ऑक्सीजन: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
m (Adding category Category:गैस (को हटा दिया गया हैं।))
Line 50: Line 50:
[[Category:रासायनिक तत्त्व]]
[[Category:रासायनिक तत्त्व]]
[[Category:विज्ञान_कोश]]
[[Category:विज्ञान_कोश]]
[[Category:गैस]]
__INDEX__
__INDEX__
__NOTOC__
__NOTOC__

Revision as of 14:16, 28 August 2014

  1. REDIRECTसाँचा:Infobox element

ऑक्सीजन (अंग्रेज़ी:Oxygen) आवर्त सारणी का आठवाँ तत्व है। ऑक्सीजन रंगहीन, स्वादहीन तथा गंधरहित गैस है। ऑक्सीजन का प्रतीक चिह्न O तथा इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 1s2, 2s2, 2p4 होता है। ऑक्सीजन को आवर्त सारणी के उपवर्ग 6 A में रखा गया है। ऑक्सीजन का हिन्दी नाम 'जारक' है और चिह्न जा है।

खोज

ऑक्सीजन गैस की खोज सर्वप्रथम स्वीडन के शीले नामक वैज्ञानिक ने 1772 में की थी। ऑक्सीजन की खोज, प्राप्ति अथवा प्रारंभिक अध्ययन में जे. प्रीस्टले और सी.डब्ल्यू. शेले ने महत्त्वपूर्ण कार्य किया है।[1]

प्राप्ति

ऑक्सीजन पृथ्वी के अनेक पदार्थों में रहता है और वास्तव में अन्य तत्वों की तुलना में इसकी मात्रा सबसे अधिक है। ऑक्सीजन वायुमंडल में स्वतंत्र रूप में मिलता है और आयतन के अनुसार उसका लगभग पाँचवाँ भाग है। यौगिक रूप में पानी, खनिज तथा चट्टानों का यह महत्त्वपूर्ण अंश है। वनस्पति तथा प्राणियों के प्राय: सब शारीरिक पदार्थों का ऑक्सीजन एक आवश्यक तत्व है। वायु में क़रीब 29.29% मात्रा ऑक्सीजन की होती है। चांदी को गर्म करने पर यह ऑक्सीजन को अवशोषित कर लेती है तथा ठण्डा करने पर अवशोषित ऑक्सीजन निकल जाती है। इसे चाँदी का उदवमन कहते हैं।[1]

भौतिक गुण

  • द्रव ऑक्सीजन हल्के नीले रंग का होता है।[1]
  • ऑक्सीजन एक रंगहीन, गंधहीन गैस है जो वायु से कुछ भारी होती है।
  • ठण्डा करने पर ऑक्सीजन नीले रंग के द्रव में परिवर्तित हो जाती है।
  • ऑक्सीजन गैस स्वयं नहीं जलती है, परन्तु जलने में सहायक होती है।
  • ऑक्सीजन की प्रकृति अनुचुम्बकीय है।
  • ऑक्सीजन का घनत्त्व 1.4290 ग्राम प्रति लीटर है (0° सेंटीग्रेड, 750 मिलीमीटर दाब पर) और वायु की अपेक्षा यह गैस 1.10527 गुणा भारी है।[1]
  • ऑक्सीजन का विशिष्ट ताप (स्थिर दाब पर) 15° सेंटीग्रेड है तथा स्थिर आयतन के विशिष्ट ताप से इसका अनुपात 1.401 है।[1]
  • ऑक्सीजन के द्रवीकरण में विशेषज्ञों को विशेष कठिनाई हुई थी, क्योंकि इसका क्रांतिक (क्रिटिकल) ताप 118.8° सेंटीग्रेड, दाब 49.7 वायुमंडल तथा घनत्त्व 0.430 ग्राम/सेंटीमीटर3 है।[1]
  • ऑक्सीजन का क्वथनांक 183° सेंटीग्रेड तथा ठोस ऑक्सीजन का द्रवणांक 218.4° सेंटीग्रेड है। 15° सेंटीग्रेड पर संलग्न तथा वाष्पायन ऊष्माएँ क्रमानुसार 3.30 तथा 50.9 कैलोरी प्रति ग्राम है।[1]
  • ऑक्सीजन पानी में थोड़ा घुलनशील है, जो जलीय प्राणियों के श्वसन के लिए उपयोगी है। कुछ धातुएँ जैसे- पिघली हुई चाँदी अथवा दूसरी वस्तुएँ जैसे- कोयला ऑक्सीजन का शोषण बड़ी मात्रा में कर लेती हैं।[1]

