अक्षयवट: Difference between revisions
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*यह सनातन विश्ववृक्ष माना जाता | *यह सनातन विश्ववृक्ष माना जाता है, इस वृक्ष का पुराणों में वर्णन है कि कल्पांत या प्रलय में जब समस्त पृथ्वी जल में डूब जाती है उस समय भी वट का एक वृक्ष बच जाता है जिसके एक पत्ते पर ईश्वर बालरूप में विद्यमान रहकर सृष्टि के अनादि रहस्य का अवलोकन करते हैं। | ||
* अक्षय वट के संदर्भ कालिदास के रघुवंश तथा चीनी यात्री युवान् च्वांग के यात्रा विवरणों में मिलते हैं। | |||
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Revision as of 10:36, 19 May 2018
अक्षयवट इलाहाबाद में गंगा-यमुना संगम के पास क़िले के भीतर स्थित एक वृक्ष है।
- यह सनातन विश्ववृक्ष माना जाता है, इस वृक्ष का पुराणों में वर्णन है कि कल्पांत या प्रलय में जब समस्त पृथ्वी जल में डूब जाती है उस समय भी वट का एक वृक्ष बच जाता है जिसके एक पत्ते पर ईश्वर बालरूप में विद्यमान रहकर सृष्टि के अनादि रहस्य का अवलोकन करते हैं।
- अक्षय वट के संदर्भ कालिदास के रघुवंश तथा चीनी यात्री युवान् च्वांग के यात्रा विवरणों में मिलते हैं।
- असंख्य यात्री इसकी पूजा करने के लिए आते हैं।
- काशी और गया में भी अक्षयवट है, जिनकी पूजा-परिक्रमा की जाती है।
- अक्षयवट को जैन भी पवित्र मानते हैं।
- उनकी परम्परा के अनुसार इसके नीचे ऋषभदेव जी ने तप किया था।
- यह बट का वृक्ष प्रयाग में त्रिवेणी के तट पर आज भी अवस्थित कहा जाता है।
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