रही।  
 
बलराज साहनी का फ़िल्मों में आना संयोग ही रहा। उन्होंने हंस पत्रिका को एक कहानी लिखी थी जो अस्वीकृत होकर लौट आई। उन्होंने खुद ही लिखा है कि वह उन भाग्यशाली लेखकों में थे जिनकी भेजी हुई कोई रचना अस्वीकृत नहीं हुई थी। लेकिन बीच में चार साल तक उन्होंने कोई कहानी नहीं लिखी। जब छूटे अभ्यास को बहाल करने का प्रयास करते हुए उन्होंने एक कहानी लिखी और उसे हंस पत्रिका को भेज दिया लेकिन वह अस्वीकृत होकर वापस आ गई। इससे उनके स्वाभिमान को ठेस लगी और उसके बाद उन्होंने कोई कहानी नहीं लिखी। उन्होंने अपने एक आलेख में लिखा था कि फ़िल्मों का मार्ग अपनाने का कारण वह अस्वीकृत कहानी भी रही।  
 
==मृत्यु==
 
==मृत्यु==
 
बलराज साहनी की मृत्यु 13 अप्रैल 1973 को [[मुंबई]] में हुआ ।
 
बलराज साहनी की मृत्यु 13 अप्रैल 1973 को [[मुंबई]] में हुआ ।
  
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
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==संबंधित लेख==
 
==संबंधित लेख==
 
{{अभिनेता}}
 
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Revision as of 09:04, 28 April 2012

thumb|balaraj sahani balaraj sahani (janm: 1 mee, 1913; mrityu: 13 aprail, 1973) hindi filmoan ke abhineta the. balaraj sahani ka ravalapiandi (pakistan) mean hua tha. balaraj sahani khyatiprapt lekhak bhishm sahani ke b de bhaee v charitr abhineta parikshat sahani ke pita haian. balaraj sahani rangamanch aur sinema ki apratim pratibha the. balaraj sahani aise abhineta the jinhe rangamanch aur film donoan madhyamoan mean saman dilachaspi thi.

abhinay

samyavadi vicharadhara ke mukhar samarthak sahani janamanas ke abhineta the, jo apane sashakt abhinay se darshakoan ko parde ke patr se bhavanatmak roop se jo d dete the. jab parde par vah apani do bigha zamin film mean zamin ganva chuke mazadoor, rikshachalak ki bhoomika mean nazar ae to kahian se nahian mahasoos hua ki kolakata ki s dakoan par riksha khianch raha rikshachalak shanbhu nahian balki koee sthapit abhineta hai. darasal patroan mean poori tarah doob jana unaki khoobi thi. yah kabuli vala, lajavanti, hakikat, do bigha zamin, dharati ke lal, garam hava, vakt, do raste sahit unaki kisi bhi film mean mahasoos kiya ja sakata hai.

sahityakar ke rup mean

balaraj sahani behatarin sahityakar bhi the, jinhoanne 'pakistan ka safar' aur 'roosi sapharanama' jaise charchit yatra vritaantoan ki rachana ki, jinamean un deshoan ki rajanitik, bhaugolik, arthik aur samajik paristhatiyoan ka shanadar chitran kiya gaya hai.

svabhimani vyaktitv

balaraj sahani ka filmoan mean ana sanyog hi raha. unhoanne hans patrika ko ek kahani likhi thi jo asvikrit hokar laut aee. unhoanne khud hi likha hai ki vah un bhagyashali lekhakoan mean the jinaki bheji huee koee rachana asvikrit nahian huee thi. lekin bich mean char sal tak unhoanne koee kahani nahian likhi. jab chhoote abhyas ko bahal karane ka prayas karate hue unhoanne ek kahani likhi aur use hans patrika ko bhej diya lekin vah asvikrit hokar vapas a gee. isase unake svabhiman ko thes lagi aur usake bad unhoanne koee kahani nahian likhi. unhoanne apane ek alekh mean likha tha ki filmoan ka marg apanane ka karan vah asvikrit kahani bhi rahi.

mrityu

balaraj sahani ki mrityu 13 aprail 1973 ko muanbee mean hua .


panne ki pragati avastha
adhar
prarambhik
madhyamik
poornata
shodh

tika tippani aur sandarbh

sanbandhit lekh