महारौरव: Difference between revisions
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Latest revision as of 10:56, 23 November 2017
महारौरव हिन्दू धार्मिक मान्यताओं और ग्रंथानुसार एक नरक का नाम है।
- महारौरव नरक की यातना भी ऐसा व्यक्ति ही भोगता है जो केवल अपने शरीर का ही पालन-पोषण करता है और दूसरों के कष्ट या दुःखों की चिंता नहीं करता। मैं और मेरे का ही विचार करने वाले स्वार्थी और द्रोही मनुष्य का अन्तःकरण अन्दर से कुढ़ता रहे और जिन्हें अन्दर से ऐसा प्रतीत हो कि कोई उन्हें अन्दर से नोंच रहा है या जला रहा है तो समझना चाहिए कि उन्हें रौरव और महारौरव नरक की यातना मिल रही है।
- नरक लोक में सूर्य के पुत्र “यम” रहते हैं और मृत प्राणियों को उनके दुष्कर्मों का दण्ड देते हैं। नरकों की संख्या 28 कही गई है, जो इस प्रकार है[1]-
क्रम संख्या | नाम | क्रम संख्या | नाम |
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1. | तामिस्र | 2. | अन्धतामिस्र |
3. | रौरव | 4. | महारौरव |
5. | कुम्भी पाक | 6. | कालसूत्र |
7. | असिपत्रवन | 8. | सूकर मुख |
9. | अन्ध कूप | 10. | कृमि भोजन |
11. | सन्दंश | 12. | तप्तसूर्मि |
13. | वज्रकंटक शाल्मली | 14. | वैतरणी |
15. | पूयोद | 16. | प्राण रोध |
17. | विशसन | 18. | लालाभक्ष |
19. | सारमेयादन | 20. | अवीचि |
21. | अयःपान | 22. | क्षारकर्दम |
23. | रक्षोगणभोजन | 24. | शूलप्रोत |
25. | द्वन्दशूक | 26. | अवटनिरोधन |
27. | पर्यावर्तन | 28. | सूची मुख |
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ गीता अमृत -जोशी गुलाबनारायण, अध्याय 16, पृ.सं.-342, श्लोक 21 - त्रिविधं नरकस्येदं द्वारं