हाइड्रोजन: Difference between revisions

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'''उदजन''' ([[अंग्रेज़ी भाषा|अंग्रेज़ी]]:हाइड्रोजन) [[आवर्त सारणी]] का प्रथम [[तत्व]] है। हाइड्रोजन का [[हिन्दी]] नाम 'उदजन' है। यह अन्य सभी तत्वों से हल्का होता है। इसका प्रतीकानुसार 'उ' (H) तथा [[परमाणु संख्या]] 1 होती है। इसका [[परमाणु द्रव्यमान]] 1.008 होता है। इसका [[इलेक्ट्रॉनिक विन्यास]] 1s<sup>1</sup> होता है। इसे आवर्त सारणी के उपवर्ग IA में रखा गया है। यह 's' - ब्लॉक का सदस्य है। कुछ मामले में उदजन की समानता [[हैलोजन]] के साथ होने के कारण इसे इन [[तत्व|तत्वों]] के साथ उपवर्ग VIIA में भी रख दिया गया है। प्रथम तत्त्व होने के कारण उदजन का 9वाँ स्थान है। [[सूर्य (तारा)|सूर्य]] और [[तारा|तारों]] का आधा भाग उदजन का बना है। उदजन को भविष्य का [[ईंधन]] कहा जाता है। इसके [[नाभिक]] में सिर्फ़ एक [[प्रोटॉन]] होता है। यह आवर्त सारणी का एकमात्र ऐसा तत्त्व है, इसके नाभिक में [[न्यूट्रॉन]] नहीं पाया जाता है। इसकी खोज 1766 ई. में हेनरी कैवेंडिस ने की। उदजन सभी [[अम्ल|अम्लों]] का अनिवार्य अंग है।<ref>(DAVY का कथन)</ref>
'''हाइड्रोजन''' ([[अंग्रेज़ी]]:''Hydrogen'') [[आवर्त सारणी]] का प्रथम [[तत्व]] है। हाइड्रोजन का [[हिन्दी]] नाम 'उदजन' है। यह अन्य सभी तत्वों से हल्का होता है। इसका प्रतीकानुसार 'उ' (H) तथा [[परमाणु संख्या]] 1 होती है। इसका [[परमाणु द्रव्यमान]] 1.008 होता है। इसका [[इलेक्ट्रॉनिक विन्यास]] 1s<sup>1</sup> होता है। इसे आवर्त सारणी के उपवर्ग IA में रखा गया है। यह 's' - ब्लॉक का सदस्य है। कुछ मामले में हाइड्रोजन की समानता [[हैलोजन]] के साथ होने के कारण इसे इन [[तत्व|तत्वों]] के साथ उपवर्ग VIIA में भी रख दिया गया है। प्रथम तत्त्व होने के कारण हाइड्रोजन का 9वाँ स्थान है। [[सूर्य (तारा)|सूर्य]] और [[तारा|तारों]] का आधा भाग हाइड्रोजन का बना है। हाइड्रोजन को भविष्य का [[ईंधन]] कहा जाता है। इसके [[नाभिक]] में सिर्फ़ एक [[प्रोटॉन]] होता है। यह आवर्त सारणी का एकमात्र ऐसा तत्त्व है, इसके नाभिक में [[न्यूट्रॉन]] नहीं पाया जाता है। इसकी खोज 1766 ई. में हेनरी कैवेंडिस ने की। हाइड्रोजन सभी [[अम्ल|अम्लों]] का अनिवार्य अंग है।<ref>(DAVY का कथन)</ref>
==उदजन निर्माण की विधि==
==हाइड्रोजन निर्माण की विधि==
(i) [[लाल रंग|लाल]] तप्त [[लोहा|लोहे]] पर भाप प्रवाहित करने पर उदजन [[गैस]] प्राप्त होती है।
(i) [[लाल रंग|लाल]] तप्त [[लोहा|लोहे]] पर भाप प्रवाहित करने पर हाइड्रोजन [[गैस]] प्राप्त होती है।
<blockquote>3Fe + 4H<sub>2</sub>O → Fe<sub>3</sub>O<sub>4</sub> + 4H<sub>2</sub>↑</blockquote>
<blockquote>3Fe + 4H<sub>2</sub>O → Fe<sub>3</sub>O<sub>4</sub> + 4H<sub>2</sub>↑</blockquote>
(ii) उदजन की [[जल]] से प्रतिक्रिया करने पर उदजन गैस प्राप्त होती है।
(ii) हाइड्रोजन की [[जल]] से प्रतिक्रिया करने पर हाइड्रोजन गैस प्राप्त होती है।
<blockquote>CaH<sub>2</sub> + 2H<sub>2</sub>O → Ca(OH)<sub>2</sub> + H<sub>2</sub>↑</blockquote>
<blockquote>CaH<sub>2</sub> + 2H<sub>2</sub>O → Ca(OH)<sub>2</sub> + H<sub>2</sub>↑</blockquote>
(iii) [[सोडियम]] की जल के साथ प्रतिक्रिया करने पर उदजन गैस प्राप्त होती है।
(iii) [[सोडियम]] की जल के साथ प्रतिक्रिया करने पर हाइड्रोजन गैस प्राप्त होती है।
<blockquote>2Na + 2H<sub>2</sub>O → 2NaOH + H<sub>2</sub>↑</blockquote>
<blockquote>2Na + 2H<sub>2</sub>O → 2NaOH + H<sub>2</sub>↑</blockquote>
==उदजन का अधिशोषण==
==हाइड्रोजन का अधिशोषण==
[[पलाडियम]] जैसी कुछ [[धातु|धातुओं]] के महीन चूर्ण द्वारा उदजन गैस शीघ्रता से अवशोषित कर ली जाती है। धातु को गर्म करने पर अधिशोषित गैस पुनः बाहर निकल जाती है। उदजन के इस प्रकार अधिशोषित होने की क्रिया को उदजन का अधिशोषण कहते हैं।
[[पलाडियम]] जैसी कुछ [[धातु|धातुओं]] के महीन चूर्ण द्वारा हाइड्रोजन गैस शीघ्रता से अवशोषित कर ली जाती है। धातु को गर्म करने पर अधिशोषित गैस पुनः बाहर निकल जाती है। हाइड्रोजन के इस प्रकार अधिशोषित होने की क्रिया को हाइड्रोजन का अधिशोषण कहते हैं।
==तेलों का हाइड्रोजनीकरण==
==तेलों का हाइड्रोजनीकरण==
उच्च [[दाब]] पर निकेल उत्प्रेरक की उपस्थिति में उदजन वनस्पलि तेलों से संयोग करके उन्हें वनस्पति घी में परिणत कर देता है, इस प्रक्रिया को तेलों का हाइड्रोजनीकरण कहते हैं।
उच्च [[दाब]] पर निकेल उत्प्रेरक की उपस्थिति में हाइड्रोजन वनस्पलि तेलों से संयोग करके उन्हें वनस्पति घी में परिणत कर देता है, इस प्रक्रिया को तेलों का हाइड्रोजनीकरण कहते हैं।
==उदजन का उपयोग==
==हाइड्रोजन का उपयोग==
# प्रायः अन्य गैसों के साथ मिश्रित कर [[ईंधन]] के रूप में उपयोग करा जाता है।
# प्रायः अन्य गैसों के साथ मिश्रित कर [[ईंधन]] के रूप में उपयोग करा जाता है।
# हैबर विधि से [[अमोनिया]] के उत्पादन में होता है।
# हैबर विधि से [[अमोनिया]] के उत्पादन में होता है।
# वनस्पति घी के निर्माण में उपयोग होता है।
# वनस्पति घी के निर्माण में उपयोग होता है।
# गैसोलिन के उत्पाद में भी उपयोग होता है
# गैसोलिन के उत्पाद में भी उपयोग होता है
# [[जारक]] उदजन लौ ([[ताप]] 2800°C) का उपयोग धातुओं को काटने तथा जोड़ने में होता है।
# [[जारक]] हाइड्रोजन लौ ([[ताप]] 2800°C) का उपयोग धातुओं को काटने तथा जोड़ने में होता है।
# हल्की गैस होने के कारण गुब्बारे में भरने में होता है, किन्तु ज्वलनशील होने के कारण आजकल इसकी जगह [[यानाति]] या [[यानाति]]-उदजन मिश्रण (He 85% + H<sub>2</sub> 15%) का व्यवहार होता है।
# हल्की गैस होने के कारण गुब्बारे में भरने में होता है, किन्तु ज्वलनशील होने के कारण आजकल इसकी जगह [[यानाति]] या [[यानाति]]-हाइड्रोजन मिश्रण (He 85% + H<sub>2</sub> 15%) का व्यवहार होता है।
# [[द्रव]] उदजन बाण-हवाई (रॉकेट) ईंधन के रूप में प्रयुक्त होता है।
# [[द्रव]] हाइड्रोजन बाण-हवाई (रॉकेट) ईंधन के रूप में प्रयुक्त होता है।


