फ़र्रुख़ाबाद

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 14:10, 6 April 2015 by व्यवस्थापन (talk | contribs) (Text replace - " कस्बा" to " क़स्बा")
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search

thumb|250px|महल, फ़र्रुख़ाबाद फ़र्रुख़ाबाद उत्तर प्रदेश राज्य में गंगा के बाएँ किनारे पर स्थित प्राचीन नगर और रेलों का जंक्शन है। फ़र्रुख़ाबाद, उत्तर प्रदेश राज्य का प्रमुख ज़िला है। फ़र्रुख़ाबाद जैन मंदिरों के लिए विशेष रुप से प्रसिद्ध है। इसके अतिरिक्त यह काम्पिल्य, रामेश्‍वरनाथ मंदिर, संकिसा, कम्पिलपुर और नीव करोरी आदि के लिए भी जाना जाता है।

इतिहास और भूगोल

ऐतिहासिक दृष्टि से भी इस जगह का काफ़ी महत्व रहा है। फ़र्रुख़ाबाद की स्थापना एक स्थानीय स्वतंत्र मुग़ल सूबेदार मुहम्मद ख़ां बंगश ने 1714 में की थी। फ़र्रुख़ाबाद के एक क़स्बा फ़तेहगढ़ की स्थापना भी लगभग 1714 में हुई, जब फ़र्रुख़ाबाद के शासक ने यहां एक किले का निर्माण करवाया; 1857 के भारतीय विद्रोह के दौरान यहां नरसंहार की घटना हुई थी। फ़र्रुख़ाबाद व फ़तेहगढ़ एक महत्त्वपूर्ण सड़क तथा रेल जंक्शन है और यह निर्माण केंद्र तथा कृषि मंडी भी है। इस नगरपालिका का क्षेत्र गंगा की कछारी मैदान के एक हिस्से पर स्थित है और यह गंगा की निचली नहर से सिंचित होता है। यह ज़िला बादौन और शाहजहाँपुर के उत्तर में, हरदोई ज़िले के पूर्व में, कन्नौज ज़िले के दक्षिण और एटा तथा मैनपुरी ज़िले के पश्चिम से घिरा हुआ है। गंगा और रामगंगा यहाँ की प्रमुख नदियाँ हैं।

उद्योग

फ़र्रुख़ाबाद में पीतल के बर्तनों के कारख़ाने, शीत भण्डार और तेल की मिलें हैं। ताँबे और पीतल के बर्तन, पर्दे, साड़ी, छीटों आदि की छपाई यहाँ पर बहुत अच्छी होती है। आलू, तम्बाकू और ख़रबूजों के लिए भी यह नगर प्रसिद्ध है। इस क्षेत्र में उगाई जाने वाली प्रमुख फ़सलों में आलू, तंबाकू और तरबूज़ प्रमुख हैं। इनके साथ-साथ इत्र, शोरा और छापेवाले सूती वस्त्र निर्यात की प्रमुख वस्तुएं है। इस शहर में तबला वादकों के छह प्रमुख घरानों में से एक फ़र्रुख़ाबाद घराना स्थित है। शहर में स्थित शैक्षिक संस्थानों में बद्रीविशाल डिग्री कॉलेज, गवर्नमेंट इंटर कॉलेज शामिल हैं।

पर्यटन स्थल

फ़र्रुख़ाबाद में कई प्राचीन ऐतिहासिक स्थल हैं। निकट के भूतपूर्व शासकों के मक़बरों के खंडहर हैं। नगरपालिका क्षेत्र से पश्चिमोत्तर में स्थित कांपिली नगर का उल्लेख दूसरी शताब्दी ई. पू. और इसके पहले के महाकाव्यों में मिलता है। यहाँ कई प्राचीन मंदिर भी हैं पश्चिम में स्थित सम्किसा ( प्राचीन समकश्या ) एक विख्यात बौद्ध तीर्थस्थल था, यहां कई टीले हैं, जो दरअसल बौद्ध स्तूपों के भग्नावशेष हैं। कहा जाता है कि इसी स्थान पर बुद्ध ‘त्रयसत्रिम्स स्वर्ग’ से इंद्र और ब्रह्मा के साथ अवतरित हुए थे। हाथी के शीर्ष वाला एक स्तंभ, जो शायद अशोक के काल का है, यहां स्थित है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः