Difference between revisions of "प्रयोग:शिल्पी"
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शिल्पी गोयल (talk | contribs) |
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-[[सुग्रीव]] | -[[सुग्रीव]] | ||
− | +[[ | + | +[[बालि]] |
-[[जामवन्त]] | -[[जामवन्त]] | ||
-[[जटायु]] | -[[जटायु]] | ||
+ | ||बालि और सुग्रीव को वानरश्रेष्ठ ऋक्ष राजा का पुत्र भी कहा जाता हे तथा सुग्रीव को [[इन्द्र]]-पुत्र भी कहा गया है। बालि सुग्रीव का बड़ा भाई था। वह पिता और भाई का अत्यधिक प्रिय था। पिता की मृत्यु के बाद बालि ने राज्य सम्हाला।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें- [[बालि]] | ||
{[[लक्ष्मण]] की पत्नी का क्या नाम था? | {[[लक्ष्मण]] की पत्नी का क्या नाम था? | ||
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+[[उर्मिला]] | +[[उर्मिला]] | ||
-रम्भा | -रम्भा | ||
+ | ||[[वाल्मीकि]] [[रामायण]] में [[लक्ष्मण]] की पत्नी के रूप में उर्मिला का नामोल्लेख मिलता है। [[महाभारत]], [[पुराण]] तथा काव्य में भी इससे अधिक उर्मिला का कोई परिचय नहीं मिलता। केवल आधुनिक काल में उर्मिला के विषय में विशेष सहानुभूति प्रकट की गयी है। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें- [[उर्मिला]] | ||
{[[राम]] जी के वनवास की अवधि कितने वर्ष थी? | {[[राम]] जी के वनवास की अवधि कितने वर्ष थी? | ||
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-[[कैकेयी]] | -[[कैकेयी]] | ||
-[[सुभद्रा]] | -[[सुभद्रा]] | ||
+ | ||महाराज [[दशरथ]] की कई रानियाँ थीं। महारानी [[कौशल्या]] पट्टमहिषी थीं। महारानी [[कैकेयी]] महाराज को सर्वाधिक प्रिय थीं और शेष में श्री सुमित्रा जी ही प्रधान थीं। महाराज दशरथ प्राय: कैकेयी के महल में ही रहा करते थे। सुमित्रा जी महारानी कौशल्या के सन्निकट रहना तथा उनकी सेवा करना अपना धर्म समझती थीं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें- [[सुमित्रा]] | ||
{[[इन्द्र]] के पुत्र का नाम था? | {[[इन्द्र]] के पुत्र का नाम था? | ||
Line 58: | Line 61: | ||
{[[रावण]] और [[कुबेर]] थे? | {[[रावण]] और [[कुबेर]] थे? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
− | +भाई - भाई | + | +भाई-भाई |
− | -साले - बहनोई | + | -साले-बहनोई |
-मित्र | -मित्र | ||
-इनमें से कोई नहीं | -इनमें से कोई नहीं | ||
Line 76: | Line 79: | ||
-[[बृहस्पति ऋषि|बृहस्पति]] | -[[बृहस्पति ऋषि|बृहस्पति]] | ||
-[[वसिष्ठ]] | -[[वसिष्ठ]] | ||
+ | ||न्यायदर्शन के कर्ता महर्षि गौतम परम तपस्वी एवं संयमी थे। महाराज वृद्धाश्व की पुत्री [[अहिल्या]] इनकी पत्नी थी, जो महर्षि के शाप से पाषाण बन गयी थी। [[त्रेता युग]] में भगवान श्री [[राम]] की चरण-रज से अहिल्या का शापमोचन हुआ। वह पाषाण से पुन: ऋषि-पत्नी हुई। महर्षि गौतम बाण-विद्या में अत्यन्त निपुण थे। विवाह के कुछ काल पश्चात अहिल्या ही बाण-लाकर देती थीं। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें- [[महर्षि गौतम|गौतम]] | ||
