Difference between revisions of "मुण्डा"

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मुण्डा [[भारत]] की एक प्रमुख जनजाति हैं। मुण्डा [[झारखण्ड]] प्रदेश की एक प्रमुख आदिवासी है। इस जनजाति का मूल स्थान दक्षिणी छोटा नागपुर है, हालांकि उत्तरी छोटा नागपुर में भी ये कहीं-कहीं मिल जाते हैं। मुण्डा जाति पर सर्वप्रथम राय बहादुर शरत चन्द्र राय ने सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण और प्रमाणिक कार्य किया। सन् 1912 में मुण्डा बोली बोलने वालों के इतिहास पर उन्होंने कार्य किया। उसके बाद अन्य जातियों जैसे बिरहोर (1925) खरिया (1937, अपने पुत्र के साथ) और दो विवरण द्रविड़ियन भाषा बोलने वाले उरांव (1915, 1928) और एक इण्डो-यूरोपियन बोली बोलने वाले उत्तर-पश्चिमी [[उड़ीसा]] (1935) पर उन्होंने अपना मूल और तथ्यपरक रिपोर्ट पुस्तकाकार रुप में प्रकाशित किया। उनका दूसरा महत्त्वपूर्ण योगदान है 'मेन इन इण्डिया नामक शोध जनरल' का प्रकाशन वह भी रांची जैसे छोटे जगह से।
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मुण्डा [[भारत]] की एक प्रमुख जनजाति हैं। मुण्डा [[झारखण्ड]] प्रदेश की एक प्रमुख आदिवासी है। इस जनजाति का मूल स्थान दक्षिणी छोटा नागपुर है, हालांकि उत्तरी छोटा नागपुर में भी ये कहीं-कहीं मिल जाते हैं। मुण्डा जाति पर सर्वप्रथम राय बहादुर शरत चन्द्र राय ने सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण और प्रमाणिक कार्य किया। सन् 1912 में मुण्डा बोली बोलने वालों के इतिहास पर उन्होंने कार्य किया। उसके बाद अन्य जातियों जैसे बिरहोर (1925) खरिया (1937, अपने पुत्र के साथ) और दो विवरण द्रविड़ियन भाषा बोलने वाले उरांव (1915, 1928) और एक इण्डो-यूरोपियन बोली बोलने वाले उत्तर-पश्चिमी [[उड़ीसा]] (1935) पर उन्होंने अपना मूल और तथ्यपरक रिपोर्ट पुस्तकाकार रूप में प्रकाशित किया। उनका दूसरा महत्त्वपूर्ण योगदान है 'मेन इन इण्डिया नामक शोध जनरल' का प्रकाशन वह भी रांची जैसे छोटे जगह से।
  
 
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Revision as of 11:37, 11 January 2011

munda bharat ki ek pramukh janajati haian. munda jharakhand pradesh ki ek pramukh adivasi hai. is janajati ka mool sthan dakshini chhota nagapur hai, halaanki uttari chhota nagapur mean bhi ye kahian-kahian mil jate haian. munda jati par sarvapratham ray bahadur sharat chandr ray ne sarvadhik mahattvapoorn aur pramanik kary kiya. sanh 1912 mean munda boli bolane valoan ke itihas par unhoanne kary kiya. usake bad any jatiyoan jaise birahor (1925) khariya (1937, apane putr ke sath) aur do vivaran dravi diyan bhasha bolane vale uraanv (1915, 1928) aur ek indo-yooropiyan boli bolane vale uttar-pashchimi u disa (1935) par unhoanne apana mool aur tathyaparak riport pustakakar roop mean prakashit kiya. unaka doosara mahattvapoorn yogadan hai 'men in indiya namak shodh janaral' ka prakashan vah bhi raanchi jaise chhote jagah se.


panne ki pragati avastha
adhar
prarambhik
madhyamik
poornata
shodh

sanbandhit lekh