पिलाजी गायकवाड़

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  • पिलाजी गायकवाड़ (1721-1732 ई.) दामाजी गायकवाड़ प्रथम का भतीजा था।
  • मराठा साम्राज्य में पिलाजी गायकवाड़ बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान रखता था।
  • भले ही दामाजी गायकवाड़ प्रथम, गायकवाड़ वंश का संस्थापक था, किंतु इस वंश ने पिलाजी गायकवाड़ के समय में ही प्रसिद्धि प्राप्त की थी।
  • पिलाजी छत्रपति शिवाजी के पौत्र राजा साहू के सेनापति खाण्डेराव दाभाड़े के गुट में सम्मिलित था।
  • पिलाजी गायकवाड़ ने 1720 ई. में सूरत से 50 मील की दूरी पर सौनगढ़ में एक दुर्ग का निर्माण करवाया था।
  • 1731 ई. में पिलाजी ने बिल्हापुर के युद्ध में खाण्डेराव के पुत्र त्र्यम्बकराव दाभाड़े की ओर से युद्ध किया था।
  • इस युद्ध में त्र्यम्बकराव दाभाड़े की मृत्यु हो जाने के कारण पिलाजी को पेशवा बाजीराव प्रथम के साथ सन्धि करनी पड़ी।
  • बाजीराव प्रथम ने पिलाजी को गुजरात पर निगाह रखने को कहा।
  • बाद में पिलाजी ने बड़ौदा को अपना मुख्य कार्य क्षेत्र बनाया।
  • पिलाजी गायकवाड़ की 1732 ई. में हत्या कर दी गई।
  • उसकी मृत्यु के बाद उसका पुत्र दामाजी गायकवाड़ द्वितीय उत्तराधिकारी बना।


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