ढिबरी: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
गोविन्द राम (talk | contribs) No edit summary |
No edit summary |
||
(One intermediate revision by the same user not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
'''ढिबरी''' की शुरुआत घरों में [[केरोसिन|केरोसिन तेल]] (जिसे मिट्टी का तेल या दक्षिण [[भारत]] में घासलेट भी कहते है ) के आने पर हुई। | |||
*इससे पहले मिट्टी के दीये इस्तेमाल में लाये जाते थे जिनमें [[रूई]] की बत्ती और सरसों का तेल इस्तेमाल होता था। | |||
*ढिबरी कोई भी काँच की बोतल या टिन के डिब्बे में उसके मुँह पर | *इससे पहले मिट्टी के दीये इस्तेमाल में लाये जाते थे जिनमें [[कपास|रूई]] की बत्ती और सरसों का तेल इस्तेमाल होता था। | ||
*ढिबरी कोई भी काँच की बोतल या टिन के डिब्बे में उसके मुँह पर बत्ती लगाकर मिट्टी का तेल और सूती नाड़े की रस्सी से घर में ही बना लिए जाते थे | |||
*यह बेहद असुरक्षित उपकरण था जिसमें घर में आग लगने का ख़तरा बना रहता था। | *यह बेहद असुरक्षित उपकरण था जिसमें घर में आग लगने का ख़तरा बना रहता था। | ||
*कुछ समय बाद ढिबरी के स्थान पर [[लालटेन]] का प्रयोग होने लगा। | *कुछ समय बाद ढिबरी के स्थान पर [[लालटेन]] का प्रयोग होने लगा। |
Latest revision as of 10:08, 26 March 2015
ढिबरी की शुरुआत घरों में केरोसिन तेल (जिसे मिट्टी का तेल या दक्षिण भारत में घासलेट भी कहते है ) के आने पर हुई।
- इससे पहले मिट्टी के दीये इस्तेमाल में लाये जाते थे जिनमें रूई की बत्ती और सरसों का तेल इस्तेमाल होता था।
- ढिबरी कोई भी काँच की बोतल या टिन के डिब्बे में उसके मुँह पर बत्ती लगाकर मिट्टी का तेल और सूती नाड़े की रस्सी से घर में ही बना लिए जाते थे
- यह बेहद असुरक्षित उपकरण था जिसमें घर में आग लगने का ख़तरा बना रहता था।
- कुछ समय बाद ढिबरी के स्थान पर लालटेन का प्रयोग होने लगा।
|
|
|
|
|