भरहुत: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
m (Text replace - "==टीका टिप्पणी और संदर्भ==" to "{{संदर्भ ग्रंथ}} ==टीका टिप्पणी और संदर्भ==")
No edit summary
 
(One intermediate revision by the same user not shown)
Line 1: Line 1:
*भरहुत [[मध्य प्रदेश]] के [[बुन्देलखण्ड]] में स्थित है।  
[[चित्र:Bharhut.jpg|thumb|[[भरहुत मूर्तिकला]]]]
'''भरहुत''' [[मध्य प्रदेश]] के [[बुन्देलखण्ड]] में स्थित एक ऐतिहासिक स्थान है।  
*भरहुत द्वितीय- प्रथम शताब्दी ईसा पूर्व में निर्मित [[बौद्ध]] स्तूर तथा तोरणो के लिए [[साँची]] के समान ही प्रसिद्ध है।  
*भरहुत द्वितीय- प्रथम शताब्दी ईसा पूर्व में निर्मित [[बौद्ध]] स्तूर तथा तोरणो के लिए [[साँची]] के समान ही प्रसिद्ध है।  
*यह स्तूप शुंगकालीन है और अब इसके केवल अवशेष ही विद्यमान हैं।  
*यह स्तूप [[शुंग काल|शुंगकालीन]] है और अब इसके केवल [[अवशेष]] ही विद्यमान हैं। यह 68 फुट व्यास का बना था।  
*यह 68 फुट व्यास का बना था।  
*इसके चारों ओर सात फुट ऊँची परिवेष्टनी (चहार दीवारी) का निर्माण किया गया था, जिसमें चार तोरण-द्वार थे।
*इसके चारों ओर सात फुट ऊँची परिवेष्टनी (चहार दीवारी) का निर्माण किया गया था, जिसमें चार तोरण-द्वार थे।
*परिवेष्टनी तथा तोरण-द्वारों पर यक्ष-यक्षिणी तथा अन्यान्य अर्द्ध देवी-देवताओं की मूर्तियाँ तथा जातक कथाएँ तक्षित हैं।  
*परिवेष्टनी तथा तोरण-द्वारों पर यक्ष-यक्षिणी तथा अन्यान्य अर्द्ध देवी-[[देवता|देवताओं]] की मूर्तियाँ तथा जातक कथाएँ तक्षित हैं।  
*जातक कथाएँ इतने विस्तार से अंकित हैं कि उनके वर्ण्य- विषय को समझने में कोई कठिनाई नहीं होती।  
*जातक कथाएँ इतने विस्तार से अंकित हैं कि उनके वर्ण्य- विषय को समझने में कोई कठिनाई नहीं होती।  
*भरहुत और साँची के तोरणों की मूर्तिकारी तथा [[कला]] में बहुत साम्यता है। इसका कारण इनका निर्माण काल और विषयों का एक होना है।  
*भरहुत और साँची के तोरणों की मूर्तिकारी तथा [[कला]] में बहुत साम्यता है। इसका कारण इनका निर्माण काल और विषयों का एक होना है।  


{{प्रचार}}
{{लेख प्रगति
{{लेख प्रगति
|आधार=
|आधार=

Latest revision as of 07:06, 18 August 2012

[[चित्र:Bharhut.jpg|thumb|भरहुत मूर्तिकला]] भरहुत मध्य प्रदेश के बुन्देलखण्ड में स्थित एक ऐतिहासिक स्थान है।

  • भरहुत द्वितीय- प्रथम शताब्दी ईसा पूर्व में निर्मित बौद्ध स्तूर तथा तोरणो के लिए साँची के समान ही प्रसिद्ध है।
  • यह स्तूप शुंगकालीन है और अब इसके केवल अवशेष ही विद्यमान हैं। यह 68 फुट व्यास का बना था।
  • इसके चारों ओर सात फुट ऊँची परिवेष्टनी (चहार दीवारी) का निर्माण किया गया था, जिसमें चार तोरण-द्वार थे।
  • परिवेष्टनी तथा तोरण-द्वारों पर यक्ष-यक्षिणी तथा अन्यान्य अर्द्ध देवी-देवताओं की मूर्तियाँ तथा जातक कथाएँ तक्षित हैं।
  • जातक कथाएँ इतने विस्तार से अंकित हैं कि उनके वर्ण्य- विषय को समझने में कोई कठिनाई नहीं होती।
  • भरहुत और साँची के तोरणों की मूर्तिकारी तथा कला में बहुत साम्यता है। इसका कारण इनका निर्माण काल और विषयों का एक होना है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख