कारक: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
m (Text replace - "{{लेख प्रगति" to "{{प्रचार}} {{लेख प्रगति")
 
(One intermediate revision by the same user not shown)
Line 92: Line 92:
|शोध=
|शोध=
}}
}}
{{संदर्भ ग्रंथ}}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
<references/>
Line 97: Line 98:
{{व्याकरण}}
{{व्याकरण}}
[[Category:व्याकरण]]
[[Category:व्याकरण]]
[[Category:हिन्दी भाषा]]
[[Category:हिन्दी भाषा]][[Category:भाषा कोश]]
__INDEX__
__INDEX__
__NOTOC__
__NOTOC__

Latest revision as of 09:13, 14 October 2011

संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से वाक्य के अन्य शब्दों के साथ उसके सम्बन्ध का बोध होता है, उसे कारक कहते हैं। हिन्दी में आठ कारक होते हैं- कर्ता, कर्म, करण, सम्प्रदान, अपादान, सम्बन्ध, अधिकरण और सम्बोधन। विभक्ति या परसर्ग-जिन प्रत्ययों से कारकों की स्थितियों का बोध होता है, उन्हें विभक्ति या परसर्ग कहते हैं। आठ कारकों के विभक्ति चिह्न या परसर्ग इस प्रकार होते हैं-

कारक के विभिन्न चिह्न
कारक चिह्न अर्थ
कर्ता ने काम करने वाला
कर्म को जिस पर काम का प्रभाव पड़े
करण से, द्वारा जिसके द्वारा कर्ता काम करें
सम्प्रदान को,के लिए जिसके लिए क्रिया की जाए
अपादान से (अलग होना) जिससे अलगाव हो
सम्बन्ध का, की, के; ना, नी, ने; रा, री, रे अन्य पदों से सम्बन्ध
अधिकरण में,पर क्रिया का आधार
संबोधन हे! अरे! अजी! किसी को पुकारना, बुलाना

कर्ता कारक

क्रिया करने वाले को कर्ता कहते हैं। यह स्वतंत्र होता है। इसमें 'ने' विभक्ति का प्रयोग होता है। जैसे-

  • राजेन्द्र ने पत्र भेजा है।
  • मैंने भोजन किया है।

कहीं-कहीं वाक्य में कर्ता कारक के 'ने' चिह्न का लोप भी रहता है। जैसे-

  • राम रोटी खाता है।
  • मैं जाता हूँ।

कर्म कारक

जिस पर क्रिया के व्यापार का प्रभाव पड़ता है। उसे कर्म कारक कहते हैं। इसमें 'को' विभक्ति चिह्न का प्रयोग होता है। जैसे-

  • गोपाल ने राधा को बुलाया है।
  • उसने पानी को छाना है।

कुछ वाक्यों में कर्म कारक के चिह्न 'को' का लोप भी रहता है। जैसे-

  • श्याम पुस्तक पढ़ता है।
  • मेरे द्वारा यह कार्य हुआ है।

करण कारक

जिसके द्वारा क्रिया होती है, उसे करण कारक कहते हैं। करण कारक के विभक्ति चिह्न 'से, द्वारा' हैं। जैसे-

  • कलम से पत्र लिखा है।
  • मेरे द्वारा कार्य हुआ है।

सम्प्रदान कारक

जिसके लिए क्रिया की जाती है अथवा जिसे कोई वस्तु दी जाती है, वहाँ सम्प्रदान कारक होता है। इसके विभक्ति चिह्न 'के लिए' और 'को' हैं। जैसे-

  • भूखे के लिए रोटी लाओ।
  • राज ज्ञानू को पुस्तक देता है।
  • मैं बाज़ार को जा रहा हूँ।

अपादान कारक

जहाँ एक संज्ञा का दूसरी संज्ञा से अलग होना सूचित होता है, वहाँ अपादान कारक होता है। इसका विभक्ति चिह्न 'से' है। जैसे-

  • पेड़ से पत्ते गिरे।
  • लड़का छत से गिरा है।
  • में बैंक से रुपया लाया हूँ।

सम्बन्ध कारक

जहाँ एक संज्ञा या सर्वनाम का सम्बन्ध दूसरी संज्ञा या सर्वनाम से सूचित होता है, वहाँ सम्बन्ध कारक होता है। इसके विभक्ति चिह्न का, की, के; रा, री, रे; ना, नी, ने हैं। जैसे-

  • राम का लड़का, श्याम की लड़की, गीता के बच्चे।
  • मेरा लड़का, मेरी लड़की, हमारे बच्चे।
  • अपना लड़का, अपना लड़की, अपने लड़के।

अधिकरण कारक

जहाँ कोई संज्ञा या सर्वनाम किसी अन्य संज्ञा या सर्वनाम का आधार हो, वहाँ अधिकरण कारक होता है। इसके विभक्ति चिह्न 'में, पर' हैं। जैसे-

  • महल में दीपक जल रहा है।
  • छप पर कपड़े सूख रहे हैं।
  • मुझमें शक्ति बहुत कम है।

सम्बोधन कारक

जहाँ पुकारने, चेतावनी देने या ध्यान आकर्षित करने के लिए किसी को सम्बोधित किया जाता है, वहाँ सम्बोधन कारक होता है। इसके विभक्ति चिह्न 'हे, अरे, अजी' हैं। जैसे-

  • हे ईश्वर! कृपा करो।
  • अरे मोहन! इधर आओ।
  • अजी! तुम उसे क्या मारोगे?



पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख