प्रयोग:Shilpi2: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
No edit summary |
No edit summary |
||
Line 5: | Line 5: | ||
| | | | ||
<quiz display=simple> | <quiz display=simple> | ||
{[[मौर्य काल]] में भूमिकर, | {[[मौर्य काल]] में भूमिकर, जोकि राज्य की आय का मुख्य स्रोत था, किस अधिकारी द्वारा एकत्रित किया जाता था? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-अग्रोनोमाई | -अग्रोनोमाई | ||
Line 13: | Line 13: | ||
||[[मौर्य काल]] में सीताध्यक्ष राजकीय [[कृषि]] विभाग का अध्यक्ष होता था, राजकीय भूमि से राज्य को सर्वाधिक कर प्राप्त होता था। | ||[[मौर्य काल]] में सीताध्यक्ष राजकीय [[कृषि]] विभाग का अध्यक्ष होता था, राजकीय भूमि से राज्य को सर्वाधिक कर प्राप्त होता था। | ||
{ | {गुप्तकाल में [[गुजरात]], [[बंगाल]], दक्कन एवं [[तमिलनाडु|तमिल]] राष्ट्र में स्थित केन्द्र किससे सम्बन्धित थे? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
+वस्त्र उत्पादन | +वस्त्र उत्पादन | ||
Line 19: | Line 19: | ||
-हस्तशिल्प | -हस्तशिल्प | ||
-अफ़ीम खेती | -अफ़ीम खेती | ||
| | ||गुप्तकाल में कपड़े का निर्माण करना इस काल का सर्वप्रमुख उद्योग था। अमरकोष में कताई, बुनाई, हथकरघा, धागे इत्यादि का सन्दर्भ आया है। गुप्तकाल में वस्त्र उत्पादन के [[गुजरात]], [[बंगाल]], दक्कन एवं [[तमिलनाडु|तमिल]] राष्ट्र के प्रमुख केन्द्र थे। | ||
{किस शासक के काल में चतुर्थ बौद्ध संगीति का आयोजन [[कश्मीर]] में हुआ था? | {किस शासक के काल में चतुर्थ बौद्ध संगीति का आयोजन [[कश्मीर]] में हुआ था? | ||
Line 29: | Line 29: | ||
|| चतुर्थ बौद्ध संगीति लगभग प्रथम शताब्दी ई. में [[कुषाण वंश]] के शासक [[कनिष्क]] के शासनकाल में [[कश्मीर]] के कुण्डलवन में आयोजित की गयी थी, इस संगीत सभा की अध्यक्षता वसुमित्र ने की थी। इस सभा में [[बौद्ध धर्म]] दो सम्प्रदायों [[हीनयान]] तथा [[महायान]] में विभाजित हो गया था। {{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[कनिष्क]] | || चतुर्थ बौद्ध संगीति लगभग प्रथम शताब्दी ई. में [[कुषाण वंश]] के शासक [[कनिष्क]] के शासनकाल में [[कश्मीर]] के कुण्डलवन में आयोजित की गयी थी, इस संगीत सभा की अध्यक्षता वसुमित्र ने की थी। इस सभा में [[बौद्ध धर्म]] दो सम्प्रदायों [[हीनयान]] तथा [[महायान]] में विभाजित हो गया था। {{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[कनिष्क]] | ||
{संगमकालीन साहित्य में | {संगमकालीन साहित्य में 'कोन, को एवं मन्नन' किसके लिए प्रयुक्त होते थे? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-[[प्रधानमंत्री]] | -[[प्रधानमंत्री]] | ||
Line 40: | Line 40: | ||
-हसन निज़ामी | -हसन निज़ामी | ||
-मिन्हाज-उस-सिराज | -मिन्हाज-उस-सिराज | ||
+ | +अलबरूनी | ||
-शम्स-ए- सिराज आफ़िफ | -शम्स-ए- सिराज आफ़िफ | ||
|| 'किताब उल हिन्द' नामक पुस्तक की रचना | || 'किताब उल हिन्द' नामक पुस्तक की रचना अलबरूनी ने की थी। अलबरूनी [[अरबी भाषा|अरबी]], [[फ़ारसी भाषा|फ़ारसी]], तुर्की, [[संस्कृत]], गणित, खगोल का प्रमुख जानकर था। उसकी कुल 14 पुस्तकों में 'किताब उल हिन्द' सबसे अधिक लोकप्रिय पुस्तक थी। उसकी इस पुस्तक को दक्षिण एशिया के इतिहास का प्रमुख स्रोत माना जाता है। | ||
{[[अकबर]] काल में भू-राजस्व व्यवस्था की प्रसिद्ध नीति 'आइन-ए दहसाला' पद्धति किसके द्वारा निर्मित की गई थी? | {[[अकबर]] काल में भू-राजस्व व्यवस्था की प्रसिद्ध नीति 'आइन-ए दहसाला' पद्धति किसके द्वारा निर्मित की गई थी? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-शाह | -शाह नवाज़ ख़ाँ | ||
+[[टोडरमल]] | +[[टोडरमल]] | ||
-[[रहीम|अब्दुर्रहीम रहीम खानखाना]] | -[[रहीम|अब्दुर्रहीम रहीम खानखाना]] | ||
-मुल्ला दो प्याजा | -मुल्ला दो प्याजा | ||
||[[टोडरमल]], [[अकबर]] | ||[[टोडरमल]], [[अकबर]] के नौ रत्नों में से एक थे तथा अकबर के अर्थमंत्री थे। भू-राजस्व व्यवस्था 'आइन-ए दहसाला' उन्हीं के द्वारा निर्मित की गई थी। | ||
{'अष्ट दिग्गज' किस राजा से सम्बन्धित थे? | {'अष्ट दिग्गज' किस राजा से सम्बन्धित थे? | ||
Line 58: | Line 58: | ||
-[[राजेन्द्र प्रथम]] | -[[राजेन्द्र प्रथम]] | ||
-[[यशोवर्मन]] | -[[यशोवर्मन]] | ||
||कृष्णदेव राय शासनकाल ' | ||कृष्णदेव राय शासनकाल 'तेलुगु साहित्य का क्लासिकी युग' माना जाता है। उसके दरबार को तेलुगु के आठ महान विद्वान एवं कवि (जिन्हें अष्ट दिग्गज़ कहा जाता है) सुशोभित करते थे अत: उसे 'आन्ध्र भोज' भी कहा जाता है। | ||
{19वीं सदी के महानतम पारसी समाज सुधारक थे? | {19वीं सदी के महानतम पारसी समाज सुधारक थे? | ||
Line 65: | Line 65: | ||
-सर रूस्तम बहरामजी | -सर रूस्तम बहरामजी | ||
-नवलजी टाटा | -नवलजी टाटा | ||
+बहरामजी एम.मल्लबारी | +बहरामजी एम. मल्लबारी | ||
||19वीं शताब्दी के पारसी सुधारक '''बहरामजी एम.मल्लबारी''' थे इन्होंने [[1885]] में सेवासदन नामक सामाजिक सुधार तथा मानवतावादी संगठन की स्थापना की थी। | ||19वीं शताब्दी के पारसी सुधारक '''बहरामजी एम. मल्लबारी''' थे इन्होंने [[1885]] में सेवासदन नामक सामाजिक सुधार तथा मानवतावादी संगठन की स्थापना की थी। | ||
{[[भारत]] में प्रथम तीन विश्वविद्यालय ([[कलकत्ता]], [[मद्रास]], [[बम्बई]]) की स्थापना किस वर्ष में हुई? | {[[भारत]] में प्रथम तीन विश्वविद्यालय ([[कलकत्ता]], [[मद्रास]], [[बम्बई]]) की स्थापना किस वर्ष में हुई? | ||
Line 82: | Line 82: | ||
+बेलगाँव में | +बेलगाँव में | ||
-[[कानपुर]] में | -[[कानपुर]] में | ||
||[[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]] का 39 वाँ अधिवेशन, जो 26- | ||[[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]] का 39 वाँ अधिवेशन, जो [[26 दिसम्बर|26]] -[[27 दिसम्बर|27]], [[1924]] में बेलगाँव में हुआ था, की अध्यक्षता [[महात्मा गाँधी]] ने की थी। | ||
Line 122: | Line 122: | ||
-[[रजिया सुल्तान|रजिया]] | -[[रजिया सुल्तान|रजिया]] | ||
-[[बलबन]] | -[[बलबन]] | ||
+[[अलाउद्दीन | +[[अलाउद्दीन ख़िलज़ी]] | ||
||[[दिल्ली]] सल्तनत का सर्वशक्तिशाली शासक [[अलाउद्दीन | ||[[दिल्ली]] सल्तनत का सर्वशक्तिशाली शासक [[अलाउद्दीन ख़िलज़ी]] ने बकाया करों की वसूली तथा राजस्व एकत्र करने के लिए 'दीवान-ए-मुस्तखराज' नामक विभाग की स्थापना की। | ||
{इतिहासकार [[अबुल फ़ज़ल]] का कत्ल किया था? | {इतिहासकार [[अबुल फ़ज़ल]] का कत्ल किया था? | ||
Line 133: | Line 133: | ||
||सलीम ([[जहाँगीर]]) के इशारे पर ओरछा के बुन्देला सरदार वीर सिंह देव ने [[अबुल फ़ज़ल]] की हत्या कर दी थी। अबुल फ़ज़ल [[अकबर]] द्वारा स्थापित नवीन सम्प्रदाय [[दीन-ए-इलाही]] का प्रधान पुरोहित था। | ||सलीम ([[जहाँगीर]]) के इशारे पर ओरछा के बुन्देला सरदार वीर सिंह देव ने [[अबुल फ़ज़ल]] की हत्या कर दी थी। अबुल फ़ज़ल [[अकबर]] द्वारा स्थापित नवीन सम्प्रदाय [[दीन-ए-इलाही]] का प्रधान पुरोहित था। | ||
{निम्नलिखित में से किस मुग़ल बादशाह ने [[राजा राममोहन राय]] को दूत बनाकर लंदन भेजा था? | {निम्नलिखित में से किस [[मुग़ल]] बादशाह ने [[राजा राममोहन राय]] को दूत बनाकर लंदन भेजा था? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-[[आलमगीर द्वितीय]] | -[[आलमगीर द्वितीय]] | ||
Line 147: | Line 147: | ||
+[[सर सैयद अहमद ख़ाँ]] ने | +[[सर सैयद अहमद ख़ाँ]] ने | ||
-इनमें से कोई नहीं | -इनमें से कोई नहीं | ||
|| वैज्ञानिक समाज की स्थापना [[1864]] में [[सर सैयद अहमद ख़ाँ]] ने की तथा [[1875]] में [[अलीगढ़ मुस्लिम एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज | || वैज्ञानिक समाज की स्थापना [[1864]] में [[सर सैयद अहमद ख़ाँ]] ने की तथा [[1875]] में [[अलीगढ़]] मुस्लिम एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज की स्थापना की। | ||
{'''भारतीय असंतोष | {'''भारतीय असंतोष के पिता''' के रूप में [[बाल गंगाधर तिलक]] को किसने कहा था? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-[[लॉर्ड कर्ज़न]] | -[[लॉर्ड कर्ज़न]] | ||
Line 155: | Line 155: | ||
+वेलेंटाइल शिरॉल | +वेलेंटाइल शिरॉल | ||
-हेनरी कॉटन | -हेनरी कॉटन | ||
||वेलेंटाइल शिरॉल ने [[बाल गंगाधर तिलक]] को | ||वेलेंटाइल शिरॉल ने [[बाल गंगाधर तिलक]] को 'भारतीय असंतोष का जनक' कहा। | ||
{[[सुभाषचन्द्र बोस]] से पूर्व ' | {[[सुभाषचन्द्र बोस]] से पूर्व 'आज़ाद हिन्द फ़ौज़' का कमाण्डर कौन था? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-ग्यानी प्रीतम सिंह | -ग्यानी प्रीतम सिंह | ||
Line 163: | Line 163: | ||
-मेजर फुजीहारा | -मेजर फुजीहारा | ||
-कैप्टन सूरज मल | -कैप्टन सूरज मल | ||
|| | ||आज़ाद हिन्द फ़ौज़ की स्थापना [[15 दिसम्बर]], [[1941]] में कैप्टन मोहन सिंह ने की थी। आज़ाद हिन्द फ़ौज़ का नेतृत्व [[सुभाषचन्द्र बोस]] को [[21 अक्टूबर]], [[1943]] को सौंपा गया। | ||
{कोपेनहेगन संग्रहालय की सामग्री से पाषण, कांस्य और लौहयुग का त्रियुगीय विभाजन किया था? | {कोपेनहेगन संग्रहालय की सामग्री से पाषण, कांस्य और लौहयुग का त्रियुगीय विभाजन किया था? | ||
Line 172: | Line 172: | ||
-चाइल्ड ने | -चाइल्ड ने | ||
{[[ऋग्वेद]] | {[[ऋग्वेद]] में निम्नलिखित किन नदियों का उल्लेख [[अफ़ग़ानिस्तान]] के साथ [[आर्य|आर्यों]] के सम्बन्ध का सूचक है? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-असिक्नी | -असिक्नी | ||
Line 188: | Line 188: | ||
||[[कनिष्क]] का कार्यकाल 78 ई. के लगभग माना जाता है। 78 ई. में उसने एक संवत चलाया जो [[शक संवत]] कहलाता है। इसी के सिक्कों पर [[बुद्ध]] का अंकन मिलता है। | ||[[कनिष्क]] का कार्यकाल 78 ई. के लगभग माना जाता है। 78 ई. में उसने एक संवत चलाया जो [[शक संवत]] कहलाता है। इसी के सिक्कों पर [[बुद्ध]] का अंकन मिलता है। | ||
{माउण्ट आबू का जैन मन्दिर किससे बना है? | {[[माउण्ट आबू]] का जैन मन्दिर किससे बना है? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-बलुए पत्थर से | -बलुए पत्थर से | ||
Line 194: | Line 194: | ||
-चूना पत्थर से | -चूना पत्थर से | ||
+संगमरमर से | +संगमरमर से | ||
||[[चन्दवरदाई]] [[राजपूत|राजपूतों]] की उत्पत्ति स्थल आबू को ही मानते हैं। [[माउण्ट आबू]] के पास ही प्रसिद्ध | ||[[चन्दवरदाई]] [[राजपूत|राजपूतों]] की उत्पत्ति स्थल माउण्ट आबू को ही मानते हैं। [[माउण्ट आबू]] के पास ही प्रसिद्ध देलवाड़ा के जैन मन्दिर हैं। माउण्ट आबू के जैन मन्दिर संगमरमर से बने हुए हैं। यहाँ [[देवता|देवताओं]] के नाखूनों से खोदी गई 'नक्की झील' है। | ||
{यापनीय किसका सम्प्रदाय था? | {यापनीय किसका सम्प्रदाय था? |
Revision as of 12:58, 27 January 2011
|