वनायु

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 11:33, 17 October 2014 by रविन्द्र प्रसाद (talk | contribs) (''''वनायु''' नामक स्थान का उल्लेख [[कालिदास|महाकवि कालिद...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search

वनायु नामक स्थान का उल्लेख महाकवि कालिदास ने अपने महाकाव्य 'रघुवंश' में किया है-

'दीर्घेष्वमी नियमिता: पटमंडपेषु निद्रांविहाय वनजाक्ष वनायुदेश्या: वक्त्रोष्मणा मलिनयन्ति पुरोगतानि, लेह्यानि सैंधवशिला शकलानि वाहां।'[1]

  • कालिदास ने उपरोक्त संदर्भ में वनायु प्रदेश के घोड़ों का उल्लेख किया है।
  • कोशकार हलायुध ने ‘पारसीका वनायुजाः’ कहकर वनायु को फ़ारस या ईरान माना है।
  • कुछ विद्धानों के मत में वनायु अरब देश का प्राचीन भारतीय नाम है।[2]
  • 'वाल्मीकि रामायण' के बालकाण्ड[3] में वनायु के श्याम वर्ण के अनेक घोड़ो से अयोध्या को भरीपूरी बताया गया है-

'कांवोजविषये जातैर्वाह्लीकैश्च हयोत्तमै: वनायुजैर्नदीजैश्चपूर्णा हरिहयोत्तमै:।'

  • कालिदास को उर्पयुक्त वर्णन की प्रेरणा अवश्य ही 'वाल्मीकि रामायण' के उल्लेख से मिली होगी, क्योंकि 'रघुवंश' में भी वनायु के घोड़ों का वर्णन अयोध्या के प्रसंग में ही है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. रघुवंश, 5, 73
  2. ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 832 |
  3. बालकाण्ड 6, 22

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः