कुटिया: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
(''''कुटिया''' घास-फूस से बनी छोटी-सी झोपड़ी को कहा जाता है...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replacement - "khoj.bharatdiscovery.org" to "bharatkhoj.org") |
||
(One intermediate revision by one other user not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
[[चित्र:Thatch-7.jpg|thumb|300px|'''कुटिया''']] | |||
'''कुटिया''' घास-फूस से बनी छोटी-सी झोपड़ी को कहा जाता है। यह मुख्यत: [[साधु|साधुओं]] के रहने का स्थान हुआ करती है। कुटिया के निर्माण में यह ध्यान रखा जाता है कि कमरे छोटे और आरामदेह हों और उसका निवासी भीतर बैठे ही अधिक से अधिक प्राकृतिक दृश्य का अवलोकन कर सके। वर्तमान में कुटिया अब कहीं-कहीं पर ही दिखाई देती हैं, इसके स्थान पर आधुनिक पक्के मकान बनाये जाने लगे हैं। | '''कुटिया''' घास-फूस से बनी छोटी-सी झोपड़ी को कहा जाता है। यह मुख्यत: [[साधु|साधुओं]] के रहने का स्थान हुआ करती है। कुटिया के निर्माण में यह ध्यान रखा जाता है कि कमरे छोटे और आरामदेह हों और उसका निवासी भीतर बैठे ही अधिक से अधिक प्राकृतिक दृश्य का अवलोकन कर सके। वर्तमान में कुटिया अब कहीं-कहीं पर ही दिखाई देती हैं, इसके स्थान पर आधुनिक पक्के मकान बनाये जाने लगे हैं। | ||
Line 4: | Line 5: | ||
*कुटिया की रचना में साधारण मकानों के निर्माण के प्राय: सभी सिद्धांत तथा नियम लागू होते हैं। अंतर केवल इतना ही है कि थोड़े स्थान में सभी सुविधाएँ प्रदान करने का प्रयास किया जाता है। इंजीनियर अथवा वास्तुविद की कुशलता का यही मापदंड है। | *कुटिया की रचना में साधारण मकानों के निर्माण के प्राय: सभी सिद्धांत तथा नियम लागू होते हैं। अंतर केवल इतना ही है कि थोड़े स्थान में सभी सुविधाएँ प्रदान करने का प्रयास किया जाता है। इंजीनियर अथवा वास्तुविद की कुशलता का यही मापदंड है। | ||
*साधारणत: कुटिया के कमरे औसत मकान से छोटे होते हैं और बरामदों आदि की व्यवस्था नहीं होती। बैठक तथा भोजन का स्थान एक ही कमरे में होता है। थोड़ी साज-सज्जा से ही काम चल जाए, इस आशय से आलमारियाँ और अँगीठियाँ भी प्राय: दीवारों में बना दी जाती है। | *साधारणत: कुटिया के कमरे औसत मकान से छोटे होते हैं और बरामदों आदि की व्यवस्था नहीं होती। बैठक तथा भोजन का स्थान एक ही कमरे में होता है। थोड़ी साज-सज्जा से ही काम चल जाए, इस आशय से आलमारियाँ और अँगीठियाँ भी प्राय: दीवारों में बना दी जाती है। | ||
*कम व्यय के विचार से कुटिया के निर्माण में कुर्सी तथा मकान की ऊँचाई अपेक्षाकृत कम रखी जाती है। अधिकांश कुटियाँ एक मंजिल की ही होने से बहुधा छत भी ढालू, [[खपरैल]], टीन की चादर अथवा स्लेट इत्यादि की बनाई जाती है।<ref>{{cite web |url= http:// | *कम व्यय के विचार से कुटिया के निर्माण में कुर्सी तथा मकान की ऊँचाई अपेक्षाकृत कम रखी जाती है। अधिकांश कुटियाँ एक मंजिल की ही होने से बहुधा छत भी ढालू, [[खपरैल]], टीन की चादर अथवा स्लेट इत्यादि की बनाई जाती है।<ref>{{cite web |url= http://bharatkhoj.org/india/%E0%A4%95%E0%A5%81%E0%A4%9F%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%BE|title=कुटिया|accessmonthday=06 जून|accessyear= 2014|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language= हिन्दी}}</ref> | ||
Latest revision as of 12:23, 25 October 2017
thumb|300px|कुटिया कुटिया घास-फूस से बनी छोटी-सी झोपड़ी को कहा जाता है। यह मुख्यत: साधुओं के रहने का स्थान हुआ करती है। कुटिया के निर्माण में यह ध्यान रखा जाता है कि कमरे छोटे और आरामदेह हों और उसका निवासी भीतर बैठे ही अधिक से अधिक प्राकृतिक दृश्य का अवलोकन कर सके। वर्तमान में कुटिया अब कहीं-कहीं पर ही दिखाई देती हैं, इसके स्थान पर आधुनिक पक्के मकान बनाये जाने लगे हैं।
- अंग्रेज़ी भाषा के शब्द 'काटेज' के अर्थ में छोटा मकान, जिसे धनवान लोग नगर के बाहर बाग़-बगीचे में या ग्रीष्म काल में पर्वतीय स्थलों पर, थोड़े दिन के विश्राम एवं मनोरंजन के हेतु बनवाते हैं।
- कुटिया की रचना में साधारण मकानों के निर्माण के प्राय: सभी सिद्धांत तथा नियम लागू होते हैं। अंतर केवल इतना ही है कि थोड़े स्थान में सभी सुविधाएँ प्रदान करने का प्रयास किया जाता है। इंजीनियर अथवा वास्तुविद की कुशलता का यही मापदंड है।
- साधारणत: कुटिया के कमरे औसत मकान से छोटे होते हैं और बरामदों आदि की व्यवस्था नहीं होती। बैठक तथा भोजन का स्थान एक ही कमरे में होता है। थोड़ी साज-सज्जा से ही काम चल जाए, इस आशय से आलमारियाँ और अँगीठियाँ भी प्राय: दीवारों में बना दी जाती है।
- कम व्यय के विचार से कुटिया के निर्माण में कुर्सी तथा मकान की ऊँचाई अपेक्षाकृत कम रखी जाती है। अधिकांश कुटियाँ एक मंजिल की ही होने से बहुधा छत भी ढालू, खपरैल, टीन की चादर अथवा स्लेट इत्यादि की बनाई जाती है।[1]
|
|
|
|
|