कालपी: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
No edit summary |
No edit summary |
||
Line 2: | Line 2: | ||
*दसवीं सदी के मध्य में कालपी में चंदेलों ने अपना राज्य स्थापित किया था। | *दसवीं सदी के मध्य में कालपी में चंदेलों ने अपना राज्य स्थापित किया था। | ||
*चंदेल नरेश मदन वर्मा और परमार्दिदेव (12वीं सदी) के समय कालपी एक समृद्धिशाली नगरी थी। | *चंदेल नरेश मदन वर्मा और परमार्दिदेव (12वीं सदी) के समय कालपी एक समृद्धिशाली नगरी थी। | ||
*12वीं शताब्दी के अंत में इस पर कुतुबुद्दीन | *12वीं शताब्दी के अंत में इस पर [[कुतुबुद्दीन ऐबक]] का अधिकार हो गया। | ||
*1435 ई. में [[मालवा]] के हुशंगशाह का अधिकार हो गया। | *1435 ई. में [[मालवा]] के हुशंगशाह का अधिकार हो गया। | ||
*[[अकबर]] के समय कालपी सरकार (ज़िला) का मुख्यालय बन गया। | *[[अकबर]] के समय कालपी सरकार (ज़िला) का मुख्यालय बन गया। |
Revision as of 09:34, 17 February 2011
- उत्तर प्रदेश के जालौन ज़िले में यमुना तट पर बसे कालपी नगर का इतिहास चंदेलकालीन है।
- दसवीं सदी के मध्य में कालपी में चंदेलों ने अपना राज्य स्थापित किया था।
- चंदेल नरेश मदन वर्मा और परमार्दिदेव (12वीं सदी) के समय कालपी एक समृद्धिशाली नगरी थी।
- 12वीं शताब्दी के अंत में इस पर कुतुबुद्दीन ऐबक का अधिकार हो गया।
- 1435 ई. में मालवा के हुशंगशाह का अधिकार हो गया।
- अकबर के समय कालपी सरकार (ज़िला) का मुख्यालय बन गया।
- अकबर का प्रसिद्ध दरबारी बीरबल कालपी का ही था।
- मध्य काल में कालपी व्यापारिक केन्द्र के रूप में भी जानी जाती थी।
- यहाँ एक दुर्ग बना हुआ था, जिसके अब खण्डहर ही शेष हैं।
- कालपी की प्राचीन इमारतों में दुर्ग के अतिरिक्त बीरबल का रंग महल, मुग़लों की टकसाल, गोपाल मन्दिर आदि हैं।
|
|
|
|
|