उपयोग

  • ऑक्सीजन को कृत्रिम श्वसन के रूप में प्रयोग करते हैं तथा इसे प्राण वायु कहते हैं।
  • जीवित प्राणियों के लिए ऑक्सीजन अति आवश्यक है। इसे वे श्वसन द्वारा ग्रहण करते हैं।
  • द्रव ऑक्सीजन तथा कार्बन, पेट्रोलियम, इत्यादि का मिश्रण अति विस्फोटक है। इसलिए इनका उपयोग कड़ी वस्तुओं (चट्टान इत्यादि) के तोड़ने में होता है।
  • लोहे की मोटी चद्दर काटने अथवा मशीन के टूटे भागों को जोड़ने के लिए ऑक्सीजन तथा दहनशील गैस को फुँकनी से जलाया जाता है। इस प्रकार उत्पन्न ज्वाला का ताप बहुत अधिक होता है।
  • साधारण ऑक्सीजन के साथ हाइड्रोजन या ऐसिटिलीन जलाई जाती है। इसके लिए ये गैसें इस्पात के बेलनों में अति संपीडित अवस्था में बिकती हैं।
  • ऑक्सीजन सिरका, वार्निश इत्यादि बनाने तथा असाध्य रोगियों के साँस लेने के लिए भी उपयोगी है।
  • ऑक्सीजन धातुओं को जोड़ने तथा क्लोरीन, सल्फ़्यूरिक अम्ल आदि के औद्योगिक निर्माण में प्रयोग की जाती है।[1]