{[[परशुराम]] के पुत्र थे? | {[[परशुराम]] के पुत्र थे? | ||
Line 90: | Line 94: | ||
-[[हनुमान]] | -[[हनुमान]] | ||
-[[सुग्रीव]] | -[[सुग्रीव]] | ||
+ | ||[[हिन्दू धर्म]] में, राम, [[विष्णु]] के 10 अवतारों में से एक हैं। राम का जीवनकाल एवं पराक्रम, महर्षि [[वाल्मिकि]] द्वारा रचित, [[संस्कृत]] महाकाव्य [[रामायण]] के रूप में लिखा गया है। उनके उपर [[तुलसीदास]] ने भक्ति काव्य श्री [[रामचरितमानस]] रचा था। ख़ास तौर पर उत्तर भारत में राम बहुत अधिक पूज्यनीय माने जाते हैं। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें- [[राम]] | ||
{संजीवनी बूटी का रहस्य किस वैद्य ने बताया? | {संजीवनी बूटी का रहस्य किस वैद्य ने बताया? | ||
Line 111: | Line 116: | ||
-[[जामवन्त]] | -[[जामवन्त]] | ||
+[[गरुड़]] | +[[गरुड़]] | ||
+ | ||[[हिन्दू धर्म]] के अनुसार गरुड़ पक्षियों के राजा और भगवान [[विष्णु]] के वाहन हैं। ये [[कश्यप]] ऋषि और विनता के पुत्र तथा [[अरुण देवता|अरुण]] के भ्राता हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें- [[गरुड़]] | ||
{[[इन्द्र]] के विमान का नाम है? | {[[इन्द्र]] के विमान का नाम है? | ||
Line 132: | Line 138: | ||
+[[वाल्मीकि]] | +[[वाल्मीकि]] | ||
-[[तुलसीदास]] | -[[तुलसीदास]] | ||
+ | ||विश्वामित्र राजा गाधि के पुत्र थे। उन्होंने कई हज़ार वर्ष राज्य किया और फिर [[पृथ्वी ग्रह|पृथ्वी]] की परिक्रमा के लिए निकले। मार्ग में वसिष्ठ का आश्रम था। वसिष्ठ का आतिथ्य ग्रहण कर वे लोग चकित रह गये। [[वसिष्ठ]] के पास शबला नामक [[कामधेनु]] थी, जिसकी सहायता से उन्होंने अनेक प्रकार के व्यंजनों की व्यवस्था कर समस्त [[अक्षौहिणी]] सेना का अद्भुत सत्कार किया था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें- [[विश्वामित्र]] | ||
{[[श्लोक]] शब्द का अर्थ होता है? | {[[श्लोक]] शब्द का अर्थ होता है? | ||
Line 151: | Line 158: | ||
-[[हनुमान]] | -[[हनुमान]] | ||
-[[सुग्रीव]] | -[[सुग्रीव]] | ||
− | +[[अंगद]] | + | +[[अंगद (बाली पुत्र)|अंगद]] |
-[[विभीषण]] | -[[विभीषण]] | ||
+ | ||युवराज अंगद [[बालि]] के पुत्र थे। बालि इनसे सर्वाधिक प्रेम करता था। ये परम बुद्धिमान, अपने पिता के समान बलशाली तथा भगवान श्री [[राम]] के परम भक्त थे। अपने छोटे भाई [[सुग्रीव]] की पत्नी और सर्वस्व हरण करने के अपराध में भगवान श्री राम के हाथों बालि की मृत्यु हुई। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें- [[अंगद (बाली पुत्र)|अंगद]] | ||
{[[मेघनाद]] का दूसरा नाम क्या था? | {[[मेघनाद]] का दूसरा नाम क्या था? | ||
Line 176: | Line 184: | ||
-विपाशा | -विपाशा | ||
− | {[[राम]] [[लक्ष्मण]] को आश्रमों की रक्षा करने वन में कौन से ब्रह्म ॠषि ले गये थे? | + | {[[राम]], [[लक्ष्मण]] को आश्रमों की रक्षा करने वन में कौन से [[ब्रह्म]] ॠषि ले गये थे? |
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-[[दुर्वासा]] | -[[दुर्वासा]] |