असमिया भाषा: Difference between revisions

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असमिया भाषा भारतीय-आर्य भाषा है, जो कि [[भारत]] में [[असम]] राज्य की राजभाषा है। यह लगभग एक करोड़ तीस लाख लोगों के द्वारा बोली जाती है। इस क्षेत्र की तिब्बती-बर्मी बोलियों के साथ निकट सम्बन्ध का असमी भाषा की शब्दावली, स्वर विज्ञान और संरचना पर प्रभाव पड़ा है। असमिया भाषा का [[बांग्लादेश|बांग्ला]] से गहरा सम्बन्ध है और बांग्ला की ही तरह असमिया में भी व्याकरण की दृष्टथ् से कोई लिंग भेद नहीं है। आदरसूचक शब्दों के लिए [[संज्ञा]] और [[सर्वनाम]] के बहुवचन को दर्शाने वाले भिन्न सूचक भी हैं।
असमिया भाषा भारतीय-आर्य भाषा है, जो कि [[भारत]] में [[असम]] राज्य की राजभाषा है। यह लगभग एक करोड़ तीस लाख लोगों के द्वारा बोली जाती है। इस क्षेत्र की तिब्बती-बर्मी बोलियों के साथ निकट सम्बन्ध का असमी भाषा की शब्दावली, स्वर विज्ञान और संरचना पर प्रभाव पड़ा है। असमिया भाषा का [[बांग्लादेश|बांग्ला]] से गहरा सम्बन्ध है और बांग्ला की ही तरह असमिया में भी व्याकरण की दृष्टथ् से कोई लिंग भेद नहीं है। आदरसूचक शब्दों के लिए [[संज्ञा (व्याकरण)|संज्ञा]] और [[सर्वनाम]] के बहुवचन को दर्शाने वाले भिन्न सूचक भी हैं।
==लिपि==
==लिपि==
असमिया लिपि मूलत: ब्रह्मी का ही एक विकसित रूप है। बंग्ला से उसकी निकट समानता है। लिपि का प्राचीनतम उपलब्ध रूप भास्करवर्मन का 610 ई. का ताम्रपत्र है। परंतु उसके बाद से आधुनिक रूप तक लिपि में 'नागरी' के माध्यम से कई प्रकार के परिवर्तन हुए हैं।
असमिया लिपि मूलत: ब्रह्मी का ही एक विकसित रूप है। बंग्ला से उसकी निकट समानता है। लिपि का प्राचीनतम उपलब्ध रूप भास्करवर्मन का 610 ई. का ताम्रपत्र है। परंतु उसके बाद से आधुनिक रूप तक लिपि में 'नागरी' के माध्यम से कई प्रकार के परिवर्तन हुए हैं।

Revision as of 10:00, 3 September 2010

असमिया भाषा भारतीय-आर्य भाषा है, जो कि भारत में असम राज्य की राजभाषा है। यह लगभग एक करोड़ तीस लाख लोगों के द्वारा बोली जाती है। इस क्षेत्र की तिब्बती-बर्मी बोलियों के साथ निकट सम्बन्ध का असमी भाषा की शब्दावली, स्वर विज्ञान और संरचना पर प्रभाव पड़ा है। असमिया भाषा का बांग्ला से गहरा सम्बन्ध है और बांग्ला की ही तरह असमिया में भी व्याकरण की दृष्टथ् से कोई लिंग भेद नहीं है। आदरसूचक शब्दों के लिए संज्ञा और सर्वनाम के बहुवचन को दर्शाने वाले भिन्न सूचक भी हैं।

लिपि

असमिया लिपि मूलत: ब्रह्मी का ही एक विकसित रूप है। बंग्ला से उसकी निकट समानता है। लिपि का प्राचीनतम उपलब्ध रूप भास्करवर्मन का 610 ई. का ताम्रपत्र है। परंतु उसके बाद से आधुनिक रूप तक लिपि में 'नागरी' के माध्यम से कई प्रकार के परिवर्तन हुए हैं।


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