रासायनिक गुण

ऑक्साइड और डाइऑक्साइड

  • कई प्रकार के ऑक्साइडों (जैसे पारा, चाँदी इत्यादि के) अथवा डाइऑक्साइडों (लेड, मैंगनीज, बेरियम के) तथा ऑक्सीजन वाले बहुत से लवणों (जैसे पोटैशियम नाइट्रेट, क्लोरेट, परमैंगनेट तथा डाइक्रोमेट) को गरम करने से ऑक्सीजन प्राप्त हो सकता है। जब कुछ परॉक्साइड पानी के साथ प्रक्रिया करते हैं तब भी ऑक्सीजन उत्पन्न होता है। अत: सोडियम परॉक्साइड तथा मैंगनीज़ डाइऑक्साइड या चूने के क्लोराइड का चूर्णित मिश्रण (अथवा इसी प्रकार के अन्य मिश्रण भी) ऑक्सीजन उत्पादन के लिए प्रयुक्त होते हैं।[1]
  • हाइपोक्लोराइड अथवा हाइपोब्रोमाइट (जैसे ब्लीचिंग पाउडर) के विघटन से या गंधक के अम्ल तथा मैंगनीज डाइऑक्साइड या पोटैशियम परमैंगनेट की क्रिया से भी ऑक्सीजन मिलता है। गैसो की थोड़ी मात्रा तैयार करने के लिए हाइड्रोजन परॉक्साइड अकेले अथवा उत्प्रेरक के साथ अधिक उपयुक्त है।[1]
  • जब बेरियम ऑक्साइड को तप्त किया जाता है (लगभग 500° सेंटीग्रेड तक) तब वह हवा से ऑक्सीजन लेकर परॉक्साइड बनाता है। अधिक तापक्रम (लगभग 800° सेंटीग्रेड) पर इसके विघटन से ऑक्सीजन प्राप्त होता है तथा पुन: उपयोग के लिए बेरियम ऑक्साइड बचा रहता है। औद्योगिक उत्पादन के लिए ब्रिन विधि इसी क्रिया पर आधारित थी।[1]
  • ऑक्सीजन प्राप्त करने के विचार से कुछ अन्य ऑक्साइड भी (जैसे ताँबा, पारा आदि के ऑक्साइड) इसी प्रकार उपयोगी हैं। हवा से ऑक्सीजन अलग करने के लिए अब द्रव हवा का अत्यधिक उपयोग होता है, जिसके प्रभाजित आसवन से ऑक्सीजन प्राप्त किया जाता है, पानी के विद्युत्श्लेषण (इलेक्ट्रॉलिसिस) से हाइड्रोजन के उत्पादन में ऑक्सीजन भी उपजात (बाइप्रॉडक्ट) के रूप में मिलता है।[1]
  • बहुत से तत्व ऑक्सीजन से सीधा संयोग करते हैं। इनमें कुछ (जैसे फॉस्फोरस, सोडियम इत्यादि) तो साधारण ताप पर ही धीरे-धीरे क्रिया करते हैं, परंतु अधिकतर, जैसे कार्बन, गंधक, लोहा, मैग्नीशियम इत्यादि, गरम करने पर। ऑक्सीजन से भरे बर्तन में ये वस्तुएँ दहकती हुई अवस्था में डालते ही जल उठती हैं और जलने से ऑक्साइड बनता है। ऑक्सीजन में हाइड्रोजन गैस जलती है तथा पानी बनता है। यह क्रिया इन दोनों के गैसीय मिश्रण में विद्युत चिनगारी से अथवा उत्प्रेरक की उपस्थिति में भी होती है।[1]

यौगिकों के साथ क्रिया

ऑक्सीजन बहुत से यौगिकों से भी क्रिया करता है। नाइट्रिक ऑक्साइड, फेरस तथा मैंगनस हाइड्रॉक्साइड का ऑक्सीकरण साधारण ताप पर ही होता है। हाइड्रोजन फास्फाइड, सिलिकन हाइड्राइड तथा जिंक इथाइल से तो क्रिया में इतना ताप उत्पन्न होता है कि संपूर्ण वस्तुएँ ही प्रज्वलित हो उठती हैं। लोहा, निकल इत्यादि महीन रूप में रहने पर और लेड सल्फ़ाइड तथा कार्बन क्लोराइड सूर्य के प्रकाश में क्रिया करते हैं। इन क्रियाओं में पानी की उपस्थिति चाहे यह सूक्ष्म मात्रा में ही क्यों न रहे, बहुत महत्त्वपूर्ण है।[1]

ऑक्सीजन की पहचान

दहकते हुए तिनके के प्रज्वलित होने से ऑक्सीजन की पहचान होती है (नाइट्रस ऑक्साइड से इसको भिन्नता नाइट्रिक ऑक्साइड के उपयोग से जानी जा सकती है)। ऑक्सीजन की मात्रा क्यूप्रस क्लोराइड, क्षारीय पायरोगैलोल के घोल, ताँबा अथवा इसी प्रकार की दूसरी उपयुक्त वस्तुओं द्वारा शोषित कराने से ज्ञात की जाती है।[1]


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.00 1.01 1.02 1.03 1.04 1.05 1.06 1.07 1.08 1.09 1.10 1.11 1.12 1.13 1.14 1.15 “खण्ड 1”, हिन्दी विश्वकोश, 1973 (हिन्दी), भारतडिस्कवरी पुस्तकालय: नागरी प्रचारिणी सभा वाराणसी, 344-345।

संबंधित लेख