==उदजन के रूप==
==हाइड्रोजन के रूप==
====नवजात उदजन====
====नवजात हाइड्रोजन====
रासायनिक प्रतिक्रिया के फलस्वरूप किसी [[यौगिक]] से तुरन्त निकली हुई उदजन गैस नवजात कहलाती है। यह आण्विक उदजन से अधिक क्रियाशील होता है।
रासायनिक प्रतिक्रिया के फलस्वरूप किसी [[यौगिक]] से तुरन्त निकली हुई हाइड्रोजन गैस नवजात कहलाती है। यह आण्विक हाइड्रोजन से अधिक क्रियाशील होता है।
====परमाण्विक उदजन====
====परमाण्विक हाइड्रोजन====
उदजन [[अणु]] के विघटन से प्राप्त होने वाले उदजन को परमाण्विक उदजन कहते हैं।
हाइड्रोजन [[अणु]] के विघटन से प्राप्त होने वाले हाइड्रोजन को परमाण्विक हाइड्रोजन कहते हैं।
====ऊर्ध्व (ऑर्थों) उदजन====
====ऊर्ध्व (ऑर्थों) हाइड्रोजन====
उदजन का वह रूप जिसमें उदजन आणु के [[परमाणु|परमाणुओं]] के नाभिक एक ही दिशा में चक्रण करते हैं, ऊर्ध्व-उदजन कहलाता है।
हाइड्रोजन का वह रूप जिसमें हाइड्रोजन आणु के [[परमाणु|परमाणुओं]] के नाभिक एक ही दिशा में चक्रण करते हैं, ऊर्ध्व-हाइड्रोजन कहलाता है।
====परा (पारा) उदजन====
====परा (पारा) हाइड्रोजन====
उदजन का वह रूप जिसमें उदजन आणु के परमाणुओं के नाभिक एक दूसरे के विपरीत दिशा में चक्रण करते हैं, परा-उदजन कहलाता है।
हाइड्रोजन का वह रूप जिसमें हाइड्रोजन आणु के परमाणुओं के नाभिक एक दूसरे के विपरीत दिशा में चक्रण करते हैं, परा-हाइड्रोजन कहलाता है।


==उदजन के समस्थानिक==
==हाइड्रोजन के समस्थानिक==
{{main|हाइड्रोजन के समस्थानिक}}
{{main|हाइड्रोजन के समस्थानिक}}
उदजन के तीन [[समस्थानिक]] होते हैं, ये है-
हाइड्रोजन के तीन [[समस्थानिक]] होते हैं, ये है-
#प्रोटियम (<sub>1</sub>H<sup>1</sup>)
#प्रोटियम (<sub>1</sub>H<sup>1</sup>)
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#ड्यूटेरियम (<sub>1</sub>H<sup>2</sup> या D)

Revision as of 06:41, 18 October 2012

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हाइड्रोजन (अंग्रेज़ी:Hydrogen) आवर्त सारणी का प्रथम तत्व है। हाइड्रोजन का हिन्दी नाम 'उदजन' है। यह अन्य सभी तत्वों से हल्का होता है। इसका प्रतीकानुसार 'उ' (H) तथा परमाणु संख्या 1 होती है। इसका परमाणु द्रव्यमान 1.008 होता है। इसका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 1s1 होता है। इसे आवर्त सारणी के उपवर्ग IA में रखा गया है। यह 's' - ब्लॉक का सदस्य है। कुछ मामले में हाइड्रोजन की समानता हैलोजन के साथ होने के कारण इसे इन तत्वों के साथ उपवर्ग VIIA में भी रख दिया गया है। प्रथम तत्त्व होने के कारण हाइड्रोजन का 9वाँ स्थान है। सूर्य और तारों का आधा भाग हाइड्रोजन का बना है। हाइड्रोजन को भविष्य का ईंधन कहा जाता है। इसके नाभिक में सिर्फ़ एक प्रोटॉन होता है। यह आवर्त सारणी का एकमात्र ऐसा तत्त्व है, इसके नाभिक में न्यूट्रॉन नहीं पाया जाता है। इसकी खोज 1766 ई. में हेनरी कैवेंडिस ने की। हाइड्रोजन सभी अम्लों का अनिवार्य अंग है।[1]

