समाज का ऑपरेटिंग सिस्टम -आदित्य चौधरी: Difference between revisions
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"अरे जो मुझे पकड़वाएगा आधा उसका... मैं कोई छोटा-मोटा आतंकवादी नहीं हूँ... बहुत नाम है मेरा। अब तो मेरी उमर भी इतनी हो गई है कि जब तक अदालत मुझे फांसी देगी तब तक मैं वैसे ही मर लूँगा... और इलाज तो बेटाऽऽऽ! मेरा होना ही होना है। सीधे अस्पताल जाऊँगा फिर जिस डॉक्टर को भी मैं धमकी दूँगा, वो मेरे मन माफ़िक ही इलाज करेगा।... इससे बढ़िया स्कीम कौन सी होगी? जब तक इस देश में भ्रष्टाचार है तब तक हमारा राज है और अपना बेड़ा पार है" | "अरे जो मुझे पकड़वाएगा आधा उसका... मैं कोई छोटा-मोटा आतंकवादी नहीं हूँ... बहुत नाम है मेरा। अब तो मेरी उमर भी इतनी हो गई है कि जब तक अदालत मुझे फांसी देगी तब तक मैं वैसे ही मर लूँगा... और इलाज तो बेटाऽऽऽ! मेरा होना ही होना है। सीधे अस्पताल जाऊँगा फिर जिस डॉक्टर को भी मैं धमकी दूँगा, वो मेरे मन माफ़िक ही इलाज करेगा।... इससे बढ़िया स्कीम कौन सी होगी? जब तक इस देश में भ्रष्टाचार है तब तक हमारा राज है और अपना बेड़ा पार है" | ||
अपने 'प्लान' के मुताबिक़ बंडा पकड़ा गया। आधा इनाम उसके घरवालों को पहुँच गया। उसकी किडनी बदलवाई गई। दिल की बीमारी की वजह से पेसमेकर लगवाया गया। केस चल रहा है। लाखों इलाज में गए और करोड़ों उसे पालने में जा रहे हैं...फांसी की सज़ा भी होगी लेकिन बंडा बुड्ढा है, फांसी से पहले ही मर जाएगा, ये सब जानते हैं लेकिन कोई कुछ कहता नहीं, कोई कुछ करता नहीं...।</poem> | अपने 'प्लान' के मुताबिक़ बंडा पकड़ा गया। आधा इनाम उसके घरवालों को पहुँच गया। उसकी किडनी बदलवाई गई। दिल की बीमारी की वजह से पेसमेकर लगवाया गया। केस चल रहा है। लाखों इलाज में गए और करोड़ों उसे पालने में जा रहे हैं...फांसी की सज़ा भी होगी लेकिन बंडा बुड्ढा है, फांसी से पहले ही मर जाएगा, ये सब जानते हैं लेकिन कोई कुछ कहता नहीं, कोई कुछ करता नहीं...।</poem> | ||
{{बाँयाबक्सा|पाठ= | {{बाँयाबक्सा|पाठ=जब भ्रष्टाचार होना ही है और रोका नहीं जा सकता तो फिर सरकार को इससे निपटने के लिए विचित्र उपाय ही करने चाहिए।|विचारक=}} | ||
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आइए भारतकोश पर वापस चलें- | आइए भारतकोश पर वापस चलें- |
Revision as of 13:56, 21 September 2013
50px|right|link=|
20px|link=http://www.facebook.com/bharatdiscovery|फ़ेसबुक पर भारतकोश (नई शुरुआत) भारतकोश समाज का ऑपरेटिंग सिस्टम -आदित्य चौधरी "यार! ये बंडा काका का तो लास्ट शो चल रहा है... ये तो टेंऽऽऽ बोलने वाला है... पक्का मरेगा अब तो पक्का... सीधी सी बात है कि इलाज का पैसा तो है नईं..."
आइए भारतकोश पर वापस चलें-
ज़रा सोचिए किसी मृत्यु कारित करने वाले संगेय अपराध के अपराधी को दिया जाने वाला दण्ड बार-बार बीसियों वर्षों तक परिभाषित किया जाता रहता है। कभी उसे फांसी सुनाई जाती है तो कभी आजीवन कारावास। कभी वह ज़मानत पर जेल से बाहर रहता है तो कभी जेल के अंदर...। किसी भी निचली अदालत के फ़ैसले का पुनर्मूल्यांकन ऊँची अदालतों द्वारा बिना अपील किए ही हो तो बार-बार फ़ैसला बदले जाने की संभावना नहीं होगी।
जेलों में विचाराधीन क़ैदियों की स्थिति में अक्सर होता है कि अमीरों, नेताओं और सॅलिब्रिटी ग़ुंडों को जेलों में फ़ाइव स्टार जैसी सुविधाएँ मुहैया कराई जाती हैं। क्या समस्या है यदि जेलों में कुछ हिस्सा इस तरह की सुविधाओं से भरपूर हो इसका किराया इन हाइ-फ़ाइ अपराधियों से वसूला जाय। साथ ही शारीरिक परिश्रम में कोई ढील न बरती जाय। ऐसी फ़ाइव स्टार जेलों में रहने पर सज़ा की अवधि भी साधारण जेल से कम से कम दो गुनी या तीन गुनी हो। |
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