अशोक स्तम्भ इलाहाबाद: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replace - "|language=हिन्दी" to "|language=हिन्दी") |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replace - "==टीका टिप्पणी और संदर्भ==" to "{{संदर्भ ग्रंथ}} ==टीका टिप्पणी और संदर्भ==") |
||
Line 17: | Line 17: | ||
|शोध= | |शोध= | ||
}} | }} | ||
{{संदर्भ ग्रंथ}} | |||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
<references/> | <references/> |
Revision as of 08:07, 21 March 2011
- अशोक स्तम्भ उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद शहर में स्थित है।
- इलाहाबाद क़िले के मुख्य द्वार पर स्थित 10.6 मीतर की ऊँचाई का यह स्तम्भ 232 ई.पू. के समय का है।
- अशोक स्तम्भ पर तीन शासकों के लेख खुदे हुए हैं। यह पुरातात्विक समय का उत्कृष्ट नमूना है।
- भारतीय इतिहास के प्राचीन बौद्ध काल में प्रयाग की महत्ता का प्रमाण अशोक स्तंभ के ऊपर उत्कीर्ण अभिलेखों से भी मिलता है, जो आज भी प्राचीन इलाहाबाद क़िले के मुख्य द्वार के भीतर मौजूद है।
- 200 ई. में समुद्रगुप्त इसे कौशाम्बी से प्रयाग लाया और उसके दरबारी कवि हरिषेण द्वारा रचित प्रयाग-प्रशस्ति इस पर ख़ुदवाया गया।
- कालान्तर में 1605 ई. में इस स्तम्भ पर मुग़ल सम्राट जहाँगीर के तख़्त पर बैठने का वाकया भी ख़ुदवाया गया।
- 1800 ई. में किले की प्राचीर सीधी बनाने हेतु इस स्तम्भ को गिरा दिया गया और 1838 में अंग्रेज़ों ने इसे पुनः खड़ा किया।[1]
भारतीय पुरालिपियों का अन्वेषण
मुख्य लेख : भारतीय पुरालिपियों का अन्वेषण
दिल्ली के सुल्तान फ़िरोज़शाह तुग़लक़ (1351-1388) ने 1356 में टोपरा (अम्बाला ज़िला, हरियाणा) तथा मेरठ से अशोक के दो स्तम्भ बड़ी मेहनत से मंगवाकर दिल्ली में खड़े करवाए थे। ये स्तम्भ कितने परिश्रम और उत्साह से दिल्ली लाए गए थे, इसका विवरण फ़िरोज़ के अपने दरबारी इतिहासकार शम्स-इ-शीराज ने ‘तारीख़-इ-फ़िरोज़शाह’ में दिया है। इनमें से एक स्तम्भ फ़िरोज़शाह के कोटले में और दूसरा ‘कुश्क शिकार’ (शिकार का महल) के पास खड़ा करवाया गया था।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ तीर्थराज प्रयाग: इतिहास के आईने में (हिन्दी) सृजनगाथा। अभिगमन तिथि: 27 दिसंबर, 2010।