मुहणोत नैणसी: Difference between revisions
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मुहणोत नैणसी (अंग्रेज़ी: Muhnot Nainsi, जन्म- 1610 ई., जोधपुर; मृत्यु- 3 अगस्त, 1670 ई.) राजस्थान के क्रमबद्ध इतिहास लेखन के प्रथम इतिहासकार थे। वे महाराजा जसवन्त सिंह के राज्यकाल में मारवाड़ के दीवान थे। मुहणौत नैणसी भारत के उन क्षेत्रों का अध्यन करने के लिये प्रसिद्ध हैं जो वर्तमान में राजस्थान कहलाता है। ‘मारवाड़ रा परगना री विगत’ तथा ‘नैणसी री ख्यात’ उनकी प्रसिद्ध कृतियाँ हैं। राजस्थान के अतिरिक्त गुजरात, बघेलखंड के इतिहास-प्रेमियों के लिए भी यह ग्रंथ उपयोगी है।
परिचय
मुहणौत नैणसी का जन्म 1610 ई. में जोधपुर में हुआ था। वह जोधपुर के निवासी थे। वह जोधपुर के महाराजा जसवंत सिंह महाराज के समकालीन थे। उनके पिता का नाम जयमल था, जो कि राज्य में उच्च पदों पर कार्य कर चुके थे। मुहणौत नैणसी ने जोधपुर राज्य के दीवान के पद पर कार्य किया और उनके युद्ध में भी भाग लिया। मुहणौत नैणसी कुशल शासन प्रबन्धक भी थे। उन्होंने परगनों की राजस्व व्यवस्था में सुधार कर उनकी आय बढ़ाने के प्रयास किये। वह महाराजा जसवंतसिंह के विश्वासपात्र थे। इसी कारण राजकुमार पृथ्वीसिंह की शिक्षा दीक्षा का जिम्मा भी उन्हें को सौपा गया था।[1]
'ख्यात' की रचना
दीवान के पद पर रहते हुए मुहणौत नैणसी ने चारणों, बडवा भाटों आदि से विभिन्न वंशों तथा राज्यों का इतिहास संग्रहित किया। शासकीय दस्तावेज भी उनके अधिकार में थे। इन सब स्रोतों के आधार पर उन्होंने 'ख्यात' की रचना की, जिसकी तुलना अबुल फ़ज़ल के 'अकबरनामा' से की जाती हैं। मुहणौत नैणसी ने अपनी ख्यात में मध्यकालीन राजस्थान के सभी राज्यों के अतिरिक्त गुजरात, काठियावाड़, कच्छ, बघेलखंड, बुंदेलखंड आदि राज्यों का इतिहास तथा मुग़ल राजपूत सम्बन्धों का वर्णन दिया है।
मुहणौत नैणसी ने मध्यकालीन राजस्थानी समाज और संस्कृति के साथ-साथ मन्दिरों, मठों, दुर्गों आदि के निर्माण भेंट, पूजा, बलि इत्यादि प्रकार तीर्थ यात्राओं तथा उनके महत्व का विवेचन, सगाई विवाह आदि रस्मों का वर्णन, रीती रिवाज पर्व त्योहारों आदि का भी उल्लेख किया है। ख्यातमें नगर कस्बों तथा गाँवों के इतिहास वर्णन के साथ-साथ वहां की भौगोलिक स्थिति तथा स्थापत्य का वर्णन भी मिलता है।
मुहणौत नैणसी की दूसरी रचना “मारवाड़ रा परगना री विगत” है, जिसमें मारवाड़ राज्य के परगनों की राजस्व व्यवस्था तथा राज्य की आय के अनेक स्रोतों का वर्णन है। उनके ग्रंथ राजस्थानी भाषा, साहित्य, व्याकरण, खगोलशास्त्र के साथ-साथ राजस्थान के इतिहास के अपूर्व संग्रह हैं।[1]
राजपूताने का अबुल फ़ज़ल
मुंशी देवीप्रसाद ने मुहणौत नैणसी को 'राजपूताने का अबुल फ़ज़ल' कहा हैं। अबुल फ़ज़ल ने अकबर की सेवा में रहते हुए अकबरनामा की रचना की थी। उसी प्रकार मुहणौत नैणसी ने भी जोधपुर के महाराजा की सेवा में रहते हुए 'ख्यात' लिखी। दोनों ही विद्वानों के ग्रंथों की रचना शैली सामान्य है। दोनों ने ही बडवा भाटों के ग्रंथों के साथ प्रशासकीय दस्तावेजों का प्रयोग किया है। मुहणौत नैणसी की 'मारवाड़ रा परगना री विगत' अबुल फ़ज़ल के ‘आइना-ए-अकबरी’ के समान एक प्रशासनिक ग्रंथ है। इसलिए नैणसी को अबुल फ़ज़ल की संज्ञा देना अतिशयोक्ति नहीं है।
मृत्यु
ऐसा माना जाता है कि मुहणौत नैणसी ने दीवान रहते हुए राज्य के उच्च पदों पर अपने रिश्तेदारों की नियुक्तियां कर दी थीं। जिन्होंने प्रजा पर अत्याचार किये। जिससे महाराजा जसवंतसिंह ने नाराज होकर मुहणौत नैणसी को कैद कर लिया और एक लाख का जुर्माना लगाया। इसलिए मुहणौत नैणसी ने 3 अगस्त, 1670 को जेल में आत्महत्या कर ली।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 1.2 मुहणोत नैणसी की जीवनी (हिंदी) /jivanihindi.com। अभिगमन तिथि: 22 दिसंबर, 2020।