User:रविन्द्र प्रसाद/1: Difference between revisions
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||महाभारत युद्ध के अंत समय में दुर्योधन एक सरोवर में प्रवेश कर गया। उसने कहा कि- "मेरे पक्ष के लोगों से कह देना कि मैं राज्यहीन हो जाने के कारण सरोवर में प्रवेश कर गया हूँ।" वह सरोवर में जाकर छिप गया तथा माया से उसका पानी बांध लिया। तभी कृपाचार्य, अश्वत्थामा तथा कृतवर्मा दुर्योधन को ढूंढ़ते हुए उस ओर जा निकले। पाण्डव भी दुर्योधन को ढूँढते हुए सरोवर के पास आ गये तथा उसे युद्ध के लिए ललकारा। गदा युद्ध में भीम ने दुर्योधन की दोनों जंघाएँ तोड़ दीं। पाण्डव वहीं पर दुर्योधन को तड़पता हुआ छोड़कर चले गये। अश्वत्थामा ने रात्रि में | ||[[चित्र:Duryodhana-was-revealed-from-lake.jpgचित्र:Duryodhana-was-revealed-from-lake.jpg|right|100px|सरोवर से बाहर आता दुर्योधन]][[महाभारत]] युद्ध के अंत समय में [[दुर्योधन]] एक सरोवर में प्रवेश कर गया। उसने कहा कि- "मेरे पक्ष के लोगों से कह देना कि मैं राज्यहीन हो जाने के कारण सरोवर में प्रवेश कर गया हूँ।" वह सरोवर में जाकर छिप गया तथा माया से उसका पानी बांध लिया। तभी [[कृपाचार्य]], [[अश्वत्थामा]] तथा [[कृतवर्मा]] दुर्योधन को ढूंढ़ते हुए उस ओर जा निकले। [[पाण्डव]] भी दुर्योधन को ढूँढते हुए सरोवर के पास आ गये तथा उसे युद्ध के लिए ललकारा। गदा युद्ध में [[भीम]] ने दुर्योधन की दोनों जंघाएँ तोड़ दीं। पाण्डव वहीं पर दुर्योधन को तड़पता हुआ छोड़कर चले गये। अश्वत्थामा ने रात्रि में [[धृष्टद्युम्न]], उत्तमोजा, [[शिखंडी]] तथा [[द्रौपदी]] के पाँच पुत्रों आदि को मार डाला। दूसरे दिन प्रात:काल अश्वत्थामा, कृपाचार्य और कृतवर्मा घायल पड़े हुए दुर्योधन के पास पहुँचे। अश्वत्थामा के मुख से सारा वृत्तांत सुनकर दुर्योधन ने प्राण त्याग दिये।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अश्वत्थामा]], [[कृपाचार्य]], [[कृतवर्मा]] और [[दुर्योधन]] | ||
{[[कौरव]] सेना का अंतिम सेनापति कौन था?(144, 895) | {[[कौरव]] सेना का अंतिम सेनापति कौन था?(144, 895) | ||
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+[[अश्वत्थामा]] | +[[अश्वत्थामा]] | ||
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||'अश्वत्थामा' [[महाभारत]] युद्ध में सक्रिय रूप से भाग लेने वाले वीरों में से एक थे। [[भीम]] द्वारा [[दुर्योधन]] की जंघाएँ तोड़ देने के बाद दुर्योधन उसी स्थान पर पड़ा तड़पता रहा। तभी संयोग से [[संजय]] वहाँ पहुँचे, दुर्योधन ने उनके सम्मुख सब वृत्तांत कह सुनाया, फिर संदेशवाहकों से [[अश्वत्थामा]], [[कृपाचार्य]] तथा [[कृतवर्मा]] को बुलवाकर सब कृत्य सुनाया। अश्वत्थामा ने क्रुद्ध होकर [[पांडव|पांडवों]] को मार डालने की शपथ ली तथा वहीं पर दुर्योधन ने उन्हें [[कौरव|कौरवों]] के सेनापति-पद पर नियुक्त कर दिया। उन तीनों के जाने के उपरांत उस रात दुर्योधन वहीं तड़पता रहा। अश्वत्थामा ने रात्रि के समय शिविर में [[द्रौपदी]] के सोते हुए पुत्रों को मार डाला। अत: [[अर्जुन]] ने क्रुद्ध होकर रोती हुई द्रौपदी से कहा कि- "वह अश्वत्थामा का सर काटकर उसे अर्पित करेगा"।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अश्वत्थामा]] | |||
{([[दुर्योधन]] के शरीर को वज्र का किसने बनाया था? | {([[दुर्योधन]] के शरीर को वज्र का किसने बनाया था? |
Revision as of 09:29, 9 August 2013
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