विनशन

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search

विनशन महाभारत के अनुसार एक प्राचीन तीर्थ था, जो उस स्थान पर बसा था, जहां सरस्वती नदी राजस्थान के मरुस्थल में विनष्ट या विलुप्त हो गई थी-

'ततो विनशनं राजन् जगामाथ हलायुधः, शूद्राभीरान् प्रति द्वेषाद्यत्र नष्टा सरस्वती।'[1]

'ततो विनशनं गच्छेन्नियतो नियताशन, गच्छत्यन्तहिता यत्र मेरुपृष्ठे सरस्वती।'

'एतद्विनशनं नाम सरस्वत्या विशाम्पते, द्वारं निषादराष्ट्रस्य येषां दोषात् सरस्वती प्रविष्टा पृथिवी वीर मा निषादा हि माँ विदु:।'


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. महाभारत, शल्यपर्व 37,1
  2. वनपर्व 81,111
  3. वनपर्व 130,4
  4. ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 859 |
  5. पौराणिक कोश |लेखक: राणा प्रसाद शर्मा |प्रकाशक: ज्ञानमण्डल लिमिटेड, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 558, परिशिष्ट 'क' |

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः