चंगाराम कुमारथ कृष्णन: Difference between revisions

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'''चंगाराम कुमारथ कृष्णन''' का जन्म [[केरल]] के दक्षिण मालाबार ज़िले में [[11 जून]], [[1867]] ई. को एक [[हिन्दू]] थिया परिवार में हुआ था। 'चंगाराम कुमारथ' इनका कुल-नाम था। चंगाराम कुमारथ कृष्णन एक समाज सुधारक के रूप में प्रसिद्ध थे। आरम्भ से ही चंगाराम सामाजिक भेदभाव के विरोधी रहे थे। [[बौद्ध धर्म]] के विचार उन्हें हमेशा ही आकृष्ट करते थे। [[डॉ. अम्बेडकर]] की भाँति चंगाराम कुमारथ कृष्णन भी [[बौद्ध धर्म]] अपनाने का समर्थन करते थे और उन्होंने स्वयं बौद्ध धर्म को अंगीकार किया था। विद्यार्थी जीवन में ही वे [[श्रीलंका]] हो आये थे।
'''चंगाराम कुमारथ कृष्णन''' का जन्म [[केरल]] के दक्षिण मालाबार ज़िले में [[11 जून]], [[1867]] ई. को एक [[हिन्दू]] थिया परिवार में हुआ था। 'चंगाराम कुमारथ' इनका कुल-नाम था। चंगाराम कुमारथ कृष्णन एक समाज सुधारक के रूप में प्रसिद्ध थे। आरम्भ से ही चंगाराम सामाजिक भेदभाव के विरोधी रहे थे। [[बौद्ध धर्म]] के विचार उन्हें हमेशा ही आकृष्ट करते थे। [[डॉ. अम्बेडकर]] की भाँति चंगाराम कुमारथ कृष्णन भी [[बौद्ध धर्म]] अपनाने का समर्थन करते थे और उन्होंने स्वयं बौद्ध धर्म को अंगीकार किया था। विद्यार्थी जीवन में ही वे [[श्रीलंका]] हो आये थे।



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चंगाराम कुमारथ कृष्णन का जन्म केरल के दक्षिण मालाबार ज़िले में 11 जून, 1867 ई. को एक हिन्दू थिया परिवार में हुआ था। 'चंगाराम कुमारथ' इनका कुल-नाम था। चंगाराम कुमारथ कृष्णन एक समाज सुधारक के रूप में प्रसिद्ध थे। आरम्भ से ही चंगाराम सामाजिक भेदभाव के विरोधी रहे थे। बौद्ध धर्म के विचार उन्हें हमेशा ही आकृष्ट करते थे। डॉ. अम्बेडकर की भाँति चंगाराम कुमारथ कृष्णन भी बौद्ध धर्म अपनाने का समर्थन करते थे और उन्होंने स्वयं बौद्ध धर्म को अंगीकार किया था। विद्यार्थी जीवन में ही वे श्रीलंका हो आये थे।

  • अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने 1903 ई. में कालीकट में वकालत शुरू की और विविध सार्वजनिक कार्यों में रुचि लेने लगे।
  • चंगाराम कुमारथ कृष्णन ने 1908 में 'कालीकट बैंक' की स्थापना की और 30 वर्ष तक उसके प्रबन्ध निदेशक रहे।
  • कुमारथ कृष्णन ने 25 वर्ष तक ‘मितवादी’ पत्र भी निकाला।
  • नारायण गुरु आदि के साथ ‘अवर्णों’ के उपयोग के लिए मन्दिर का निर्माण किया।
  • चंगाराम कुमारथ कृष्णन मद्रास की ‘जस्टिस पार्टी’ के प्रमुख कार्यकर्ता थे और 1930 में 'मद्रास कौंसिल' के सदस्य नामजद किए गए।
  • कालीकट में बौद्ध मन्दिरों की स्थापना के बाद श्रीलंका के बौद्ध प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया था।
  • आधुनिकता के समर्थक कृष्णन राष्ट्रीयता और समाजसेवा के विपरीत ब्रिटिश शासन के समर्थक थे।
  • फिर भी बैंकिंग, पत्रकारिता और समाजसेवा के कार्यों के कारण केरल में उनकी काफ़ी ख्याति थी।
  • 1938 में कृष्णन का देहान्त हो गया और उनके निधन पर गांधीजी ने भी शोक संदेश भेजा था।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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