हाइड्रोजन निर्माण की विधि

(i) लाल तप्त लोहे पर भाप प्रवाहित करने पर हाइड्रोजन गैस प्राप्त होती है।

3Fe + 4H2O → Fe3O4 + 4H2

(ii) हाइड्रोजन की जल से प्रतिक्रिया करने पर हाइड्रोजन गैस प्राप्त होती है।

CaH2 + 2H2O → Ca(OH)2 + H2

(iii) सोडियम की जल के साथ प्रतिक्रिया करने पर हाइड्रोजन गैस प्राप्त होती है।

2Na + 2H2O → 2NaOH + H2

हाइड्रोजन का अधिशोषण

पलाडियम जैसी कुछ धातुओं के महीन चूर्ण द्वारा हाइड्रोजन गैस शीघ्रता से अवशोषित कर ली जाती है। धातु को गर्म करने पर अधिशोषित गैस पुनः बाहर निकल जाती है। हाइड्रोजन के इस प्रकार अधिशोषित होने की क्रिया को हाइड्रोजन का अधिशोषण कहते हैं।

तेलों का हाइड्रोजनीकरण

उच्च दाब पर निकेल उत्प्रेरक की उपस्थिति में हाइड्रोजन वनस्पलि तेलों से संयोग करके उन्हें वनस्पति घी में परिणत कर देता है, इस प्रक्रिया को तेलों का हाइड्रोजनीकरण कहते हैं।

हाइड्रोजन का उपयोग

  1. प्रायः अन्य गैसों के साथ मिश्रित कर ईंधन के रूप में उपयोग करा जाता है।
  2. हैबर विधि से अमोनिया के उत्पादन में होता है।
  3. वनस्पति घी के निर्माण में उपयोग होता है।
  4. गैसोलिन के उत्पाद में भी उपयोग होता है
  5. जारक हाइड्रोजन लौ (ताप 2800°C) का उपयोग धातुओं को काटने तथा जोड़ने में होता है।
  6. हल्की गैस होने के कारण गुब्बारे में भरने में होता है, किन्तु ज्वलनशील होने के कारण आजकल इसकी जगह यानाति या यानाति-हाइड्रोजन मिश्रण (He 85% + H2 15%) का व्यवहार होता है।
  7. द्रव हाइड्रोजन बाण-हवाई (रॉकेट) ईंधन के रूप में प्रयुक्त होता है।

हाइड्रोजन के रूप

नवजात हाइड्रोजन

रासायनिक प्रतिक्रिया के फलस्वरूप किसी यौगिक से तुरन्त निकली हुई हाइड्रोजन गैस नवजात कहलाती है। यह आण्विक हाइड्रोजन से अधिक क्रियाशील होता है।

परमाण्विक हाइड्रोजन

हाइड्रोजन अणु के विघटन से प्राप्त होने वाले हाइड्रोजन को परमाण्विक हाइड्रोजन कहते हैं।

ऊर्ध्व (ऑर्थों) हाइड्रोजन

हाइड्रोजन का वह रूप जिसमें हाइड्रोजन आणु के परमाणुओं के नाभिक एक ही दिशा में चक्रण करते हैं, ऊर्ध्व-हाइड्रोजन कहलाता है।

परा (पारा) हाइड्रोजन

हाइड्रोजन का वह रूप जिसमें हाइड्रोजन आणु के परमाणुओं के नाभिक एक दूसरे के विपरीत दिशा में चक्रण करते हैं, परा-हाइड्रोजन कहलाता है।

हाइड्रोजन के समस्थानिक

  1. REDIRECTसाँचा:मुख्य

हाइड्रोजन के तीन समस्थानिक होते हैं, ये है-

  1. प्रोटियम (1H1)
  2. ड्यूटेरियम (1H2 या D)
  3. ट्राइटियम (1H3 या T)


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. (DAVY का कथन)

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