गुरु दत्त: Difference between revisions

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शराब की लत से लंबे समय तक जूझने के बाद 1964 में उन्होंने आत्महत्या कर ली और इस प्रकार एक प्रतिभाशाली जीवन का असमय अंत हो गया।  
शराब की लत से लंबे समय तक जूझने के बाद 1964 में उन्होंने आत्महत्या कर ली और इस प्रकार एक प्रतिभाशाली जीवन का असमय अंत हो गया।  

Revision as of 07:59, 2 December 2011

गुरु दत्त
पूरा नाम गुरुदत्त
जन्म 9 जुलाई 1925
जन्म भूमि बंगलोर, कर्नाटक
मृत्यु 10 अक्तूबर 1964 (आत्महत्या)
मृत्यु स्थान बंबई {वर्तमान मुंबई}, महाराष्ट्र
कर्म भूमि मुंबई
कर्म-क्षेत्र अभिनेता, निर्माता व निर्देशक
मुख्य फ़िल्में प्यासा (1957), काग़ज़ के फूल (1959) और साहब, बीबी और ग़ुलाम (1962), चौदहवीं का चाँद
प्रसिद्धि इनकी फ़िल्मों में कैमरा और प्रकाश व्यवस्था
नागरिकता भारतीय

गुरुदत्त (जन्म- 9 जुलाई 1925, बंगलोर, कर्नाटक, भारत; मृत्यु- 10 अक्तूबर 1964, बंबई {वर्तमान मुंबई}, महाराष्ट्र), हिन्दी सिनेमा के निर्देशक तथा अभिनेता थे।

फ़िल्मी सफ़र

कलकत्ता (वर्तमान कोलकाता) में शिक्षा प्राप्त करने के बाद दत्त ने अल्मोड़ा स्थित उदय शंकर की नृत्य अकादमी में प्रशिक्षण प्राप्त किया और उसके बाद कलकत्ता में टेलीफ़ोन ऑपरेटर का काम करने लगे। बाद में वह पुणे (भूतपूर्व पूना) चले गए और प्रभात स्टूडियो से जुड़ गए, जहाँ उन्होंने पहले अभिनेता और फिर नृत्य-निर्देशक के रूप में काम किया। उनकी पहली फ़ीचर फ़िल्म बाज़ी (1951) देवानंद की नवकेतन फ़िल्म्स के बैनर तले बनी थी। इसके बाद उनकी दूसरी सफल फ़िल्म जाल (1952) बनी, जिसमें वही सितारे (देवानंद और गीता बाली) शामिल थे। इसके बाद गुरुदत्त ने बाज़ (1953) फ़िल्म के निर्माण के लिए अपनी प्रोडक्शन कंपनी शुरू की। हालांकि उन्होंने अपने संक्षिप्त, किंतु प्रतिभासंपन्न पेशेवर जीवन में कई शैलियों में प्रयोग किया, लेकिन उनकी प्रतिभा का सर्वश्रेष्ठ रूप उत्कट भावुकतापूर्ण फ़िल्मों में प्रदर्शित हुआ।

प्रसिद्धि का स्रोत

मुख्य रूप से दत्त की प्रसिद्धि का स्रोत बारीकी से गढ़ी गई, उदास व चिंतन भरी उनकी तीन बेहतरीन फ़िल्में हैं- प्यासा (1957), काग़ज़ के फूल (1959) और साहब, बीबी और ग़ुलाम (1962)। हालांकि साहब, बीबी और ग़ुलाम का श्रेय उनके सह पटकथा लेखक अबरार अल्वी को दिया जाता है, लेकिन यह स्पष्ट रूप से गुरुदत्त की कृति थी। गुरुदत्त ने सी.आई.डी. से वहीदा रहमान का फ़िल्म जगत में परिचय कराया और फिर प्यास तथा काग़ज़ के फूल जैसी फ़िल्मों से उन्हे कीर्तिस्तंभ की तरह स्थापित कर दिया। प्रकाश और छाया के कल्पनाशील उपयोग, भावपूर्ण दृश्यबिंब, कथा में कई विषय- वस्तुओं की परतें गूंथने की अद्भुत क्षमता और गीतों के मंत्रमुग्धकारी छायांकन ने उन्हें भारतीय सिनेमा के सबसे निपुण शैलीकारों में ला खड़ा किया।

गुरुदत्त की फ़िल्में

गुरुदत्त की प्रमुख फ़िल्में[1]
वर्ष फ़िल्म नायिका निर्देशक
1945 लाखा रानी मोनिका देसाई विश्राम बेड़ेकर
1953 बाज़ गीता बाली गुरुदत्त
1954 आर पार श्यामा, शकीला गुरुदत्त
1955 मि.एंड मिसेस 55 मधुबाला गुरुदत्त
1957 प्यासा मालासिन्हा, वहीदा रहमान गुरुदत्त
1958 बारह बजे वहीदा रहमान प्रमोद चक्रवती
1959 कागज़ के फूल वहीदा रहमान गुरुदत्त
1960 चौदहवी का चाँद वहीदा रहमान एम. सादिक
1962 साहिब बीवी और गुलाम मीना कुमारी, वहीदा रहमान अबरार अल्वी
1963 सौतेला भाई महेश कौल
1963 बहुरानी मालासिन्हा टी. प्रकाश राव
1963 भरोसा आशा पारेख के.शंकर
1964 सांझ और सवेरा मीना कुमारी ऋषिकेश मुखर्जी
1964 सुहागन वहीदा रहमान के.एस. गोपालकृष्णन
निर्देशक के तौर पर गुरुदत्त
वर्ष फ़िल्म नायक नायिका
1951 बाज़ी देव आनंद गीता बाली, कल्पना कार्तिक
1951 जाल देव आनंद गीता बाली, पूर्णिमा
1956 सैलाब अभि भट्टाचार्य गीता बाली
निर्माता के तौर पर गुरुदत्त
वर्ष फ़िल्म नायक / नायिका निर्देशक
1956 सीआईडी देव आनंद, शकीला, वहीदा रहमान राज खोसला

निधन

शराब की लत से लंबे समय तक जूझने के बाद 1964 में उन्होंने आत्महत्या कर ली और इस प्रकार एक प्रतिभाशाली जीवन का असमय अंत हो गया।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. आभार- पंजाब केसरी 1 दिसंबर, 2011

बाहरी कड़ियाँ

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