टी.के. अनुराधा: Difference between revisions

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'''टी.के. अनुराधा''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''T.K. Anuradha'', जन्म- [[1961]], [[बेंगळूरू]]) भारतीय वैज्ञानिक हैं। वे '[[भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन]]' (इसरो) में वरिष्ठ वैज्ञानिक और परियोजना निदेशक हैं। टी. के. अनुराधा एक उपग्रह प्रोजेक्ट डायरेक्टर बनने वाली इसरो की पहली भारतीय महिला हैं। अनुराधा को महिला वैज्ञानिकों का रोल मॉडल माना जाता है। वे इससे इत्तेफ़ाक बिल्कुल नहीं रखतीं कि महिला और विज्ञान आपस में मेल नहीं खाते।

Revision as of 10:04, 11 July 2017

टी.के. अनुराधा
पूरा नाम टी.के. अनुराधा
जन्म 1961
जन्म भूमि बेंगळूरू
कर्म भूमि भारत
कर्म-क्षेत्र अंतरिज्ञ विज्ञान
प्रसिद्धि भारतीय वैज्ञानिक
नागरिकता भारतीय
संबंधित लेख भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन, सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र
अन्य जानकारी 15 जुलाई, 2011 को टी.के. अनुराधा ने सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से अंतरिक्ष में जीएसएटी-12 उपग्रह को लॉन्च करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
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टी.के. अनुराधा (अंग्रेज़ी: T.K. Anuradha, जन्म- 1961, बेंगळूरू) भारतीय वैज्ञानिक हैं। वे 'भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन' (इसरो) में वरिष्ठ वैज्ञानिक और परियोजना निदेशक हैं। टी. के. अनुराधा एक उपग्रह प्रोजेक्ट डायरेक्टर बनने वाली इसरो की पहली भारतीय महिला हैं। अनुराधा को महिला वैज्ञानिकों का रोल मॉडल माना जाता है। वे इससे इत्तेफ़ाक बिल्कुल नहीं रखतीं कि महिला और विज्ञान आपस में मेल नहीं खाते।

परिचय

टी.के. अनुराधा का जन्म 1961 में बेंगळूरू, कर्नाटक में हुआ था। उन्होंने यूनिवर्सिटी विश्वेश्वराय कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग में इलेक्ट्रॉनिक्स में स्नातक की उपाधि प्राप्त की।

टी.के. अनुराधा संचार उपग्रह अंतरिक्ष में छोड़ने की विशेषज्ञ हैं। वे 34 साल से इसरो में हैं और अंतरिक्ष विज्ञान के बारे में तब से सोचने लगीं, जब वे सिर्फ़ नौ साल की थीं। उन्होंने एक साक्षात्कार में कहा था कि- "अपोलो छोड़ा गया था और नील ऑर्मस्ट्रॉन्ग चंद्रमा पर उतरने में कामयाब हुए थे। उन दिनों हमारे घर में टेलीविज़न नहीं था। मैंने इसके बारे में माता-पिता और शिक्षको से सुना था। इसने मेरी कल्पना को बढ़ाया। मैंने अपनी मातृभाषा कन्नड़ में एक कविता लिखी कि किस तरह एक आदमी चांद पर उतरता है।"[1]

सन 1982 में जब टी.के. अनुराधा ने इसरो ज्वाइन किया था, वहां कम महिलाएं थीं और इंजीनियरिंग विभाग में तो और कम थीं। वे कहती हैं, "मेरे साथ पाँच-छह महिला इंजीनियरों ने ज्वाइन किया था। आज इसरो के 16,000 कर्मचारियों में 25 फ़ीसदी महिलाएं हैं।" वे यह भी कहती हैं कि, "इसरो में लिंग कोई मुद्दा नहीं है और वहां नियुक्ति और प्रमोशन इस पर निर्भर है कि हम क्या जानते हैं और क्या कर सकते हैं।"

15 जुलाई, 2011 को उन्होंने सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से अंतरिक्ष में जीएसएटी-12 उपग्रह को लॉन्च करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। परियोजना निदेशक के रूप में उन्होंने जीएसएटी-10, जीएसएटी-9, जीएसएटी-17 और जीएसएटी-18 संचार उपग्रहों के प्रक्षेपण का भी निरीक्षण किया। उनकी विशेषता उपग्रह जांच प्रणाली है, जो अंतरिक्ष में एक बार उपग्रह चला जाये तो उनके प्रदर्शन पर नज़र रखती है।

पुरस्कार व सम्मान

अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में सेवाओं के लिए टी.के. अनुराधा को भारत की अंतरिक्ष विज्ञान सोसायटी द्वारा 2003 में स्वर्ण पदक का पुरस्कार दिया गया।

  • 2011 आईआईआई के राष्ट्रीय डिजाइन और अनुसंधान फोरम (एनडीआरएफ) द्वारा सुमन शर्मा पुरस्कार प्रदान किया गया।
  • 2012 एशियाई संचार अंतरिक्ष यान के लिए एएसआई- इसरो मेरिट पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
  • टी.के. अनुराधा को जीएसएटी-12 की प्राप्ति के लिए टीम के नेता होने के लिए 2012 के इसरो टीम अवार्ड-2012 से सम्मानित किया गया।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. भारत को अंतरिक्ष में भेजने वाली महिलाएं (हिंदी) bbc.com। अभिगमन तिथि: 11 जुलाई, 2017।

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख