धौम्य: Difference between revisions
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Latest revision as of 11:47, 16 December 2011
- उत्कोच नामक तीर्थ में रहने वाले एक ऋषि जो देवल के भाई तथा पांडवों के पुरोहित थे। चित्ररथ के आदेश से युधिष्ठिर ने धौम्य को पुरोहित बनाया था और यह युधिष्ठिर के राजसूय में थे।[1] इन्हीं के साथ शरशय्या पर पड़े भीष्म से युधिष्ठिर मिलने गये थे।[2] श्रीकृष्ण के हस्तिनापुर से चले जाने पर यह बड़े दु:खी हुए थे।[3]
- महाभारत के अनुसार व्याघ्रपद नामक ऋषि के पुत्र एक ऋषि जो बड़े शिवभक्त थे और सत्ययुग में वर्तमान थे। बाल्यकाल में ही माता के रुष्ट होने के कारण शिव की कृपा से तथा तपोबल के आधार पर दिव्यज्ञांनी हो गये थे।[4]
- एक ऋषि जो तारा के रूप में पश्चिम दिशा में स्थित हैं। महाभारत में उषंगु, कवि और परिव्याध के साथ इनका भी नाम आया है।[5]
- एक ऋषि जिन्हें आयोद भी कहते हैं। आरुणि, उपमन्यु और वेद नाम के इनके पुत्र थे।[6]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ भाग.10.10;12.14
- ↑ भाग.1.9.2
- ↑ भाग.1.10.10;12.14
- ↑ महाभारत अनुशासनपर्व 14.45
- ↑ महाभारत शान्तिपर्व 208.30
- ↑ महाभारत उद्योगपर्व दाक्षिणात्य पाठ 83.64 के अंतर
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख